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कृषि विभाग: कटेंगी कई योजनाएं, कुछ की राशि भी घटेगी

मनोज सिंह रांची : आनेवाले वित्तीय वर्ष में कृषि विभाग का बजट सबसे बदला हुआ होगा. इस वर्ष कई योजनाएं कृषि और संबद्ध विभागों से हटायी जायेंगी. कई स्कीमों का भौतिक लक्ष्य घटाया जायेगा. बजट में मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को लेकर राशि का प्रावधान किया जाना […]

मनोज सिंह
रांची : आनेवाले वित्तीय वर्ष में कृषि विभाग का बजट सबसे बदला हुआ होगा. इस वर्ष कई योजनाएं कृषि और संबद्ध विभागों से हटायी जायेंगी. कई स्कीमों का भौतिक लक्ष्य घटाया जायेगा.
बजट में मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को लेकर राशि का प्रावधान किया जाना है. मुख्यमंत्री ने किसानों को स्मार्ट फोन देने की भी घोषणा की है. इसके लिए राशि जुटायी जा रही है. मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना के तहत किसानों को पांच-पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाना है.
इसके लिए करीब 22 लाख किसानों के लाभुक होने की उम्मीद है. इस पर दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत होगी. एक सप्ताह पूर्व विभाग की सचिव ने बजट की तैयारी को लेकर बैठक की थी. इसमें विभाग से पिछले तीन-चार साल का स्कीम आधारित प्रदर्शन मांगा था.
जिस स्कीम में पिछले कुछ वर्षों से पूरी राशि खर्च नहीं हो रही थी, उन योजनाओं में से राशि घटाने या खत्म करने के मुद्दे पर बात हुई है. पशुपालन विभाग की कुछ स्कीम से पैसा कम किया जा सकता है. वैसे पशुपालन विभाग से किसी स्कीम को काटने का प्रस्ताव अभी तक विभाग के पास नहीं है.
समाप्त हो सकती है तालाब जीर्णोद्धार की योजना : कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय से वर्तमान में तालाब जीर्णोद्धार की स्कीम संचालित हो रही है. इसके लिए 300 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान है.
इसकी राशि पिछले दो-तीन साल से पूरी खर्च नहीं हो रही है. इस स्कीम के बारे में विभाग दो विकल्प पर विचार कर रहा है. इस योजना दूसरे विभाग को दी जा सकती है या इसका लक्ष्य आधा से भी कम किया जा सकता है. इसी तरह कृषि विभाग के तहत संचालित बंजर भूमि विकास योजना में तय राशि को बहुत कम किया जा सकता है.
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह स्कीम बहुत लाभदायक नहीं है. भौतिक उपलब्धि पूरा करने के लिए कई स्तर पर गड़बड़ी भी होती है. विभाग कृषि विभाग के सीड एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत खर्च होने वाली राशि में भी कटौती कर सकती है. इस स्कीम के तहत मिलने वाली राशि में आधी ही खर्च हो पाती है.
संस्थाओं को मिला कर दिया जा सकता है अनुदान
कृषि विभाग के तहत कई प्रशिक्षण और प्रचार एजेंसियां संचालित होती हैं. इसमें जैसमीन, जेएमटीटीसी, समेति आदि संस्थाएं हैं. इनको विभाग से अलग-अलग अनुदान दिया जाता है. इन संस्थाओं को एक साथ मिला कर अनुदान दिये जाने का प्रस्ताव है. सभी स्कीमों को मिला कर अनुदान दिया जा सकता है.

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