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झारखंड : नजर रखें बच्चों पर, अश्लील साइट्स बना रही बीमार, तेजी से बढ़ रहे यौन हिंसा के मामले

II मनोज सिंह II रांची : दो मार्च को लोअर बाजार थाना क्षेत्र में एक नाबालिग के साथ बलात्कार की कोशिश की गयी. पांच मार्च को धुर्वा के जगन्नाथपुर में युवकों ने एक 18 साल की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया. छह मार्च को नामुकम में तीन नाबालिग लड़के पर बलात्कार का मामला दर्ज […]

II मनोज सिंह II
रांची : दो मार्च को लोअर बाजार थाना क्षेत्र में एक नाबालिग के साथ बलात्कार की कोशिश की गयी. पांच मार्च को धुर्वा के जगन्नाथपुर में युवकों ने एक 18 साल की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया. छह मार्च को नामुकम में तीन नाबालिग लड़के पर बलात्कार का मामला दर्ज हुआ. आठ मार्च को एक और नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज हुआ.
यह घटना केवल राजधानी की है. राज्य के अन्य जिलों में भी इस तरह की घटनाएं आम है. राज्य के थानों में औसतन हर माह 110 मामले बलात्कार के दर्ज होते हैं. मतलब औसतन हर दिन करीब तीन बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं. बीते साल के फरवरी-मार्च से लेकर 2018 फरवरी तक पूरे राज्य में करीब 1300 मामले बलात्कार के दर्ज किये गये हैं. इनमें कई मामलों में आरोपी नाबालिग हैं.
मनोचिकित्सक मानते हैं कि इंटरनेट पर अश्लीलता की बढ़ती पहुंच के कारण किशोरावस्था में पहले के मुकाबले पोर्न की लत विकसित होने का खतरा बढ़ चुका है. पहले अश्लील सामग्री पठनीय साधन के रूप में उपलब्ध हुआ करती थी. आज यह इंटरनेट के कारण एक क्लिक की दूरी पर है. पोर्न की लत बच्चों और किशोरों के लिए चिंताजनक है. इससे युवाओं में यौन हिंसा की प्रवृति बढ़ी है. यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं. कई मामले पुलिस तक पहुंच जाते हैं, वहीं ज्यादतर मामले लोकलाज के भय से दबा दिये जाते हैं.
रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बताते हैं कि यह मामला केवल यौन हिंसा का नहीं है. कम उम्र में इसकी लत से मनोरोग भी हो रहा है.
पेशे से इंजीनियर एक युवक का इलाज इसलिए चल रहा है क्योंकि पोर्न साइट की लत ने उसे बीमार बना दिया है. उससे पढ़ाई नहीं हो पाती है. 21 साल के राहुल (नाम बदला) को पिछले दो साल से इसकी लत लगी है. पोर्न मूवी नहीं देखने से उसे घबराहट होती है. अब उसका इलाज हो रहा है.
क्या कारण हैं यौन हिंसा बढ़ने के
सस्ते दरों पर इंटरनेट की उपलब्धता हर हाथ में स्मार्ट फोन यौन शिक्षा के अभाव में सेक्स संबंधी सवालों का हल ढूंढ़ना इस मुद्दे को गंभीरता से न लिया जाना, कोई नियम कानून या फिल्टर का नहीं होना अभिभावकों का भी इस बात पर ढुलमुल रवैया होना
क्या है नुकसान
पोर्नोग्राफी युवाओं की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक एवं शारीरिक विकास को प्रभावित करती है अपोजिट सेक्स के प्रति आक्रामकता, अश्लील छींटाकशी करने की प्रवृत्ति विकसित करता है यौन हिंसा को सामान्य घटना समझने लगना महिलाओं के प्रति अश्लील विचारों से घिरे रहना स्वस्थ संबंध बनाने की क्षमता में कमी सेक्स की लत लगना , शराब या अन्य नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने की संभावना का बढ़ जाना हताशा, कुंठा और निराशा का भाव आना आत्महत्या के विचार आना एकाग्रता और याददाश्त में भारी कमी आना
एक साल में राज्य में दर्ज रेप के मामले
माह मामला
फरवरी 2018 108
जनवरी 2018 90
दिसंबर 2017 116
नवंबर 2017 62
अक्तूबर 2017 106
सितंबर 2017 112
अगस्त 2017 103
जुलाई 2017 138
जून 2017 122
मई 2017 141
अप्रैल 2017 120
मार्च 2017 99
नजर रखें बच्चों पर
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चला रहे भोपाल के डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि बच्चों पर नजर रखना जरूरी है. इन बातों पर नजर रखें जब आपको कंप्यूटर पर अश्लील वीडियो मिलते हैं. जब आप कमरे में प्रवेश करते हैं, बच्चा घबराकर मोबाइल/कंप्यूटर बंद कर देता है या स्क्रीन बदल देता है. मोबाइल पर हर फंक्शन पर पासवर्ड लगा कर रखता है. कंप्यूटर देखते समय अपने कमरे को बंद कर रखता है. बच्चा कंप्यूटर/मोबाइल से इंटरनेट हिस्ट्री को हटा देता है. बच्चा रात में बहुत देर तक ऑनलाइन रहता है. बच्चा सब के सो जाने के बाद ऑनलाइन गतिविधियां शुरू करता है.

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