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Friday, March 29, 2024

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झारखंड की खदाने बनेंगी अत्याधुनिक, 10 हजार करोड़ खर्च करेगी सेल

किरीबुरू/रांची : इस्पात देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वर्ष 2030 तक देश में 300 मिलियन टन क्रूड इस्पात उत्पादन का लक्ष्य है. ऐसे में सेल को भी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर देश के विकास में योगदान देना है. उक्त बातें केंद्रीय इस्पात, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही. वे दो […]

किरीबुरू/रांची : इस्पात देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वर्ष 2030 तक देश में 300 मिलियन टन क्रूड इस्पात उत्पादन का लक्ष्य है. ऐसे में सेल को भी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर देश के विकास में योगदान देना है. उक्त बातें केंद्रीय इस्पात, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही. वे दो दिवसीय दौरे पर किरीबुरू पहुंचे थे.

मंत्री ने कहा कि झारखंड की खदानों को अत्याधुनिक बनाने व विस्तारीकरण के लिए सेल 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. वहीं ओड़िशा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की खदानों को अत्याधुनिक बनाया जायेगा. गुआ और बोलानी खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 10 मिलियन टन बढ़ानी है. लौह अयस्क खदान के अलावा सेल तसरा कोयला खदान को उत्पादन के लिए विकसित कर रही है.
खदान व आसपास के क्षेत्रों में विकास पर दिया जोर
मंत्री ने आरएमडी सेल की गुआ व बोलानी खदान और टाटा स्टील की नोवामुंडी खदान का दौरा किया. उन्होंने खनन प्रणाली और प्रबंधन को देखा. मंत्री ने सेल की ओर से संचालित एकलव्य आर्चरी अकादमी, सारंडा सुवन छात्रावास, किरण महिला स्वरोजगार केंद्र को देखा. खदान के आसपास के क्षेत्रों का समायोजित विकास करने पर जोर दिया.
  • वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन क्रूड इस्पात उत्पादन का तय किया गया है लक्ष्य
  • तसरा कोयला खदान को उत्पादन के लिए विकसित कर रही है सेल
किरीबुरू व मेघाहातुबुरू खदान नहीं जा सके मंत्री
केंद्रीय मंत्री को किरीबुरू व मेघाहातुबुरू खदान का निरीक्षण करना था. लेकिन बारिश के कारण वहां नहीं जा सके. वहीं मेघाहातुबुरू खदान की नयी बकेट व्हील रिक्लेमर मशीन का उद्घाटन भी नहीं कर सके. इस खदान की निष्पादन क्षमता दो हजार टन प्रति घंटा से बढ़कर तीन हजार टन प्रति घंटा होगी.
स्टील प्लांटों को बाहर से अयस्क नहीं खरीदना पड़े, इसके लिए उचित कदम उठायें
मंत्री ने शाम में सेल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान भविष्य में लौह अयस्क की आत्मनिर्भरता व इसमें आनेवाली परेशानियों और कठिनाइयों से अवगत कराया गया. श्री प्रधान ने सेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्टील प्लांटों को अयस्क बाहर से नहीं खरीदना पड़े. इसके लिए उचित कदम उठायें. सेल को स्वर्णिम ऊंचाई पर ले जाने के लिए विशेष निर्देश दिये.
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