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मंडल डैम परियोजना के विरोध में AIPF ने राजभवन के सामने दिया धरना

रांची : झारखंड में कई बड़े-बड़े डैम पहले से बनाये गये हैं. इससे करोड़ों आदिवासी एवं किसान विस्थापित हुए हैं. उन्हें अपने गांव, जमीन, खेत एवं जंगल से बेदखल किये गये. चांडिल जैसे बड़े डैम से भी गांव और किसानों को सिंचाई इत्यादि के लिए पानी नहीं मिल रहा है. अब फिर रायसा डैम परियोजना […]

रांची : झारखंड में कई बड़े-बड़े डैम पहले से बनाये गये हैं. इससे करोड़ों आदिवासी एवं किसान विस्थापित हुए हैं. उन्हें अपने गांव, जमीन, खेत एवं जंगल से बेदखल किये गये. चांडिल जैसे बड़े डैम से भी गांव और किसानों को सिंचाई इत्यादि के लिए पानी नहीं मिल रहा है. अब फिर रायसा डैम परियोजना से फिर से आदिवासियों व किसानों को उजाड़ने की कोशिश है. इसके विरुद्ध हम जन आंदोलन के संकल्प की घोषणा करते हैं.

ये बात ऑल इंडिया फोरम के राष्ट्रीय अभियान सदस्य दयामनी बारला ने रायसा जलाशय के खिलाफ राजभवन के समक्ष आयोजित धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही. भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा कि झारखंड और देश की मौजूदा सरकार झूठ एवं फरेब की राजनीति चल रही है.

झारखंड एवं देश की जनता, किसान, आदिवासियों और नवजवानों को झूठे वादे कर झांसा दिया जा रहा है. विकास के नाम पर किसानों-आदिवासियों की जमीन हड़पी जा रही है. रायसा जलाशय परियोजना से भी जनता को विस्थापित एवं जमीन से बेदखल किया जा रहा है. झारखंड में दामोदर, स्वर्णरेखा, शंख, कोयलकारो, उत्तर कोइल जैसी सारी बड़ी नदियों में बड़े बांध परियोजना के तहत बड़े-बड़े डैम बनाये गये हैं. लेकिन उनका लाभ गांव और किसानों को नहीं मिल रहा है.

रायसा और मंडल डैम भी किसानों-आदिवासियों के लिए नहीं बल्कि धनवानों और बड़े पूंजीपति औद्योगिक एवं कॉरपोरेट घरानों के लाभ के लिए रघुवर एवं मोदी सरकार की योजना है. उत्तर कोयल नदी पर निर्मित मंडल से पलामू प्रमंडल के किसानों को नहीं, बिहार के गया एवं औरंगाबाद जिले के बड़े किसानों एवं पूंजीपतियों को पानी मिलेगा.

एआईपीएफ से जुड़े और रायसा जलाशय से प्रभावित गितिलडीह के गौतम सिंह मुंडा ने कहा कि किसानों के नाम पर योजनाएं बनती हैं, लेकिन लाभ औद्योगिक एवं कॉरपोरेट घरानों को लाभ दिलाने के हैं. इस सरकार की सोच व नीति आदिवासी व किसानों के हित में नहीं है. उन्होंने रायसा जलाशय परियोजना के मामले में कहा कि सरकार एवं भू-अर्जन विभाग द्वारा 5वीं अनूसूची, सीएनटी, पेसा व वनाधिकार कानून का उल्लंघन किया जा रहा है.

धरना को माले के जिला सचिव भुनेश्वर केवट, एआईपीएफ के जेवियर कुजूर, नदीम खान, बशीर अहमद के अलावा हुमटा ग्राम सभा से सुखदेव मुंडा, लखीमनी मुंडा, रामेश्वर मुंडा, ठाकुरा मुंडा, डोमा मुंडा, महाबीर मुंडा, जगेन मुंडा, भीष्म महता, जगमोहन महतो, रोहित मुंडा, शांति सेन, सिनगी खलखो, आदि ने संबोधित किया. अंत में रायसा जलाशय को रद्द करने की मांग को लेकर राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा गया. धरना में परियोजना से प्रभावित सात गांवों के महिला-पुरुष शामिल हुए. सभा की अध्यक्षता सुखराम मुंडा और संचालन सुदामा ने किया.

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