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झारखंड का हाल : 375 रुपये के लिए आयुष्मान के मरीजों का ऑपरेशन नहीं करना चाहते डॉक्टर

सिविल सर्जनों ने बताया डॉक्टरों का हाल, सुनकर अचंभित रहे गये स्वास्थ्य सचिव संजयरांची : झारखंड के विभिन्न सिविल सर्जनों ने स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को आयुष्मान भारत के तहत सदर सहित अन्य रेफरल (सीएचसी व अनुमंडलीय) अस्पतालों में कम हो रहे ऑपरेशन का कारण बताया है.उन्होंने कहा है कि 375 रुपये के […]

  • सिविल सर्जनों ने बताया डॉक्टरों का हाल, सुनकर अचंभित रहे गये स्वास्थ्य सचिव
संजय
रांची :
झारखंड के विभिन्न सिविल सर्जनों ने स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को आयुष्मान भारत के तहत सदर सहित अन्य रेफरल (सीएचसी व अनुमंडलीय) अस्पतालों में कम हो रहे ऑपरेशन का कारण बताया है.उन्होंने कहा है कि 375 रुपये के नुकसान के कारण आयुष्मान भारत योजना के मरीजों के ऑपरेशन में डॉक्टर रुचि नहीं ले रहे हैं़ सिविल सर्जनों की बात सुनकर स्वास्थ्य सचिव भी अचंभित रह गये. सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि कुछ पैसों के लिए डॉक्टर एेसा कैसे कर सकते हैं?
रांची सदर अस्पताल को छोड़ ज्यादातर जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अनुमंडलीय अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन आयुष्मान भारत के तहत कम हो रहा है. विभाग की अोर से आायुष्मान भारत के तहत सूचीबद्ध सभी सरकारी अस्पतालों को अॉपरेशन की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये गये हैं. सिविल सर्जनों के अनुसार कम अॉपरेशन का कारण प्रति सिजेरियन अॉपरेशन चिकित्सकों को मिलने वाली राशि है.
एक रुपये का भी भुगतान नहीं : सदर अस्पताल रांची में वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर अब तक एक रुपये भी नही बांटा गया है. न तो गैर आयुष्मान केटेगरी वाली प्रोत्साहन राशि (करीब 70 लाख रुपये) बंटी है और न ही आयुष्मान योजना के तहत प्रति सिजेरियन ऑपरेशन मिलने वाले नौ हजार रुपये में से किसी चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी को एक रुपये मिला है. इससे चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों में बेहद नाराजगी है.
एक सिविल सर्जन का सुझाव : गोड्डा के सिविल सर्जन डॉ आरडी पासवान ने सरकार को सुझाव दिया है कि चिकित्सकों को मिलने वाली राशि प्रति सिजेरियन ऑपरेशन कम से कम चार हजार रुपये कर दी जाये. इससे दो लाभ होंगे. उनके अनुसार एक तो सरकारी डॉक्टर निजी अस्पताल में तीन हजार रुपये की सेवा देना बंद कर देंगे. वहीं, दूसरा इससे आयुष्मान भारत के मरीजों के इलाज में भी कोई कोताही नहीं होगी.
क्या है मामला
दरअसल सरकार मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर घटाने के लिए सांस्थिक प्रसव को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में होनेवाले प्रति सिजेरियन ऑपरेशन (सी-सेक्शन) के लिए तीन हजार रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसमें से 1500 रुपये सिजेरियन ऑपरेशन करनेवाले डॉक्टर को मिलते हैं.
शेष डेढ़ हजार रुपये ऑपरेशन असिस्टेंट व निश्चेतक (एनेसथेसिस्ट) सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों में बांटे जाते हैं. उधर, आयुष्मान भारत के प्रावधान के तहत सरकारी अस्पतालों को प्रति सिजेरियन ऑपरेशन नौ हजार रुपये मिलते हैं. इसका 25 फीसदी (2250 रुपये) हिस्सा डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों में बंटता है.
शेष 75 फीसदी राशि अस्पताल के विकास मद में चली जाती है. इधर 2250 रुपये की 50 फीसदी राशि (1125 रुपये) डॉक्टर को मिलती है. वहीं, शेष राशि अन्य स्वास्थ्य कर्मियों में बंटती है. इस तरह आयुष्मान के एक सिजेरियन ऑपरेशन में संबंधित चिकित्सक को 375 (1500-1125) रुपये का नुकसान होता है. इसलिए अायुष्मान के मरीजों का इलाज गैर आयुष्मान कैटेगरी में किया जाता है.
सदर रांची में भी कम ऑपरेशन
आयुष्मान भारत के तहत सबसे अधिक इलाज सदर अस्पताल, रांची ने किया है. तीन दिन पहले हुई आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा बैठक में सभी सिविल सर्जनों को सदर अस्पताल, रांची से सीखने तथा इसी की तर्ज पर आयुष्मान भारत के मरीजों का इलाज बढ़ाने को कहा गया है.
इधर, सूचना है कि सदर अस्पताल, रांची में भी 80 फीसदी आयुष्मान के मरीजों का इलाज गैर आयुष्मान कैटेगरी में हो रहा है. पर यहां मरीजों (गर्भवती महिलाअों) की बड़ी संख्या के कारण 20 फीसदी इलाज करते ही यह अस्पताल राज्य भर में टॉप पर है.

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