25.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

झारखंड बजट पर एक्सपर्ट व्यू : क्वालिटी नहीं बल्कि आंकड़ों में उपलब्धि गिना रही सरकार

प्रो (डॉ) आरपीपी सिंह अर्थशास्त्री एवं पूर्व कुलपति कोल्हान विवि राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट पेश किया. इसमें कोई नयी चीज नहीं दिख रही. पुरानी योजनाअों को ही मुख्य रूप से जारी रखा गया है. सरकार के पूरे बजट से यह साफ हो गया कि किसी भी क्षेत्र में क्वालिटी पर नहीं, बल्कि […]

प्रो (डॉ) आरपीपी सिंह
अर्थशास्त्री एवं पूर्व कुलपति कोल्हान विवि
राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट पेश किया. इसमें कोई नयी चीज नहीं दिख रही. पुरानी योजनाअों को ही मुख्य रूप से जारी रखा गया है. सरकार के पूरे बजट से यह साफ हो गया कि किसी भी क्षेत्र में क्वालिटी पर नहीं, बल्कि आंकड़ों में ही अपनी उपलब्धि गिनाने में व्यस्त है.
मॉनिटरिंग सिस्टम पूरी तरह से फेल दिख रहा है. प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा में नामांकन अनुपात में वृद्धि हुई है, जबकि सच्चाई यह है कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा की क्वालिटी की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है. हालिया रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि 40 प्रतिशत पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी भी ठीक ढंग से दूसरी कक्षा की किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं.
दूसरी व तीसरी कक्षा के 50 प्रतिशत विद्यार्थी अक्षर ज्ञान नहीं जान पा रहे हैं. इसे हम किस तरह का विकास कहेंगे. सर्वे रिपोर्ट में उपलब्धि लक्ष्य येन केन प्रकारेण केवल आंकड़ों का लक्ष्य प्राप्त करना रह गया है. कई योजनाएं चला कर विद्यार्थियों का नामांकन बढ़ा रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता की अोर कोई ध्यान नहीं दिया गया. गुणवत्ता स्तर में सुधार के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा गया. उच्च शिक्षा की स्थिति चरमरा गयी है.
कई विभाग बिना शिक्षक के चल रहे हैं. नये-नये मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कही गयी, लेकिन जो पुराने हैं, उन पर गुणवत्ता व अन्य तकनीकी कारणों से एमसीआइ की तलवार हर समय लटक रही है. सरकार को गिड़गिड़ाना पड़ रहा है कि गुणवत्ता सुधार लेंगे. बजट में इसका जिक्र तक नहीं है. युवाअों को कुशल बनाने की बात की गयी है, लेकिन उनके शिक्षा के स्तर को नहीं देखा गया. स्किल मिशन फिलहाल निजी व सरकारी क्षेत्रों के बीच लूट का स्रोत बनता जा रहा है. कहीं मॉनिटरिंग नहीं हो रही.
स्वास्थ्य में भी नयी योजना नहीं है. ग्रामीण स्वास्थ्य पर ध्यान दिया गया, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया. ऐसे में योजना कितनी सफल होगी, कहा नहीं जा सकता. मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर पढ़ कर निकल रहे हैं, लेकिन अपने ही राज्य में डॉक्टर की नियुक्ति पद खाली रह जा रहे हैं. विशेषज्ञ डॉक्टर शहर में ही रहना चाह रहे हैं.
इस पर गंभीरता से सोचना होगा. मोहल्ला क्लिनिक खोला जा रहा है, लेकिन पंचायत स्तर पर जो स्वास्थ्य केंद्र खोले गये हैं, उसकी स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है. कुल मिलाकर योजना को धरातल लाने के लिए सरकार को अपने अधीन मॉनिटरिंग सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें