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दलबदल मामला : हाइकोर्ट में याचिका दायर, बाबूलाल, प्रदीप ने कहा नहीं हुआ पार्टी का विलय

झाविमो का भाजपा में विलय संबंधी स्पीकर कोर्ट के आदेश को दी चुनाैती रांची : झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी व महासचिव प्रदीप यादव की अोर से हाइकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. याचिका में स्पीकर की अदालत द्वारा पारित 20 फरवरी 2019 के आदेश को चुनाैती देते हुए निरस्त […]

झाविमो का भाजपा में विलय संबंधी स्पीकर कोर्ट के आदेश को दी चुनाैती
रांची : झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी व महासचिव प्रदीप यादव की अोर से हाइकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. याचिका में स्पीकर की अदालत द्वारा पारित 20 फरवरी 2019 के आदेश को चुनाैती देते हुए निरस्त करने का आग्रह किया गया है.
कहा गया है कि झाविमो पार्टी का भाजपा में विलय नहीं हुआ है. प्रार्थियों की अोर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने बताया कि झाविमो का भाजपा में विलय नहीं माना जा सकता है. स्पीकर की अदालत का फैसला उचित नहीं है. उल्लेखनीय है कि स्पीकर डॉ दिनेश उरांव ने अपने फैसले में झाविमो का भाजपा में विलय मान लिया था.
विधायक नवीन जायसवाल, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, गणेश गंझू, जानकी यादव व आलोक चौरसिया के खिलाफ चले दल-बदल के मामले को भी खारिज कर दिया था. स्पीकर ने फैसले में कहा था कि सारे तथ्यों और संवैधानिक प्रावधानों पर सम्यक विचार करते हुए इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि 10वीं अनुसूूची के चार (दो) में विलय की शर्तों को पूरा करते है़ं विलय की सहमति प्रदान करता हू़ं विलय को वैध पाता हू़ं स्पीकर ने दल-बदल मामले में झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी व प्रदीप यादव की उस याचिका को अमान्य कर दिया था, जिसमें छह विधायकों पर दल-बदल का मामला चलाने का अनुरोध किया गया था़
इधर, मेदिनीनगर में मरांडी को मिली जमानत
मेदिनीनगर : मेदिनीनगर में न्यायिक दंडाधिकारी दीपक कुमार की अदालत से मंगलवार को झाविमो प्रमुख सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को जमानत मिल गयी. धारा 188 के मामले में अदालत में हाजिर होकर पूर्व मुख्यमंत्री ने जमानत याचिका दायर की थी.अदालत ने पांच-पांच हजार के मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी. मालूम हो कि बाबूलाल मरांडी के खिलाफ पलामू के तत्कालीन अपर समाहर्ता (विधि व्यवस्था) मुकुल पांडेय ने शहर थाना में कांड संख्या 180 /2011 के तहत 29 अप्रैल 2011 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
आरोप था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने धारा 144 का उल्लंघन किया था, क्योंकि 28 अप्रैल से ही धारा 144 लागू थी. इसके बाद उन्होंने अतिक्रमण से प्रभावित लोगों के साथ बैठक की थी. इसी पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
आठ फरवरी 2017 को न्यायालय द्वारा बाबूलाल मरांडी के खिलाफ गैर जमानती वारंट निर्गत किया गया था. उसके बाद 30 जुलाई 2018 को न्यायालय ने कुर्की की कार्रवाई करने हेतु आदेश जारी किया था
इसके बाद मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री ने अदालत में हाजिर होकर जमानत याचिका दायर की. न्यायालय परिसर में पूर्व सीएम के साथ झाविमो नेता दिलीप सिंह नामधारी, मुरारी पांडेय, रविंद्र कुमार सिंह, प्रभात कुमार सहित कई लोग मौजूद थे.
राजनीति साजिश के तहत मामला दर्ज कराया गया थाः मरांडी
न्यायालय से जमानत मिलने के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्हें न्यायालय के प्रति पूरी आस्था है. पत्रकारों से मरांडी ने अपने खिलाफ लगे आरोप को राजनीतिक साजिश करार दिया, कहा कि इस मामले में आज तक एक भी नोटिस नहीं मिला था. 2011 के बाद से वह लगातार पलामू आ रहे हैं.
ऐसे में पुलिस प्रशासन ने कभी भी उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं दी और ना ही पार्टी के किसी कार्यकर्ता व नेता को ही बताया. चुनाव के वक्त ही इस मामले को सामने लाने का प्रयास किया गया. लेकिन उनके कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी मिल गयी. उसके बाद वह न्यायालय में हाजिर हुए.यदि उन्हें पूर्व में ही इसकी जानकारी होती तो वह न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्य करते. यह मामला राजनीतिक साजिश के तहत दर्ज कराया गया था.

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