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अप्रैल से हो सकता है बालू संकट 400 घाटों से नहीं हो सकता खनन

सुनील चौधरी, रांची : अप्रैल से झारखंड में बालू संकट हो सकता है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश (13 सितंबर 2018 और 11 दिसंबर 2018) के आलोक में पांच से 25 हेक्टेयर तक के बालू घाटों के पर्यावरणीय स्वीकृति में इनवाॅयरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट (इआइए), इनवाॅयरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (इएमपी) और जनसुनवाई अनिवार्य कर दी गयी […]

सुनील चौधरी, रांची : अप्रैल से झारखंड में बालू संकट हो सकता है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश (13 सितंबर 2018 और 11 दिसंबर 2018) के आलोक में पांच से 25 हेक्टेयर तक के बालू घाटों के पर्यावरणीय स्वीकृति में इनवाॅयरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट (इआइए), इनवाॅयरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (इएमपी) और जनसुनवाई अनिवार्य कर दी गयी है.

झारखंड के करीब 400 बालू घाटों ऐसे हैं, जो पांच हेक्टेयर से कुछ अधिक क्षेत्रों में फैले हैं. इन बालू घाटों से उत्खनन बंद होने की संभावना है. बालू संकट से कैसे निपटा जाये, इसको लेकर मुख्य सचिव से लेकर वरीय अधिकारियों की बैठक होरही है.
सरकार भी मान रही है कि इस प्रक्रिया को पूरा करने में छह से सात माह लग जायेंगे. पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसे लेकर उच्चस्तरीय बैठक भी हुई. बैठक में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव, खान सचिव, एसइआइएए के अध्यक्ष, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष, खान निदेशक, एसइएसी के सदस्य सचिव शामिल थे. इसमें कहा गया कि इआइए और इएमपी प्रक्रिया पूरी करने में छह से सात माहलग जायेंगे. पूर्व में नीलामी द्वारा संचालित बालू घाटों की अवधि या तो समाप्त हो गयी है या मार्च में समाप्ति पर है.
ऐसी परिस्थिति में राज्य को बालू की कमी का सामना करना पड़ेगा. मुख्य सचिव ने इआइए, इएमपी और जनसुनवाई की प्रक्रिया जल्द कैसे पूरी हो सकती है, इस बाबत सुझाव तैयार करने का निर्देश दिया है. साथ ही जनसुनवाई के लिए दो से तीन बालू घाटों को मिला कर इसका आयोजन करने का निर्देश दिया गया है. वहीं एसइआइएए/एइएसी को बालू घाटों के पर्यावरणीय अनापत्ति के लिए दाखिल आवेदन पर अविलंब कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.
क्या है एनजीटी का आदेश
अब पांच से 25 हेक्टेयर तक के बालू घाटों के पर्यावरणीय स्वीकृति में इनवाॅयरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट (इआइए) और इनवाॅयरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (इएमपी) एवं जनसुनवाई अनिवार्य.
कुल 654 बालू घाट
झारखंड में इस समय 654 बालू घाट हैं. इसमें करीब 400 बालू घाट ऐसे हैं, जो पांच हेक्टेयर से कुछ अधिक हैं. ऐसे सभी बालू घाटों से जेएसएमडीसी उत्खनन नहीं कर पायेगा. जब तक कि पर्यावरण स्वीकृति नहीं ले पाता. इन बालू घाटों के संबंध में कहा गया है कि सीओ एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी से एनओसी प्राप्त कर लें. इसके लिए ग्राम सभा की आवश्यकता नहीं है.
जेएसएमडीसी कर रहा उत्खनन
राज्य सरकार ने सभी बालू घाटों पर अब जेएसएमडीसी को अधिकार दे दिया है. जेएसएमडीसी द्वारा अप्रैल से बालू उत्खनन की तैयारी की जा रही थी. इसी दौरान एनजीटी के आदेश आने के बाद अब सभी बालू घाटों के लिए इआइए, इएमपी एवं जनसुनवाई अनिवार्य हो गया है. यानी अप्रैल के बाद राज्य में बालू की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.

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