36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

सूखे का संकट : सामान्य से करीब आधी बारिश, खरीफ पर संकट

देवघर : बाबा नगरी में 26 प्रतिशत वर्षा, रोपनी एक छटाक नहीं देवघर : इस बार झारखंड में सामान्य से करीब आधी बारिश हुई है़ इससे खरीफ की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं़़ वहीं कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बाबा नगरी देवघर में इस माह 75 मिमी यानी सामान्य से 26 […]

देवघर : बाबा नगरी में 26 प्रतिशत वर्षा, रोपनी एक छटाक नहीं

देवघर : इस बार झारखंड में सामान्य से करीब आधी बारिश हुई है़ इससे खरीफ की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं़़ वहीं कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बाबा नगरी देवघर में इस माह 75 मिमी यानी सामान्य से 26 फीसदी ही बारिश हो पायी है. अब तक जिले भर में एक फीसदी भी रोपनी नहीं हो पायी है. जबकि 2017 में 12 जुलाई तक 15 फीसदी रोपनी देवघर जिले में हो चुकी थी. इस वर्ष तो देवघर के पठारी इलाकों में धान का बिचड़ा सूखने लगा है.

पानी के अभाव में निचले इलाके के बिचड़ों में पीलापन होने लगा है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगले एक सप्ताह तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई, तो धान के पैदावार की संभावना खत्म हो जायेगी. जिला कृषि पदाधिकारी रामशंकर सिंह बताते हैं कि पिछले दिनों सचिव व निदेशक के साथ बैठक में एक सप्ताह तक स्थिति को देखने का निर्देश दिया गया है.

बारिश नहीं हुई, तो विभाग वैकल्पिक खेती का प्रस्ताव बनाने की तैयारी में जुट जायेगा. मोहनपुर प्रखंड के बाराकोला गांव निवासी मिठु चौरसिया ने करीब तीन एकड़ खेत में धान का बिचड़ा डाला था, लेकिन बारिश नहीं होने से पूरी तरह बिचड़ा भी नहीं निकल पाया. सूखे की वजह से खेत में ही कई जगह दरार आ गयी, बिचड़ा अधूरा ही निकल पाया.

दुमका में दो फीसदी भी धान की नहीं हुई है रोपनी

दुमका : जिले में धान की रोपनी अब तक दो फीसदी भी नहीं हो सकी है. जिन इलाकों में थोड़ी भी धान की रोपाई हुई है, वह निचली जमीन है.अधिकांश किसान तो खेती के लिए बीज भी नहीं डाल सके हैं, ताकि बिचड़ा तैयार हो सके. मिली जानकारी के मुताबिक दुमका जिले में जून और जुलाई माह में औसत से कम बारिश हुई है. दुमका में जमीनी स्तर पर 12 से 13 फीसदी जमीन ही सिंचाई सुविधा से आच्छादित है, बाकी खेत बरसात पर ही पूरी तरह निर्भर है. संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह की मानें, तो पूरे प्रक्षेत्र में 2-3 प्रतिशत से ज्यादा रोपनी नहीं हो सकी है.

अगर 20 जुलाई तक भी अच्छी बारिश हो जाती है, तो भी बहुत हद तक आच्छादन के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है और किसानों को राहत मिल सकती है. सूखजोड़ा गांव के मनोज मंडल ने बताया कि अधिसंख्य लोग खेती पर निर्भर हैं. खेती अच्छी नहीं होने से रोजगार के लिए किसानों को बाहर जाना पड़ेगा. जमीन रहते हुए भी किसान खेती नहीं कर पायेंगे.

अब भी बिचड़ा ही हो रहा तैयार नहीं शुरू हो सकी है धानरोपनी

जुलाई में हुई कम बारिश, बिचड़े सूखे

साहिबगंज : साहिबगंज जिले में जुलाई महीने में कम बारिश होने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. खेतों में बिचड़ा सूखने लगा है. यहां करीब 1.90 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. अभी तक जिले में पांच फीसदी ही रोपनी हो पायी है. जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने बताया कि जून में 225.4 एमएम व जुलाई में 289.90 एमएम बारिश होनी चाहिए थी लेकिन जून में 83.53 व जुलाई में 42.77 एमएम ही वर्षा हुई है.

जामताड़ा : जामताड़ा जिले में अब तक धान रोपनी का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. किसान अब भी बिचड़ा तैयार करने में ही लगे हुए हैं. इस वर्ष कृषि विभाग ने 52 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती का लक्ष्य रखा था. परंतु बारिश की बेरूखी के कारण अब तक रोपा का काम शुरू हीं नहीं हो पाया है. कई किसानों का बिचड़ा भी तैयार नहीं हो पाया है.

कृषि विभाग की मानें, तो 36,400 हेक्टेयर भूमि के लिए ही अबतक बिचड़ा तैयार किया जा सका है. परंतु बारिश के कारण रोपनी का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है. जुलाई माह में खेती के लिए 325 एमएम बारिश की आवश्यकता थी. परंतु 15 दिनों में मात्र 32.6 एमएम ही बारिश हुई है.

गोड्डा : मात्र तीन प्रतिशत ही धान की रोपनी

गोड्डा : जिले में धान रोपनी का लक्ष्य कृषि विभाग की ओर से 51500 एकड़ निर्धारित किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 3500 एकड़ ज्यादा है.

गत वर्ष 2017 में 48000 एकड़ जमीन में धान की खेती का लक्ष्य था.15 जुलाई तक मात्र तीन प्रतिशत धान की रोपनी का कार्य संभव हो पाया है. जबकि पिछले वर्ष 2017 में 15 जुलाई तक धान रोपनी का काम 18 प्रतिशत तक हो गया था. जुलाई माह के 15 तक एवं आषाढ़ माह के अंतिम समय में वर्षा की स्थित सामान्य से भी कम है. जुलाई माह में अब तक मात्र 54 मिमी वर्षा रिकाॅर्ड किया गया है.

यह सामान्य वर्षा 130 मिमी के आधे से भी कम है. मेहरमा के किसान अरुण कुमार वर्मा हर साल अपने 15 एकड़ जमीन में धान की खेती करते हैं. अरुण के पास धान की खेती के लिए पर्याप्त जमीन है, लेकिन अब तक धान की एक भी गोछी खेत में नहीं डाल पाये हैं. पानी के अभाव में खेत में लगा बिचड़ा सूखने लगा है.

पाकुड़ : सप्ताह भर में नहीं हुई बारिश तो सूखे के आसार

पाकुड़ : जिले में बारिश के अभाव में खेती की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. अगले एक सप्ताह तक बारिश नहीं होती है, तो पूरा जिला सूखे की चपेट में आ जायेगा. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये हुए हैं.

पाकुड़ जिला देश के 115 अति पिछड़े जिलों में आता है. यहां वर्षा के पानी पर ही खेती आश्रित है. पठारी इलाका होने के कारण पाकुड़ जिले के अधिकांश इलाकों में एक फसली खेती होती है. मुख्य फसल भी धान ही है. जून 2018 में 129.7 मिमी वर्षापात हुई, वहीं जून 2017 में 177 मिमी वर्षापात हुई. 12 जुलाई 2018 तक 69.7 मिमी वर्षा हुई है. जुलाई 2017 में 515.0 मिमी वर्षा हुई थी.

सदर प्रखंड के नसीपुर पंचायत के किसान मुकलेसुर रहमान व दनारूल शेख ने बताया कि पानी की कमी के कारण बिचड़ा मरना शुरू हो गया है. पानी की कमी के कारण न बिचड़े को बचा पा रहे हैं, न ही रोपनी शुरू हो पा रही है.

कम बारिश बनी मुसीबत सिर्फ तीन फीसदी बुआई

जमशेदपुर : मॉनसून की बेरुखी का असर खरीफ फसल पर दिखना शुरू हो गया है. पूर्वी सिंहभूम में कम बारिश होने से धान की रोपनी पर सीधा असर पड़ा है. पूर्वी सिंहभूम के 11 प्रखंडों में 1.10 लाख हेक्टेयर खेतों में धान की जगह 3250 हेक्टेयर में रोपनी हुई है, जो लक्ष्य का तीन फीसदी है.

हालांकि मक्का, दलहन, तेलहन की 20 फीसदी से ज्यादा बुआई नहीं हो पायी है. कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक जून में 247.8 मिमी के विरुद्ध मात्र 127 मिली मीटर ही बारिश हुई, जो लक्ष्य से 120 मिलीमीटर कम है. पिछले वर्षों में यहां जुलाई में 336 मिलीमीटर तक बारिश होती रही है. जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी बताते हैं कि जून में कम बारिश के कारण धान की रोपनी केवल तीन फीसदी हुई है. मौसम विभाग ने कुछ दिनों में अच्छी बारिश की संभावना जतायी है. इससे स्थिति सुधर सकती है.

पोटका अंतर्गत मार्चागोड़ा के किसान किसुन हेंब्रम बताते हैं कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कृषि कार्य कुछ भी नहीं हुआ है. जुलाई में निराई-गुड़ाई का काम होता था. इस वर्ष बारिश नहीं होने की वजह से रोपनी व बुआई का काम ही खत्म नहीं हुआ है. मॉनसून काफी पीछे चल रहा है.

70 प्रतिशत से अधिक खेतों में लग चुका है धान

चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम राज्य का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां सीधी बुआई से खेती होती है. इस कारण यहां पहली बारिश से धान लगना शुरू हो जाता है. यहां करीब 70 फीसदी खेतों में धान लग चुका है. जगन्नाथपुर, जैंतगढ़, चक्रधरपुर, चाईबासा और टोंटो के किसान परेशान हैं.

जिला कृषि विभाग का दावा है कि इस बार बारिश की स्थिति सामान्य है. पिछले वर्ष इतनी बेहतर बारिश नहीं हुई थी. जिले में अब तक 60 मिमी से अधिक बारिश हो चुकी है. जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र किशोर ने कहा कि अबतक सामान्य बारिश हुई है, 70 प्रतिशत तक रोपनी का काम हो चुका है. करीब 30 फीसदी खेतों में रोपा होता है. यहीं करीब 86 फीसदी खेतों में धान दिखने लगा है. बिचड़े की स्थिति भी सामान्य है.

बिचड़ा दिखने लगा पीला, सूखे पड़े हैं खेत

सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिले में बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच गयी हैं. जुलाई में अब तक सामान्य से काफी कम बारिश हुई है. इसके कारण धान के बिचड़े सूखने लगे हैं. खेतों में दरारें पड़ने लगी है. बिचड़े में पीलापन आना शुरू हो गया है. किसानों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही, तो धान के पौधे बेकार हो जायेंगे. जुलाई के पहले पखवाड़े में मात्र 71 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से काफी कम है. पिछले वर्ष 126.1 मिमी बारिश हुई थी. जिले में छींटा विधि से 29700 हेक्टेयर सहित कुल 99000 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है. इसमें दो फीसदी रोपनी हुई है.

इस वर्ष रोपनी आधी भी नहीं हुई है. कृष्णापुर गांव के किसान छूटु महतो ने बताया कि इस वर्ष धान की खेती की स्थिति अच्छी नहीं है. जिला कृषि पदाधिकारी रामचंद्र बताते हैं कि इस वर्ष मॉनसून की स्थिति ठीक नहीं है. अगर यही स्थिति रही, तो अकाल पड़ जायेगा और खेतों में लगे धान की फसल नष्ट हो जायेंगे.

पांच फीसदी खेतों में भी नहीं हुआ रोपा

किसान अब भी बारिश के इंतजार में निहार रहे आसमां की ओर

संजीव झा

धनबाद : कोयलांचल में मॉनसून के कमजोर पड़ने से धान की रोपनी शुरू नहीं हो पा रही है. अब तक पांच फीसदी खेतों में भी रोपा नहीं हुआ है. किसान अब भी यहां आसमां की तरफ निहार रहे हैं. जिला कृषि पदाधिकारी असीम रंजन एक्का के अनुसार इस वर्ष धनबाद जिला में अब तक धन रोपनी नहीं के बराबर हुई है.

धनबाद जिला में 14 जुलाई तक केवल 30 एमएम बारिश ही रिकॉर्ड की गयी. जबकि जून में 170 एमएम बारिश हुई. धनबाद के दस प्रखंडों में से चार प्रखंड बलियापुर, टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची कृषि बहुल है. यहां ज्यादा आबादी खेती पर ही निर्भर है. भिखराजपुर गांव के किसान शेख इस्तार का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में पूंजी लगाकर धान का बीज बोया. पौधा तो निकल गया. लेकिन, बारिश नहीं होने के कारण रोपनी नहीं हो पा रही है. इससे वे काफी चिंतित है.

अब तक शुरू नहीं हो पायी धानरोपनी, किसान मायूस

गिरिडीह. बारिश के अभाव में गिरिडीह जिले में धानरोपनी का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. किसान बारिश की उम्मीद लगाये बैठे हैं. खेतों में पानी नहीं रहने के कारण वे खेती के कार्य में नहीं उतर पा रहे हैं. बीते वर्ष 15 जुलाई तक किसानों ने धानरोपनी का काम शुरू कर लिया था. देवरी प्रखंड में बारिश के अभाव में धान के बिचड़े डाले गये खेतों में दरारें उभर आयी है. धान का बिचड़ा सूखकर नष्ट हो रहा है.

जमुआ प्रखंड के सियाटांड़ निवासी किसान रोहन महतो ने कहा कि सुखाड़ होने से बहुत परेशानी हो रही है. धान के बिचड़े सूखकर मरने लगे हैं. पटवन के लिए कुआं या तालाब में पानी भी नहीं है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ देवकांत कहते हैं कि बारिश की कमी से गिरिडीह में खेती का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है. समय पर धानरोपनी होने से फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है. देर से धानरोपनी से थोड़ी परेशानी तो होती है.

पानी नहीं होने से खेतों की नहीं हो रही जुताई

चास. बोकारो जिले में सामान्य से कम बारिश होने से अभी तक धान की रोपनी नहीं हो पायी है. इसके कारण किसानों के चेहरे सूखने लगे हैं. जिला कृषि विभाग की ओर से जिले में इस वर्ष 33 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. धान की रोपनी के लिए किसानों ने अपने-अपने खेतों में बिचड़ा तो डाल दिया है. लेकिन जून व जुलाई माह में अभी तक सामान्य से काफी कम बारिश होने के कारण किसान धानरोपनी कराने के लिए जुताई भी नहीं कर पा रहे हैं. पानी के अभाव में बिचड़े भी सूख रहे हैं.

वर्ष 2017 में जिला कृषि विभाग की ओर से 33 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती करने का लक्ष्य तय किया गया था. लेकिन वर्ष 2017 में रोपनी के समय सामान्य से कम बारिश होने से जिले में करीब 28 हजार हेक्टेयर भूमि में ही धान की रोपनी हो पायी थी. चास प्रखंड क्षेत्र के कांड्रा निवासी निरंजन सिंह चौधरी 15 एकड़ भूमि में खेती करते रहे हैं. उनका कहना है कि बीते कई वर्षों से वर्षा कम होने के कारण लागत भी नहीं निकल पाता है. सिंचाई की भी व्यवस्था नहीं है. किसानों को भगवान पर ही निर्भर रहना पड़ता है. अब मन करता है कि खेती छोड़ कर दूसरा कोई काम करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें