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बदलते रहे हैं चेहरे, जानें झारखंड के हर सीट का हाल, अभी किस पार्टी का है कब्‍जा और किसका दबदबा

हर सीट पर रहा है घमसान चुनावी बिगुल बज चुका है. अब सियासी सरगर्मी परवान चढ़ेगी. पिछले चुनाव यानि 2014 में झारखंड में भाजपा नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार थी. 14 लोकसभा में से भाजपा ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया. झारखंड में चार चरणों में चुनाव होना है. इन चार दिनों में यूपीए-एनडीए […]

हर सीट पर रहा है घमसान
चुनावी बिगुल बज चुका है. अब सियासी सरगर्मी परवान चढ़ेगी. पिछले चुनाव यानि 2014 में झारखंड में भाजपा नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार थी. 14 लोकसभा में से भाजपा ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया.
झारखंड में चार चरणों में चुनाव होना है. इन चार दिनों में यूपीए-एनडीए सहित दूसरे दलों के राजनीतिक बाजीगरों के भाग्य का फैसला होगा. 23 मई को मतपेटी के साथ जनता का फैसला सामने आयेगा. एक-एक सीट पर शह-मात का खेल होगा. झारखंड में जनता का मूड भांपना आसान नहीं है. सांसदों के चेहरे बदलते रहे हैं. हर सीट पर जबरदस्त घमासान रहा है. इस बार भी चुनाव रोचक होगा. भाजपा की घेराबंदी तोड़ना विपक्षियों की रणनीति होगी़
रांची
वोट प्रतिशत (2014) 63.68
भाजपा-कांग्रेस का ही रहा है कब्जा
रांची संसदीय सीट पर कांग्रेस और भाजपा का ही कब्जा रहा है. यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल चलता रहा है़ एक बार बीएलडी और एक बार जनता दल ने यह सीट जीती है. भाजपा पांच बार और कांग्रेस का छह बार कब्जा रहा है. भाजपा से पांचों बार रामटहल चौधरी चुनाव जीते हैं, जबकि कांग्रेस से इस सीट पर दो बार शिव प्रसाद साहू और दो बार सुबोधकांत सहाय जीते हैं. इससे पूर्व 1967 और 1977 में इस सीट से पीके घोष चुनाव जीते थे. सुबोधकांत सहाय एक बार जनता दल की टिकट से भी चुनाव जीत चुके हैं.
खूंटी
वोट प्रतिशत (2014) 66़ 34
कड़िया बड़ी चुनौती, आठ बार के हैं सांसद
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता कड़िया मुंडा के गढ़ को ढाहने की चुनौती विपक्षी दलों पर होगी. कड़िया मुंडा इस सीट से आठ बार चुनाव जीत चुके हैं. 1977 में पहली बार वह बीएलडी की टिकट पर चुनाव जीते थे. इसके बाद 1989 से 1999 तक लगातार सांसद रहे. 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने यह सीट कांग्रेस को दिलायी. इसके बाद से लगातार कड़िया मुंडा चुनाव जीतते आ रहे हैं. श्री मुंडा कई बार केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. लोकसभा में उपाध्यक्ष भी थे.
लोहरदगा
वोट प्रतिशत (2014) 58़ 23
कांग्रेस की पारंपरिक सीट पर भाजपा का कब्जा
लोहरदगा 1989 से पहले कांग्रेस का पारंपरिक सीट रही है. इससे पूर्व के एक चुनाव को छोड़ दें, तो हर बार कांग्रेस जीतता रहा है. इस सीट पर पिछले दो बार से लगातार भाजपा जीत रही है. इससे पूर्व भाजपा के ललित उरांव भी दो बार इस सीट के नेतृत्व कर चुके हैं.
एक बार क्षेत्र की जनता ने दुखा भगत को भी दिल्ली भेजा था. कांग्रेस के कार्तिक उरांव तीन बार और सुमति उरांव दो बार जीत चुकी है. 2004 में आइपीएस रहे डॉ रामेश्वर उरांव भी यह सीट जीत चुके हैं. कार्तिक उरांव, सुदर्शन भगत व रामेश्वर उरांव यहां से केंद्र में मंत्री रह चुके हैं.
गिरिडीह
वोट प्रतिशत (2014) 64़ 25
भाजपा-झामुमो के बीच रही है मुख्य लड़ाई
गिरिडीह भाजपा का गढ़ रहा है. पिछले चार चुनावों मे से तीन में भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की है. 2004 में केवल एक बार झामुमो ने चुनाव जीता है. झामुमो गिरिडीह सीट पर भाजपा का मुख्य विरोधी है. पिछले दो चुनावों में झामुमो के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं. राज्य गठन के पूर्व 1999 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे. इस सीट से भाजपा के वर्तमान सांसद रवींद्र पांडेय 1996 से ही यह सीट जीतते रहे हैं. वह एक बार 2004 में झामुमो के टेकलाल महतो से चुनाव हारे थे.
धनबाद
वोट प्रतिशत (2014) 60़ 53
वामदल के गढ़ में घुसी भाजपा कांग्रेस से चुनौती
धनबाद भाजपा की परंपरागत सीट रही है. वर्ष 2004 को छोड़ कर लगातार यहां से भाजपा के प्रत्याशी जीत हासिल करते रहे हैं. वर्तमान सांसद भाजपा पीएन सिंह 2014 में लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे. इस सीट से कांग्रेस भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंदी है. पिछले लगातार दो चुनाव से कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे. 2004 में कांग्रेस के उम्मीदवार ने भाजपा को मात दी थी. इससे पहले मासस (मार्क्सवादी समन्वय समिति )के एके राय इस सीट से जीतकर संसद पहुंचते रहे थे.
हजारीबाग
वोट प्रतिशत (2014) 63. 68
भाजपा-कांग्रेस के बीच होता रहा है मुकाबला
हजारीबाग सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. वर्ष 2004 को छोड़ कर लगातार इस सीट पर भाजपा चुनाव जीतती रही है. हजारीबाग में भाजपा का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी रही है. हालांकि, 2004 में सीपीआइ के प्रत्याशी ने भाजपा को पछाड़ कर जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद हुए दो चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी नंबर दो के पोजिशन पर रहे. वहीं, राज्य गठन के पूर्व 1999 में हुए आम चुनाव में राजद प्रत्याशी नंबर पर थे. मौजूदा समय में इस सीट से जयंत सिन्हा केंद्रीय राज्य मंत्री हैं.
कोडरमा
वोट प्रतिशत (2014) 62़ 51
किसी की परंपरागत सीट नहीं
कोडरमा सीट किसी भी दल की परंपरागत सीट नहीं कही जा सकती है. पिछले चार चुनावों में भाजपा प्रत्याशी ने दो बार जीत का स्वाद चखा है. एक बार कांग्रेस उम्मीदवार ने भाजपा को हरा कर जीत हासिल की है. कोडरमा से दो बार सांसद चुने गये बाबूलाल मरांडी ने एक बार भाजपा और एक बार झाविमो प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता है. गत दो चुनावों में माले प्रत्याशी नंबर दो पर रहे हैं. हालांकि, नये प्रत्याशी को यहां के वोटर ज्यादाता तरजीह देते दिखायी देते हैं.
चुनाव : छह मई
नामांकन की शुरुआत : 10 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 18 अप्रैल
नामवापसी – 22 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
18,55,535 9,70,465 8,85,010
1999
जीते : रामटहल चौधरी (भाजपा)
हारे : केके तिवारी (कांग्रेस)
2004
जीते : सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)
हारे : रामटहल चौधरी (भाजपा)
2009
जीते : सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)
हारे : रामटहल चौधरी (भाजपा)
2014
जीते : रामटहल चौधरी (भाजपा)
हारे : सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)
मतदान : छह मई
नामांकन की शुरुआत : 10 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 18 अप्रैल
नामवापसी – 22 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
11,74,643 5,89,866 5,84,770
1999
जीते : कड़िया मुंडा (भाजपा)
हारे : सुशीला केरकेट्टा (कांग्रेस)
2004
जीते : सुशीला केरकेट्टा (कांग्रेस)
हारे : कड़िया मुंडा (भाजपा)
2009
जीते : कड़िया मुंडा (भाजपा)
हारे : नियल तिर्की (कांग्रेस)
2014
जीते : कड़िया मुंडा (भाजपा)
हारे : एनोस एक्का (झापा)
मतदान : 29 अप्रैल
नामांकन की शुरुआत : 2 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 9 अप्रैल
नामवापसी – 12 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
12,10,486 6,18,417 5,92,038
1999
जीते : दुखा भगत (भाजपा)
हारे : इंद्रनाथ भगत (कांग्रेस)
2004
जीते : रामेश्वर उरांव (कांग्रेस)
हारे : दुखा भगत (भाजपा)
2009
जीते : सुदर्शन भगत (भाजपा)
हारे : रामेश्वर उरांव (कांग्रेस)
2014
जीते : सुदर्शन भगत (भाजपा)
हारे : रामेश्वर उरांव (कांग्रेस)
मतदान : 12 मई
नामांकन की शुरुआत : 16 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 23 अप्रैल
नामवापसी – 26 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
16,27,828 8,67,986 7,59,824
1999
जीते : रवींद्र पांडेय (भाजपा)
हारे : राजेंद्र प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
2004
जीते : टेकलाल महतो (झामुमो)
हारे : रवींद्र पांडेय (भाजपा)
2009
जीते :रवींद्र पांडेय (भाजपा)
हारे : टेकलाल महतो (झामुमो)
2014
जीते : रवींद्र पांडेय (भाजपा)
हारे : जगन्नाथ महतो (झामुमो)
मतदान : 12 मई
नामांकन की शुरुआत : 16 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 23 अप्रैल
नामवापसी – 23 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
20,44,802 11,09,541 9,35,234
1999
जीते : रीता वर्मा (भाजपा)
हारे : एके राय, एमसीओ
2004
जीते : चंद्रशेखर दूबे (कांग्रेस)
हारे : रीता वर्मा (भाजपा)
2009
जीते : पीएन सिंह (भाजपा)
हारे : चंद्रशेखर दूबे (कांग्रेस)
2014
जीते : पीएन सिंह (भाजपा)
हारे : अजय दूबे (कांग्रेस)
मतदान : छह मई
नामांकन की शुरुआत : 10 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 18 अप्रैल
नामवापसी – 22 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
16,35,509 8,69,616 7,65,881
1999
जीते : यशवंत सिन्हा (भाजपा)
हारे : अकलू राम महतो (राजद)
2004
जीते : भुवनेश्वर मेहता (सीपीआइ)
हारे : यशवंत सिन्हा (भाजपा)
2009
जीते : यशवंत सिन्हा (भाजपा)
हारे : साैरभ नारायण सिंह (कांग्रेस)
2014
जीते : जयंत सिन्हा (भाजपा)
हारे : सौरभ नारायण सिंह (कांग्रेस)
मतदान : छह मई
नामांकन की शुरुआत : 10 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 18 अप्रैल
नामवापसी – 22 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
17,79,737 9,41,353 8,38,369
1999
जीते : तिलकधारी प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
हारे : रीतलाल प्रसाद वर्मा (भाजपा)
2004
जीते : बाबूलाल मरांडी (भाजपा)
हारे : चंपा वर्मा (झामुमो)
2009
जीते : बाबूलाल मरांडी (झाविमो)
हारे : राजकुमार यादव (माले)
2014
जीते : रवींद्र कुमार राय (भाजपा)
हारे : राजकुमार यादव (माले)
चतरा
वोट प्रतिशत (2014) 54़ 32
राजद-कांग्रेस का खूंटा हिला कर जीती भाजपा
वर्ष 1999 से 2014 तक के लोकसभा चुनाव में चतरा लोकसभा सीट पर दो चुनाव में राजद के प्रत्याशी विजयी रहे थे, जबकि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में इंदर सिंह नामधारी चुनाव जीते थे. वर्ष 1999 में धीरेंद्र अग्रवाल भाजपा से चुनाव हार गये थे, जबकि वर्ष 2004 में धीरेंद्र अग्रवाल आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे. इसके बाद के दो चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी धीरज साहू को हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2009 में इंदर सिंह नामधारी एवं वर्ष 2014 में भाजपा के सुनील कुमार सिंह चुनाव जीते.
पलामू
वोट प्रतिशत (2014) 59़ 43
राज्य गठन के बाद पहली बार जीती भाजपा
राज्य गठन के बाद भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2014 में पहली बार पलामू सीट पर जीत दर्ज कर सकी. वर्ष 2014 में भाजपा ने पूर्व डीजीपी बीडी राम को टिकट दिया. गत चार लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा ने दो बार जीत दर्ज की है. वर्ष 1999 में भाजपा के ब्रजमोहन राम व 2014 में बीडी राम सांसद चुने गये. इस बीच में वर्ष 2004 में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार व वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव झामुमो के टिकट पर कामेश्वर बैठा चुनाव जीते थे. पिछले चार में से तीन लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे.
जमशेदपुर
वोट प्रतिशत (2014) 66़ 33
भाजपा-झामुमो का रहा दबदबा कांग्रेस भी जीती
जमशेदपुर लोकसभा सीट पर अभी भाजपा के विद्युतवरण महतो का कब्जा है. इस सीट के अंदर छह विधानसभा क्षेत्र जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, घाटशिला, पोटका, बहरागोड़ा और जुगसलाई आते हैं. इनमें से चार पर भाजपा का कब्जा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार उपचुनाव जीतकर यहां से सांसद बने थे. यहां से 2004 में झामुमो के सुनील महतो सांसद बने थे. बाद में उनकी पत्नी सुमन महतो यहां से चुनाव लड़ीं और सांसद बनी. शैलेंद्र महतो व उनकी पत्नी सुमन महतो दो-दो बार इसी सीट से जीत चुके हैं.
सिंहभूम
वोट प्रतिशत (2014) 69़ 00
कांग्रेस का है दबदबा, अभी भाजपा का कब्जा
सिंहभूम लोकसभा सीट के अंदर पश्चिम सिंहभूम के पांच व सरायकेला-खरसांवा के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 1952 से 1962 तक झारखंड पार्टी यहां से लगातार जीतती रही. बागुन सुंब्रुई सबसे अधिक पांच बार यहां से सांसद बने.
तीन बार कांग्रेस से व एक-एक बार अॉल इंडिया झारखंड पार्टी व जनता पार्टी से उन्होंने जीत हासिल की थी. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी सांसद रह चुके है़ं सिंहभूम लोकसभा सीट में आदिवासी मतदाताओं की संख्या निर्णायक है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा दो बार इस सीट से सांसद रहे है़ं
राजमहल
वोट प्रतिशत (2014) 71़ 02
कांग्रेस-झामुमो के बीच हाेता रहा है टक्कर
संतालपरगना का राजमहल सीट कांग्रेस और झामुमो की परंपरागत सीट रही है़ पांच बार कांग्रेस व चार बार झामुमो का रहा है कब्जा.
एक बार बीएलडी और एक बार भाजपा ने यह सीट जीती है. झामुमो से साईमन मरांडी ने 1989 व 1991 में, 2004 में हेमलाल मुर्मू व 2014 में विजय हांसदा ने जीत दर्ज की है. 2009 में एक बार भाजपा के देवीधन बेसरा ने यह सीट जीती.1977 में बीएलडी के फादर एंथोनी मुर्मू ने यह सीट जीती थी. तब यह सीट संयुक्त बिहार में थी. वर्ष 2000 राज्य गठन के समय कांग्रेस के थामस हांसदा सांसद थे.
दुमका
वोट प्रतिशत (2014) 70़ 94
शिबू सोरेन का गढ़ ढाहने की चुनौती
झामुमो के दिग्गज नेता नेता शिबू सोरेन के गढ़ को ढाहने की चुनौती अन्य दलों की होगी. शिबू सोरेन इस सीट से छह बार चुनाव जीत चुके हैं. 1989 में पहली बार वह झामुमो की टिकट पर चुनाव जीते थे.
इसके बाद लगातार वह सांसद रहे हैं. केवल एक बार 1999 में भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने इस सीट पर कब्जा जमाया था. इसके बाद लगातार शिबू सोरेन ही सांसद हैं. झामुमो का यह गढ़ माना जाता है. श्री सोरेंन केंद्र में यूपीए की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. झारखंड के सीएम भी वह रह चुके हैं.
गोड्डा
वोट प्रतिशत (2014) 65़ 58
पांच बार भाजपा का रहा है कब्जा
गोड्डा सीट पर 1989 से ही भाजपा का ही कब्जा रहा है. इससे पूर्व के एक चुनाव को छोड़ दें, तो हर बार कांग्रेस जीतती रहा है. इस सीट पर पिछले दो बार से लगातार भाजपा जीत रही है. इससे पूर्व 2004 में कांग्रेस के फुरकान अंसारी ने चुनाव जीता था. 1989 में भाजपा के जनार्दन यादव ने पहली बार इस सीट को भाजपा को दिलायी.
फिर 1996 और 1999 में जगदंबी प्रसाद यादव भाजपा के टिकट पर दो बार इस सीट के नेतृत्व कर चुके हैं. वह 1977 में भी बीएलडी के टिकट पर इस क्षेत्र के सांसद रह चुके हैं. 2009 से भाजपा के निशिकांत दुबे सांसद हैं.
मतदान : 29 अप्रैल
नामांकन की शुरुआत : दो अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – नौ अप्रैल
नाम वापसी – 12 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
13,98,814 7,34,907 6,59,896
1999
जीते : नागमणी (आरजेडी)
हारे : धीरेंद्र अग्रवाल (बीजेपी)
2004
जीते : धीरेंद्र अग्रवाल (आरजेडी)
हारे : इंदर सिंह नामधारी (बीजेपी)
2009
जीते : इंदर सिंह नामधारी (निर्दलीय)
हारे : धीरज कुमार साहू (कांग्रेस)
2014
जीते : सुनील सिंह (भाजपा)
हारे : धीरज कुमार साहू (कांग्रेस)
मतदान : 29 अप्रैल
नामांकन की शुरुआत : 02 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 09 अप्रैल
नाम वापसी – 12 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
18,50,485 9,98,001 8,52,459
1999
जीते : ब्रजमोहन राम (बीजेपी)
हारे : जोरावर राम (आरजेडी)
2004
जीते : मनोज कुमार (आरजेडी)
हारे : ब्रजमोहन राम (भाजपा)
2009
जीते : कामेश्वर बैठा (झामुमो)
हारे : घूरन राम (आरजेडी)
2014
जीते : वीडी राम (भाजपा)
हारे : मनोज कुमार (आरजेडी)
मतदान : 12 मई
नामांकन की शुरुआत : 16 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 23 अप्रैल
नाम वापसी – 26 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
16,70,371 8,55,831 8,14,481
1999
जीते : आभा महतो (भाजपा)
हारे : घनश्याम महतो (कांग्रेस)
2004
जीते : सुनील कुमार महतो (झामुमो)
हारे : आभा महतो (भाजपा)
2009
जीते : डॉ अजय कुमार (जेवीएम)
हारे : सुमन महतो (झामुमो)
2014
जीते : विद्युत वरण महतो (भाजपा)
हारे : डॉ अजय (झाविमो)
मतदान : 12 मई
नामांकन की शुरुआत : 16 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 23 अप्रैल
नाम वापसी – 26 अप्रैल
कुल वोट पुरुष महिला
12,47,639 6,25,587 6,22,034
1999
जीते : लक्ष्मण गिलुवा (भाजपा)
हारे : विजय सोय (कांग्रेस)
2004
जीते : बागुन सुंब्रुई (कांग्रेस)
हारे : लक्ष्मण गिलुवा (भाजपा)
2009
जीते : मधु कोड़ा (निर्दलीय)
हारे : बड़कुंवर गगराई (भाजपा)
2014
जीते : लक्ष्मण गिलुवा (भाजपा)
हारे : गीता कोड़ा (निर्दलीय)
मतदान : 19 मई
नामांकन की शुरुआत : 22 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 29 अप्रैल
नाम वापसी – 02 मई
कुल वोट पुरुष महिला
14,34,506 7,31,659 7,02,840
1999
जीते : थॉमस हांसदा (कांग्रेस)
हारे : सोम मरांडी (भाजपा)
2004
जीते : हेमलाल मुर्मू (झामुमो)
हारे : थॉमस हांसदा (कांग्रेस)
2009
जीते : देवीधन बेसरा (भाजपा)
हारे : हेमलाल मुरमू (झामुमो)
2014
जीते : विजय हांसदा (झामुमो)
हारे : हेमलाल मुरमू (भाजपा)
मतदान : 19 मई
नामांकन की शुरुआत : 22 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 29 अप्रैल
नाम वापसी – 02 मई
कुल वोट पुरुष महिला
13,63,714 7,01,538 6,62,165
1999
जीते : बाबूलाल मरांडी (भाजपा)
हारे : रूपी सोरेन (झामुमो)
2004
जीते : शिबू सोरेन (झामुमो)
हारे : सोनेलाल हेंब्रम (भाजपा)
2009
जीते : शिबू सोरेन (झामुमो)
हारे : सुनील सोरेन (भाजपा)
2014
जीते : शिबू सोरेन (झामुमो)
हारे : सुनील सोरेन (भाजपा)
मतदान : 19 मई
नामांकन की शुरुआत : 22 अप्रैल
नामांकन की अंतिम तिथि – 29 अप्रैल
नाम वापसी – 02 मई
कुल वोट पुरुष महिला
16,91,410 8,92,930 7,98,474
1999 जीते : जगदंबी प्रसाद यादव (भाजपा)
हारे : सूरज मंडल (झामुमो)
2004
जीते : फुरकान अंसारी (कांग्रेस)
हारे : प्रदीप यादव (भाजपा)
2009
जीते : निशिकांत दुबे (भाजपा)
हारे : फुरकान अंसारी (कांग्रेस)
2014
जीते : निशिकांत दुबे (भाजपा)
हारे : फुरकान अंसारी (कांग्रेस)

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