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चुनावी इंजीनियरिंग ने फिट किया एक म्यान में दो तलवार, राजनीति में धुर विरोधी रहे नेता एक-दूसरे के लिए जुटा रहे समर्थन

विवेक चंद्र राजनीति में धुर विरोधी रहे नेता अब एक-दूसरे के लिए जुटा रहे हैं समर्थन कभी हराने में लगाते थे जोर, आज जिताने के लिए बहा रहे हैं पसीना रांची : कहावत है कि एक म्यान में दो तलवार नहीं रखी जा सकती है, लेकिन चुनावी इंजीनियरिंग ने इस मिथक को तोड़ कर रख […]

विवेक चंद्र
राजनीति में धुर विरोधी रहे नेता अब एक-दूसरे के लिए जुटा रहे हैं समर्थन
कभी हराने में लगाते थे जोर, आज जिताने के लिए बहा रहे हैं पसीना
रांची : कहावत है कि एक म्यान में दो तलवार नहीं रखी जा सकती है, लेकिन चुनावी इंजीनियरिंग ने इस मिथक को तोड़ कर रख दिया है. झारखंड में चुनाव की बयार ने एक म्यान में दो तलवारें रखने की जगह बना दी है.
एक ओर महागठबंधन के नाम पर विरोधियों ने हाथ मिलाया है, तो एनडीए ने विपरीत विचारधारा के लोगों का भी स्वागत कर दोस्त बना रहे हैं. बदली परिस्थिति में राजनीति के मंच पर धुर विरोधी रहे नेता एक-दूसरे के सुर में सुर मिलाते दिख रहे हैं.
आज परिस्थिति ऐसी बदली है कि कभी दुमका से शिबू सोरेन को शिकस्त देकर भाजपा में जगह बनाने वाले बाबूलाल मरांडी अब झामुमो के लिए ही वोट मांग रहे हैं. यह पहली बार है, जब झारखंड की राजनीति के दो प्रभावी क्षेत्रीय दल झामुमो और झाविमो एक साथ आये हैं.
कोडरमा की भाजपा प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी राजद छोड़ कर भाजपा में शामिल हुई हैं. चुनाव के ठीक पहले तक झारखंड सरकार की मंत्री और कोडरमा की विधायक नीरा यादव उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी थीं.
अब दोनों साथ मिल कर वोट मांग रही हैं. झाविमो के प्रदीप यादव और कांग्रेस के फुरकान अंसारी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. अब झाविमो ने यूपीए फोल्डर में यह सीट हासिल कर ली है. फुरकान का मिजाज तो चुनाव में नहीं लग रहा है. लेकिन, वह गठबंधन धर्म निभाने की मजबूरी में फंसे हुए हैं. गिरिडीह में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह व झामुमो के जगरनाथ महतो में 36 का आंकड़ा रहा है.
दोनों कभी एक-दूसरे के घोर विरोधी थे. बदली परिस्थिति में अब राजेंद्र सिंह जगरनाथ महतो को सबसे उपयुक्त प्रत्याशी बता रहे हैं. रांची संसदीय सीट से आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने 2014 में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन, इस बार वो एनडीए गठबंधन के साथ हैं. सुदेश महतो रांची के भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ का समर्थन कर रहे हैं. रांची सीट से ही कांग्रेस के प्रत्याशी सुबोधकांत के लिए वोट जुटाने में लगे हैं झाविमो नेता बंधु तिर्की. श्री तिर्की भी पिछले चुनावों में सुबोधकांत के सामने थे.
पिछले चुनावों में चतरा सीट से झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़नेवाली नीलम देवी तीसरे नंबर पर रही थीं. हाल ही में वह भाजपा में शामिल हुई हैं.
निवर्तमान सांसद सुनील कुमार सिंह को भाजपा का टिकट मिलने के बाद भी अधिकारिक रूप से वह भाजपा के साथ ही हैं. पलामू की राजनीति भी बदली है. गढ़वा में राजनीतिक जमीन बचाने की लड़ाई लड़नेवाले गिरिनाथ सिंह और सत्येंद्र नाथ तिवारी साथ आ गये हैं. सत्येंद्र नाथ तिवारी ने यह सीट गिरिनाथ सिंह से छीनी है.
अब गिरिनाथ सिंह उनके ही दल भाजपा में साथी हो गये. अब दोनों मिल कर पलामू और चतरा में भाजपा की जीत के लिए जोर लगा रहे हैं. अब झारखंड की राजनीति का यह बदलता रंग क्या गुल खिलायेगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेगा. लेकिन, अब तक दुश्मनी निभाते रहे राजनीतिज्ञों के बीच हुई इस ताजा-ताजा दोस्ती ने चुनाव का मिजाज जरूर बदल दिया है.
कभी विरोधी थे, अब साथ हैं
शिबू सोरेन-बाबूलाल मरांडी
अन्नपूर्णा देवी-नीरा यादव
सुखदेव भगत-चमरा लिंडा
सुबोधकांत सहाय-बंधु तिर्की
सुनील सिंह-नीलम देवी
प्रदीप यादव-फुरकान अंसारी
जगन्नाथ महतो-राजेंद्र सिंह
गिरिनाथ सिंह-सत्येंद्र नाथ तिवारी

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