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रांची : शाह ब्रदर्स मामले में 1365 करोड़ का खनन घोटाला : कांग्रेस

छठ के बाद एसीबी में एफआइआर करायेगी कांग्रेस, हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी की जायेगी दायर रांची : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने शाह ब्रदर्स मामले में सरकार पर 1365 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस इस मामले में छठ के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में […]

छठ के बाद एसीबी में एफआइआर करायेगी कांग्रेस, हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी की जायेगी दायर
रांची : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने शाह ब्रदर्स मामले में सरकार पर 1365 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस इस मामले में छठ के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में प्राथमिकी दर्ज करायेगी.
साथ ही हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की जायेगी. सोमवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ अजय ने इस मामले में सीधे तौर पर विभागीय मंत्री (मुख्यमंत्री रघुवर दास) व पदाधिकारियों को जिम्मेदार बताया है.
उन्होंने कहा कि संगठित लूट के लिए सभी ने अपनी भूमिका बड़ी ईमानदारी से निभायी. सरकार के लोग और पदाधिकारियों के लिए 365 दिन धनतेरस है. ये लोग राज्य के धन का दुरुपयोग भ्रष्टाचार के माध्यम से लगातार करते आ रहे हैं. शाह ब्रदर्स के मामले में किये गये खनन घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया में 1365 करोड़ के राजस्व का नुकसान कर बंदरबांट किया गया है.
घोटाला में खनन विभाग के पदाधिकारी व महाधिवक्ता भागीदार : डॉ कुमार ने कहा कि वर्ष 2014 में शाह ब्रदर्स के माइनिंग लीज में उल्लंघन को लेकर खान व भू-विज्ञान विभाग ने नोटिस जारी करते हुए 110 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
2015 में जुर्माने की राशि को संशोधित करते हुए 1365 करोड़ रुपये तय की गयी. एक अप्रैल 2016 को सरकार ने फॉरेस्ट, रायल्टी, इंवायरमेंटल सर्टिफिकेट नहीं रहने के कारण खान विभाग का लीज नवीकरण रद्द कर दिया. इसके खिलाफ शाह ब्रदर्स ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की. 11 अगस्त 2016 को हाइकोर्ट ने खनन पट्टा विस्तारीकरण का कारण नहीं बताये जाने के कारण सरकार के आदेश को रद्द कर दिया.
डॉ अजय ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि सरकार ने लीज रद्द करने के समय कोई कारण नहीं बताया था. सरकार ने लीजधारी को जानबूझ कर अवसर प्रदान किया, ताकि उसे न्यायालय से राहत मिल सके. अप्रैल 2017 में तत्कालीन खनन पदाधिकारी ने लीज नवीकरण करने के साथ ही माइनिंग की अनुमति दे दी. इसके अलावा हर्जाना की राशि को 1365 करोड़ से घटा कर 252 करोड़ रुपये कर दिया. ऐसा करना जिला खनन पदाधिकारी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. ऐसा तभी संभव है जब इसमें उच्च स्तर के लोग शामिल हों.
डॉ अजय ने महाधिवक्ता पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने विभागीय समझौते की गलत जानकारी हाइकोर्ट को दी. इसके आलोक में हाइकोर्ट ने हर्जाना की राशि को किस्तों में भुगतान करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि संगठित लूट में विभागीय पदाधिकारी के साथ-साथ महाधिवक्ता भी भागीदार हैं. मौके पर मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर, शमशेर आलम, आलोक कुमार दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव व नेली नाथन मौजूद थीं.

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