पूर्णिया : मौसम की बेरूखी और बेतरतीब खानपान की वजह से जिले में डायरिया का प्रकोप बढ़ गया. पिछले सात दिनों में सदर अस्पताल में 67 डायरिया पीड़ितों को भर्ती कर उनका उपचार किया गया है. संक्रामक वार्ड में डायरिया के रोगियों के लिए आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध हैं.
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मौसम की बेरुखी से डायरिया का प्रकोप सात दिनों में 67 पीड़ित अस्पताल में भर्ती
पूर्णिया : मौसम की बेरूखी और बेतरतीब खानपान की वजह से जिले में डायरिया का प्रकोप बढ़ गया. पिछले सात दिनों में सदर अस्पताल में 67 डायरिया पीड़ितों को भर्ती कर उनका उपचार किया गया है. संक्रामक वार्ड में डायरिया के रोगियों के लिए आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध हैं. इनमें ओआरएस, आरएल, जिंक टैबलेट, एनएस, […]
इनमें ओआरएस, आरएल, जिंक टैबलेट, एनएस, एंटीबायोटिक आदि दवाएं पीड़ितों को दी जा रही हैं. जानकारी के मुताबिक 18 जून को 7, 19 जून को 6, 20 जून को 10, 21 जून को 16, 22 जून को 15, 23 जून को 8 और 24 जून की दोपहर तक 5 डायरिया पीड़ितों को भर्ती कर उपचार किया गया. सदर अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि डायरिया की स्थिति में मरीज को लेकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि डायरिया से बचाव के लिए परहेज करना जरूरी है. इस मौसम में तैलीय व मसालेदार भोजन से बचना चाहिए. ताजा और ढका हुआ भोजन करने की जरूरत है. खासतौर से पीने के पानी पर ध्यान देना चाहिए. दूषित जल व भोजन की वजह से बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. अधिक से अधिक जल का भी सेवन जरूरी है.
अनदेखी करना हो सकता है जानलेवा
डायरिया के मरीजों को बार-बार दस्त होने की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. साथ ही दस्त के साथ खनिज लवण बाहर निकल जाने से शरीर में पोषण की भी अचानक से कमी हो जाती है. पानी की कमी से डीहाइड्रेशन हो जाता है. इस स्थिति को तुरंत न रोका जाए, तो जानलेवा हो सकती है. खासतौर से बच्चों के डायरिया के चपेट में आने पर ज्यादा केयर करने की जरूरत है.
डायरिया के लक्षण
डायरिया का सबसे प्रमुख लक्षण है पतले दस्त का आना. आमतौर पर मरीज को चौबीस घंटे में चार से पांच पतले दस्त होते हैं. इसके साथ पेट के निचले हिस्से में बहुत तेज दर्द होता है.
यह दर्द हल्के या तेज मरोड़ के रूप में हो सकता है. बुखार और कमजोरी से शरीर बेजान लगने लगता है. कुछ रोगियों को दस्त के साथ उल्टियां भी हो सकती हैं. कमजोरी के कारण चक्कर आते हैं और आंखों के आगे अंधेरा भी छा जाता है. शरीर में पानी की कमी होने से त्वचा ढीली और कांतिहीन हो जाती है.
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