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Thursday, March 28, 2024

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रांची : दिन में कंप्यूटराइज्ड और रात में मैनुअल बिल थमाते हैं अस्पताल

दवाओं की कीमतों में हेराफेरी करनेवाले अस्पतालों की जांच शुरू रांची : दवा कंपनियों से सांठगांठ कर मरीजों से एक ही दवा की दो कीमत वसूलनेवाले अस्पतालों की जांच भी शुरू हो गयी है. औषधि निरीक्षकों ने दो दिनाें में राजधानी के दो बड़े अस्पतालों की जांच की है. एक अस्पताल डीएवी स्कूल बरियातू के […]

दवाओं की कीमतों में हेराफेरी करनेवाले अस्पतालों की जांच शुरू
रांची : दवा कंपनियों से सांठगांठ कर मरीजों से एक ही दवा की दो कीमत वसूलनेवाले अस्पतालों की जांच भी शुरू हो गयी है. औषधि निरीक्षकों ने दो दिनाें में राजधानी के दो बड़े अस्पतालों की जांच की है. एक अस्पताल डीएवी स्कूल बरियातू के पास स्थित है, जबकि दूसरा रिम्स के पास है. जांच में औषधि निरीक्षकों को दोनों जगह कई गड़बड़ियां मिली हैं.
डीएवी स्कूल बरियातू के पास स्थित अस्पताल में मरीजों को दिन में दी जानेवाली दवाओं का कंप्यूटराइज्ड बिल जारी किया जाता है. वहीं, उसी मरीज को रात में दी जानेवाली दवा का बिल मैनुअल दिया जाता है. कई मरीजों की दवा का क्रेडिट नोट भी जारी किया गया है. मरीजों को छुट्टी के समय दिया जाने वाला दवाओं का बिल भी मैनुअल है. इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा कार्ड के माध्यम से इलाज करानेवाले मरीजों की दवाओं का बिल अधिक मिला है.
इधर, रिम्स के पास स्थित दूसरे निजी अस्पतालों की जांच की गयी, जिसमें एंटीबाॅयोटिक के रूप में प्रयोग होनेवाली दवाओं की खरीद-बिक्री का पूर्ण बिल प्रस्तुत नहीं किया गया. अस्पताल द्वारा हड्डी इंप्लांट बिल का अस्पताल के नाम पर जारी नहीं किया जाता है. डिस्ट्रीब्यूटर सीधे मरीज के नाम से बिल जारी करता है. टीम ने प्रथम दृष्टि में इसको ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट का उल्लंघन माना है.
औषधि निरीक्षकों ने दो दिन में शहर के दो बड़े अस्पतालों की जांच की, कई गड़बड़ियां पकड़ीं
एक अस्पताल डीएवी स्कूल बरियातू के पास स्थित है, जबकि दूसरा रिम्स के पास चलता है
जांच में ये गड़बड़ियां भी मिलीं
– छुट्टी के समय मरीजों को दवाओं का मैनुअल बिल देता है अस्पताल -स्वास्थ्य बीमा कार्ड से इलाज करानेवालों की दवाओं का बिल अधिक -एंटीबाॅयोटिक दवाओं की खरीद-बिक्री का पूर्ण बिल प्रस्तुत नहीं किया.
कॉरपोरेट अस्पतालों की जांच में आयेंगे चौंकाने वाले तथ्य
जांच टीम के सदस्यों का कहना है कि छोटे अस्पताल में ऐसी गड़बड़ी मिल रही हैं, तो कॉरपोरेट अस्पताल में बड़ी गड़बड़ियां मिलेंगी, क्योंकि ये अस्पताल सीधे कंपनी से सांठगांठ कर दवाएं मंगाते हैं. राजधानी के एक बड़े शिशु अस्पताल में एक ही कंपनी की दो कीमतों वाली दवाओं को धड़ल्ले से खपाया जाता है. इस अस्पताल में गंभीर अवस्था में बच्चे भर्ती कराये जाते हैं, जहां जीवनरक्षक दवाओं को प्रयोग ज्यादा होता है.
दवा कंपनियों में मची खलबली, निकाल रहे एक-दूसरे की कमियां
राज्य में कंपनियों व अस्पताल के सांठगांठ की खबर छपने के बाद क्रिटिकल केयर की दवा बनानेवाली कंपनियाें में खलबली मची है. एक डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि कंपनी यह प्रयास करने में लगी है कि आखिर दो कीमतों की दवा की जानकारी कहां से लीक हो गयी?
कैसे इसकी जानकारी अखबार के पास पहुंच गयी? वह अस्पतालों से संपर्क कर रही है कि डॉक्टर कैसे दवाआें को लिखने में सावधानी नहीं बरती और मामले का उजागर हो गया. वहीं, कंपनियां एक-दूसरे की कमी निकालने में लग गयी हैं. कंपनी दूसरी कंपनियों के दो कीमतोंवाली दवाओं का साक्ष्य जुटाने में लगी हैं.
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