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घट रही पंचायत सचिवों की संख्या, बढ़ रही जिम्मेदारी

जिले के 246 पंचायत के लिए केवल 66 पंचायत सचिव हैं तैनात तीन से पांच पंचायत का जिम्मा संभाल रहे हैं एक पंचायत सचिव पूर्णिया : पंचायती राज व्यवस्था में जब से शक्तियों का विकेंद्रीकरण हुआ है, विकास कार्य का संपादन पंचायत स्तर पर ही संपन्न हो रहा है. ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ-साथ […]

जिले के 246 पंचायत के लिए केवल 66 पंचायत सचिव हैं तैनात

तीन से पांच पंचायत का जिम्मा संभाल रहे हैं एक पंचायत सचिव
पूर्णिया : पंचायती राज व्यवस्था में जब से शक्तियों का विकेंद्रीकरण हुआ है, विकास कार्य का संपादन पंचायत स्तर पर ही संपन्न हो रहा है. ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ-साथ विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने के लिए तैनात पंचायत सचिव की भूमिका काफी अहम हो गयी है. पंचायत सचिव सरकारी महकमे का प्रतिनिधित्व करते हैं और वे खजांची भी होते हैं. वहीं जिले में पंचायत सचिवों की भारी कमी है. नतीजा यह है कि विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
समस्या यह है कि एक पंचायत सचिव के कंधे पर न्यूनतम तीन पंचायत और अधिकतम पांच पंचायत की जिम्मेदारी है. खास बात यह है कि दिनों दिन पंचायत सचिवों की जिम्मेवारी में इजाफा हो रहा है. ऐसे में पंचायत सचिवों की मुश्किलें भी बढ़ती ही जा रही है. जिम्मेदार इसे नियुक्ति का मामला बता कर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं.
लंबे समय नियुक्ति नहीं
अधिकांश पंचायत सचिव पुराने एवं उम्रदराज हैं. वजह यह है कि लंबे समय से पंचायत सचिवों की बहाली नहीं हुई है. मिली जानकारी अनुसार पंचायत सचिवों की अंतिम बार बहाली वर्ष 2011 में हुई थी. उस समय 26 दलपति को पंचायत सचिव में प्रोन्नत किया गया था. हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से पंचायत सचिवों की बहाली होनी थी लेकिन प्रश्न पत्र लीक होने के बाद यह परीक्षा भी आयोजित नहीं हो सकी.
नतीजा यह है कि पंचायतों में पंचायत सचिव की कमी है और विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं. सबसे बुरा हाल तो बीकोठी, भवानीपुर और श्रीनगर प्रखंड का है जहां केवल दो-दो पंचायत सचिव पदस्थापित हैं.
प्रत्येक पंचायत में पंचायत सचिव होना चाहिए जो नहीं है. बहरहाल 66 पंचायत सचिवों को अतिरिक्त भार सौंपा गया है. पंचायत सचिवों की कमी के बावजूद किसी प्रकार का विकास कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है. मामले की सूचना विभाग को है. पंचायत सचिवों की नियुक्ति राज्य सरकार के स्तर से होनी है. तकनीकी कारण से बहाली नहीं हो पा रही है.
कुमार विवेकानंद, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पूर्णिया
महज 66 पंचायत सचिव हैं कार्यरत
जिले में 246 पंचायत है जहां विकास कार्य की कमान पंचायत सचिव के हाथों में है. समस्या यह है कि जिले में महज 66 पंचायत सचिव ही कार्यरत हैं और हर महीने पंचायत सचिवों की संख्या घटती ही जा रही है. लिहाजा सभी पंचायतों में पंचायत सचिव की कमी की वजह से योजनाएं ससमय पूरी नहीं हो पा रही है. बहरहाल पंचायत सचिवों पर काम के भार का हाल यह है कि एक-एक पंचायत सचिवों के पास चार-चार पंचायतों की जिम्मेदारी है. सरकार की जो भी योजना होती है, एक साथ सभी पंचायतों में चलती है. ऐसे में पंचायत के सचिवों की परेशानी बढ़ जाती हैं.
काम के बोझ से दबे हैं पंचायत सचिव
पंचायतों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में पंचायत सचिव के ऊपर काम का दबाव भी बढ़ा है. ईमानदारी से अगर काम हो तो एक पंचायत सचिव बमुश्किल एक ही पंचायत का काम निबटा सकते हैं. हालात ऐसे हैं कि अकेले एक पंचायत का काम पूरा नहीं हो पाता है, तो दूसरी तरफ एक पंचायत सचिव के ऊपर न्यूनतम तीन और अधिकतम पांच पंचायत की जिम्मेदारी दे दी गयी है. चुनाव, जनगणना, पशुगणना, आधार सीडिंग, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, सात निश्चय योजना, जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र जैसी दर्जनों ऐसी जिम्मेदारियां है जो उनके गले पड़ी हुई है.

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