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डीजल-पेट्रोल पर प्रति लीटर एक रुपये के हिसाब से सरकार ने 700 करोड़ वसूले सेस, कहां हुए खर्च अफसरों को मालूम नहीं

शकील अख्तर रांची : सड़कों के विकास व उम्दा रखरखाव के लिए राज्य सरकार प्रति लीटर एक रुपये सेस (अिधभार) की वसूली करती है. 2015 से अब तक तकरीबन 700 करोड़ रुपये की सेस वसूली हो चुकी है, लेकिन यह राशि रोड डेवलपमेंट फंड में जमा नहीं हाे रही है. सेस से वसूली गयी राशि […]

शकील अख्तर
रांची : सड़कों के विकास व उम्दा रखरखाव के लिए राज्य सरकार प्रति लीटर एक रुपये सेस (अिधभार) की वसूली करती है. 2015 से अब तक तकरीबन 700 करोड़ रुपये की सेस वसूली हो चुकी है, लेकिन यह राशि रोड डेवलपमेंट फंड में जमा नहीं हाे रही है.
सेस से वसूली गयी राशि किस हेड में जमा होगी, इसे सरकार ने अब तक क्रियेट ही नहीं किया है. डीजल-पेट्रोल पर सेस लगा कर पैसा जुटाने का कानून अर्जुन मुंडा के कार्यकाल 2011 में बना और नियमावली में 2012 बनी. सेस की वसूली रघुवर दास के कार्यकाल 2015 से शुरू हुई है.
राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर ‘सेस’ लगा कर विशेष फंड बनाना का फैसला किया था. इसके तहत 2011 में एक कानून बनाया. इसे ‘स्टेट डेवलपमेंट फंड एक्ट 2011’ के नाम से जाना जाता है. 28 मई 2011 को गजट प्रकाशित होने के बाद से यह कानून राज्य में लागू हो गया. इसमें प्रावधान किया गया था कि सरकार सड़कों के विकास के लिए एक फंड बनायेगी. पेट्रोल-डीजल पर सेस लगा कर इस फंड के लिए राशि जुटायी जायेगी.
कानून के लागू होने के बाद पेट्रोल-डीजल पर सेस वसूलने व उसे सरकारी खजाने में जमा करने और खर्च करने के लिए 2012 में नियम बनाया गया. इसे झारखंड स्टेट रोड डेवलपमेंट रूल 2012 के नाम से जाना जाता है. पथ निर्माण विभाग द्वारा बनाये गये इस नियम में पेट्रोल-डीजल पर लगाये जानेवाले ‘सेस’ की वसूली का अधिकार वाणिज्यकर विभाग को दिया गया.
क्योंकि वाणिज्यकर विभाग ही पेट्रोल-डीजल पर वैट की वसूली करता है. रूल 2012 में सेस को सरकारी खजाने में जमा करने, उसे सड़क योजना के लिए आवंटित करने और खर्च करने से संबंधित प्रमाण जारी करने के लिए तीन फार्म बनाये गये.
साथ ही यह प्रावधान किया गया कि सेस के रूप में वसूली गयी राशि मुख्य शीर्ष (0045) में एक उप-शीर्ष (00-112, सेस से मिली राशि) बना कर जमा किया जायेगा.
24 फरवरी 2015 से सेस की वसूली शुरू हुई : नया रूल बनने का बाद कैबिनेट के फैसले के आलोक में वाणिज्यकर विभाग ने 24 फरवरी 2015 को डीजल-पेट्रोल पर एक-एक रुपये प्रति लीटर की दर से सेस की वसूली का आदेश जारी किया. इसके बाद से ही सेस के रूप में वसूली शुरू हो गयी.
हालांकि सरकार ने मुख्य शीर्ष 0045 में उप- शीर्ष (00-112) बनाया ही नहीं. इसकी वजह से वाणिज्यकर विभाग द्वारा सेस की वसूली कर सेस की राशि को भी विभाग द्वारा वसूली गये राजस्व को जमा करने के लिए निर्धारित मुख्य शीर्ष (0045) में ही जमा कर दिया जा रहा है. इससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि सड़क के लिए सेस के रूप में वसूली गयी राशि सड़क के बदले कहां खर्च हो रही है.
प्रति माह औसतन 45 हजार केएल पेट्रोल और 1.25 लाख केएल डीजल की बिक्री
राज्य में तीन तेल कंपनियां इसमें इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम तेल का व्यापार करती हैं. इंडियन आयल ने जून 2019 में बताया था कि वह राज्य में प्रति माह 29,732 केएल (किलोलीटर) पेट्रोल और 74,522 केएल डीजल बेचती है. आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में राज्य में 5,59,704 केएल पेट्रोल और 16,13,184 केएल डीजल की बिक्री हुई. 2018-19 में 6,84,876 केएल पेट्रोल और 19,07,808 केएल डीजल की बिक्री हुई. इस तरह दो वर्षों में ही सरकार को सेस के रूप में 476.55 करोड़ रुपये मिले थे.

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