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सरकारी पावर प्लांट ठप, झारखंड में गहराया बिजली संकट
रांची : सरकार के पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन बंद होने से पूरे राज्य में बिजली संकट गहरा गया है. हर दिन करीब 2100 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, जबकि उत्पादन हो रहा है मात्र 130 मेगावाट. राज्य गठन के बाद दो निजी कंपनियों इनलैंड पावर से 55 मेगावाट व आधुनिक पावर से 122 […]
रांची : सरकार के पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन बंद होने से पूरे राज्य में बिजली संकट गहरा गया है. हर दिन करीब 2100 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, जबकि उत्पादन हो रहा है मात्र 130 मेगावाट. राज्य गठन के बाद दो निजी कंपनियों इनलैंड पावर से 55 मेगावाट व आधुनिक पावर से 122 मेगावाट अतिरिक्त बिजली राज्य को मिल रही है.
पूरे राज्य में कहीं भी बिजली की निर्बाध आपूर्ति नहीं की जा रही है. ग्रामीण इलाकों में केवल आठ से 10 घंटे ही बिजली मिल रही है, खास कर जिला आैर अनुमंडल मुख्यालयाें में. इधर शहरी इलाकों की हालत भी अच्छी नहीं है. राजधानी समेत सभी शहरी क्षेत्रों में 12 से 16 घंटे ही बिजली की अापूर्ति की जा रही है.
राज्य में जरूरत के मुताबिक उत्पादन नहीं होने से झारखंड बिजली वितरण निगम करीब 370 करोड़ रुपये की बिजली प्रतिमाह बाजार से खरीदता है.
राज्य के पावर प्लांट बंद हो रहे हैं. पीटीपीएस साल भर पहले ही बंद हो चुका है. सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट से केवल बरसात में ही बिजली का उत्पादन होता है. अब टीवीएनएल भी क्षमता के अनुरूप उत्पादन करने में अक्षम हो गया है. टीवीएनएल प्लांट के लिए सीसीएल से कोयला खरीदता है.
सीसीएल का 335 करोड़ रुपये टीवीएनएल पर बकाया हो गया है. इस वजह से सीसीएल ने टीवीएनएल को कोयले की आपूर्ति कम कर दी है. कोयले की कमी की वजह से पिछले एक सप्ताह से टीवीएनएल की सिर्फ एक यूनिट से केवल 130 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है. उधर, एनटीपीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर में प्रस्तावित पतरातू विद्युत उत्पादन निगम से बिजली का उत्पादन शुरू होने में अभी कम से कम पांच साल लगेंगे.
िबजली की मांग बढ़ी
राज्य में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है. वर्ष 2010 में राज्य में 14 लाख उपभोक्ता थे, जो 2018 में बढ़ कर 26 लाख हो गये हैं. उस समय 82 करोड़ यूनिट बिजली की खपत प्रतिमाह होती थी. राजस्व 125 करोड़ मिलता था, जबकि खर्च 260 करोड़ रुपये प्रतिमाह था. उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से प्रतिमाह 97 करोड़ यूनिट की खपत होती है. राजस्व 220 करोड़ ही प्राप्त होता है. निगम को घाटा उठाना पड़ रहा है.
कोयले की कमी के कारण टीवीएनल की केवल एक यूनिट से हो रहा है उत्पादन
किस जिले को कितने घंटे मिल रही है बिजली
जिले आपूर्ति
रांची 12-16 घंटे
खूंटी 08-10 घंटे
लातेहार 12-16 घंटे
दुमका 10-14 घंटे
पाकुड़ 10-12 घंटे
साहेबगंज 12-16 घंटे
जिले आपूर्ति
गोड्डा 12-14 घंटे
चतरा 10-12 घंटे
गढ़वा 08-10 घंटे
हजारीबाग 12-14 घंटे
पलामू 12-16 घंटे
रामगढ़ 16-18घंटे
जिले आपूर्ति
कोडरमा 12-14 घंटे
गुमला 08 से 10 घंटे
लोहरदगा 10 से 12 घंटे
सिमडेगा 10 से 12 घंटे
देवघर 12-16 घंटे
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