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Thursday, March 28, 2024

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सदर अस्पताल में जल्द शुरू होगी आइसीयू अब जीवन रक्षक उपकरण से होगा बचाव

पूर्णिया : सदर अस्पताल में सघन चिकित्सा ईकाई (आईसीयू) के जल्द शुरू होने के आसार हैं. इसके चालू होने के बाद जीवन रक्षक उपकरण की मदद से सीरियस मरीजों को जीवनदान मिल पाएगा. आईसीयू चालू करने की दिशा में पूर्णिया के सिविल सर्जन आवश्यक पहल कर रहे हैं. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. मधुसूदन […]

पूर्णिया : सदर अस्पताल में सघन चिकित्सा ईकाई (आईसीयू) के जल्द शुरू होने के आसार हैं. इसके चालू होने के बाद जीवन रक्षक उपकरण की मदद से सीरियस मरीजों को जीवनदान मिल पाएगा. आईसीयू चालू करने की दिशा में पूर्णिया के सिविल सर्जन आवश्यक पहल कर रहे हैं. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. मधुसूदन प्रसाद ने बताया कि सदर अस्पताल में आईसीयू चालू करने के लिए पहले से कई आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं. इन संसाधनों में सबसे अहम वेंटीलेटर है. सिविल सर्जन ने बताया कि वेंटीलेटर के प्रयोग में कुछ तकनीकी त्रुटि पायी गई है.

इसमें ऑक्सीजन सप्लाई के लिए प्रेशर की जरूरत होती है. जबकि सामान्य तौर पर बिना प्रेशर के वेंटीलेटर को सुचारू ढंग से काम करना चाहिए. इस वेंटीलेटर की तकनीकी खामियां दूर करने के लिए आवश्यक पहल की जा रही है. उन्होंने बताया कि आईसीयू को शुरू करना उनकी प्राथमिकता में शामिल है. इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे.
12 साल पहले आईसीयू के लिए मिली थी मंजूरी . पूर्णिया सदर अस्पताल में आईसीयू को शुरू करने के लिए करीब 12 साल पहले राज्य सरकार की ओर से स्वीकृति प्रदान की गई थी. वर्ष 2008 में सदर अस्पताल के बर्न वार्ड में आईसीयू के लिए जगह भी चयनित की गई. इस वार्ड का नाम बदलकर बर्न वार्ड सह आइसीयू कर दिया गया. मगर आईसीयू चालू करने की योजना महज कागजी ही साबित हुई. दो साल तक इस वार्ड में बर्निंग पेंशेंट तो भर्ती होते रहे पर एक भी मरीज को आईसीयू का लाभ नहीं मिल पाया.
वर्ष 2010 में हुआ आईसीयू भवन का निर्माण . राज्य सरकार की योजना के तहत वर्ष 2010 में आईसीयू के लिए नवनिर्मित भवन का लोकार्पण हुआ. इस भवन में आईसीयू के लिए आवश्यक बेड व उपकरण सुसज्जित किए गए. इस दौरान सदर अस्पताल के कुछ डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को आइसीयू के संचालन के लिए जरूरी प्रशिक्षण भी दिया गया. मगर बाद में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों का स्थानांतरण हो गया और डॉक्टरों के अधिकांश पद रिक्त रहने के कारण 24 घंटे सेवा देने में मानव संसाधन की कमी आड़े आ गई.
वीआइपी मरीजों को मिल चुका आइसीयू का लाभ
ऐसा नहीं है कि पिछले 10 साल में आईसीयू का एक बार भी संचालन नहीं हुआ. मगर जब भी संचालन हुआ तो केवल वीआईपी मरीजों के लिए. सदर अस्पताल की इस आईसीयू से एक सांसद और एक विधायक भी लाभान्वित हुए हैं. मगर आईसीयू का लाभ एक भी आम मरीज को नहीं मिल पाया. आईसीयू का संचालन नहीं हो पाने के कारण सांस और दिल की बीमारी से पीड़ित सीरियस मरीजों को सदर अस्पताल से रेफर करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
आइसीयू भवन में परिवार नियोजन और ऑर्थो ओटी
आईसीयू भवन को आईसीयू के संचालन का इंतजार है. मगर आईसीयू भवन में परिवार नियोजन का काम जरूर नियमित रूप से हो रहा है. सबसे हैरत की बात है कि आईसीयू भवन में ऑर्थो ओटी को चालू कर दिया गया पर आइसीयू चालू करने की जहमत पूर्व के पदाधिकारियों ने नहीं उठायी. पूर्व के दो सिविल सर्जन ने ऑर्थो ओटी को ही प्राथमिकता दी. इनमें से एक पूर्व सिविल सर्जन हड्डी रोग के विशेषज्ञ थे और सिविल सर्जन रहते हुए अपनी क्लिनिक का संचालन करते रहे जिसे लेकर क्षेत्रीय अपर निदेशक से उनका विवाद भी हुआ.
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