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खास बातचीत में बोले पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी- 2005 में झारखंड विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ना सबसे बड़ी भूल

अमर शक्तिकोलकाता : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का जो लोग विरोध कर रहे हैं, वे आनेवाले दिनों में अलग-थलग हो जायेंगे. कोई उनकी सुननेवाला नहीं होगा. केंद्र सरकार जो कानून लायी है, वह नागरिकता देने के लिए है न कि नागरिकता छीनने के लिए. इसलिए इसका विरोध सही नहीं है. जो भी इसका विरोध कर […]

अमर शक्ति
कोलकाता :
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का जो लोग विरोध कर रहे हैं, वे आनेवाले दिनों में अलग-थलग हो जायेंगे. कोई उनकी सुननेवाला नहीं होगा. केंद्र सरकार जो कानून लायी है, वह नागरिकता देने के लिए है न कि नागरिकता छीनने के लिए. इसलिए इसका विरोध सही नहीं है. जो भी इसका विरोध कर रहे हैं, जल्द ही उनका भेद खुल जायेगा. ये बातें मंगलवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहीं. यहां प्रभात खबर के कार्यालय में वह देश-समाज से जुड़े मुद्दों पर बातचीत कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संसद में पास हो चुका है. इसे राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल चुकी है, इसलिए अब इसका विरोध करना सही नहीं है. यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है. इसका भारत के नागरिकों से कुछ लेना-देना ही नहीं. यही वजह है कि इस मामले में विरोध के नाम पर अराजकता फैलानेवाले जनता को यह नहीं बता रहे कि इसमें गलत क्या है. झाविमो की भावी रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी-अभी चुनाव हुआ है. कुछ समय में चीजें स्पष्ट होंगी. भाजपा में झाविमो के विलय को लेकर पूछे जाने पर ‘ ना ‘ नहीं कहने के बावजूद वह टाल-मटोल करते रहे. बार-बार कहते रहे कि अभी कुछ भी तय नहीं है.

कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करना झारखंड सरकार की सबसे बड़ी चुनौती

झारखंड में बनी नयी सरकार के बारे में बातचीत करते हुए श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करना ही राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. वहां नयी सरकार के बनते ही कानून-व्यवस्था की हालत बिगड़ती दिखने लगी है. पश्चिम सिंहभूम जिले में हुए सामूहिक नरसंहार की घटना कहें या लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकाले गये जुलूस के बाद तनाव, जगह-जगह स्थिति गड़बड़ दिख रही है. लोहरदगा में अभी भी स्थिति सामान्य नहीं है. वहां कर्फ्यू लगा हुआ है. श्री मरांडी ने कहा कि कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार को कठोरता दिखानी होगी. उसे निष्पक्ष रूप से बिना किसी भेद-भाव के फैसले लेने होंगे. आम लोगोंं की सुरक्षा व सुविधाओं की जिम्मेदारी सरकार की है और उसे इसकी गारंटी लेनी चाहिए.

झारखंड में भाजपा की हार का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट को लेकर जो कुछ हुआ, उसकी जरूरत नहीं थी. उससे बचा जा सकता था. इसके बाद वहां का माहौल बदला और फिर बदले माहौल में जो कदम उठाये गये, वे भी संभवत: नुकसानदेह साबित हुए. भाजपा के साथ अपनी पार्टी के विलय को लेकर पूछे जाने पर वह स्पष्ट ‘हां’ या ‘ना’ कहने से बचते रहे.

2005 में झारखंड विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ना सबसे बड़ी भूल

बातचीत के दौरान झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना, उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल थी. तब लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था. तब वह सांसद थे, इसलिए सांसद पद छोड़ कर विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए थे. वह मानते हैं कि यह उनकी सबसे बड़ी भूल थी. तब उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए था. पता नहीं तब लालकृष्ण आडवाणी ने उनके लिए कुछ और सोच रखा हो. अपने जीवन के एक और महत्वपूर्ण वाकये का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 2003 में जब उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था, तब की एक घटना ने भी उन्हें झकझोर दिया था. अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी सबसे शेयर नहीं करना चाहिए. तब उन्होंने अपनी कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक योजनाओं की जानकारी एक ऐसे व्यक्ति को दे दी, जिसने उन्हें सबसे बड़ी क्षति पहुंचायी. इस वजह से मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था.

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