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राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार के बाद भाजपा की रणनीति

नयी दिल्ली : तीन राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश) के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नयी रणनीति के साथ लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गयी है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह आगामी लोकसभा चुनाव में आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में […]

नयी दिल्ली : तीन राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश) के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नयी रणनीति के साथ लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गयी है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह आगामी लोकसभा चुनाव में आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में आयेंगे. इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. जानकारों का मानना है कि संसद सत्र के आखिरी दिन गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी बिल लाना इसी आक्रामक रणनीति का हिस्सा था. इसे कथित तौर पर नरेंद्र मोदी सरकार से नाराज चल रहे मतदाताओं को मनाने के लिए इस कदम को भाजपा का मास्टरस्ट्रोक करार दिया जा रहा है.

भाजपा ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि मोदी के नेतृत्व में पांच साल के कार्यों को आक्रामकता से जनता के बीच रखें. कार्यकर्ताओं को ‘इन्फॉर्मेटिक्स सामग्री’ उपलब्ध करा दी गयी है. इसमें बताया गया है कि पांच साल में कितनी तेजी से आर्थिक विकास हुआ. विकास को गरीब कल्याण से जोड़ने की सरकार ने किस तरह से पहल ही. साथ ही जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ किस तरह जनता को मिला, इसका भी जिक्र जमीनी स्तर पर करें. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को सलाह दी गयी है कि सामान्य बोलचाल की भाषा में सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंचायें.

22 करोड़ लोगों के सीधे संपर्क बनायेगी भाजपा

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा 13 कार्यक्रमों के जरिये 22 करोड़ लोगों से सीधे संपर्क बनायेगी. ये 22 करोड़ लोग वे हैं, जिन्हें सरकारी योजना का लाभ मिला है. पार्टी की योजना है कि 20 जनवरी तक अभियान से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को इन लोगों की सूची दे दी जाये. सूची मिलते ही शक्ति केंद्रों के माध्यम से छोटे-छोटे समूह में संपर्क अभियान शुरू किया जायेगा. पार्टी कार्यकर्ता एक-एक लाभार्थी के घर में भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्र वाली पर्ची पहुंच जाये.

अलग-अलग राज्य के लिए अलग-अलग सिद्धांत

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनावों में अलग-अलग राज्यों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग रणनीति बनायी है. एक-एक लोकसभा सीट पर उस राज्य के कई-कई कद्दावर नेताओं को उतारा जायेगा. पार्टी ने चुनावी एजेंडा भी तय कर दिया है. इसमें प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व, मोदी सरकार की पांच साल की उपलब्धियों, मतदाताओं से सघन संपर्क, संगठन शक्ति के भरपूर उपयोग, विपक्ष के दुष्प्रचार का आक्रामक जवाब और संवेदनशील मुद्दों पर सुविचारित प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया है.

पिछले दिनों नयी दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा कार्यकर्ताओं को एक मार्गदर्शिका पुस्तिका दी गयी. उनसे गया है कि ‘चुनाव में एजेंडा वह हो जो हम तय करें और इसे आक्रामकता से आगे बढ़ायें’. साथ ही कहा गया है कि मई तक पार्टी के हर कार्यक्रम, नेताओं के भाषण में सिर्फ नरेंद्र मोदी की जीत पर फोकस किया जाना चाहिए.

कमल दीपावली, विपक्ष को जवाब

भाजपा कार्यकर्ताओं को कमल दीप जलाने और अपने-अपने क्षेत्र में कमल दीपावली का आयोजन करने के लिए कहा गया है. भाजपा ने कहा है कि पार्टी का कार्यकर्ता भावुक भी है और तीन तलाक, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जैसे मुद्दे अहम हैं. इन विषयों पर कार्यकर्ता सरकार के प्रयासों से जनता को अवगत करायें. आरक्षण, राफेल, औद्यागिक घरानों से जुड़े बैंकों के कर्जदारों, किसानों के विषय पर विरोधी पार्टियों द्वारा फैलायी जा रही अफवाहों का जोरदार खंडन करने के निर्देश पार्टी कार्यकर्ताओं को दिये गये हैं. इससे जुड़े तथ्य भी उन्हें उपलब्ध कराये जा रहे हैं.

नया नारा : अबकी बार फिर मोदी सरकार

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना पानीपत की लड़ाई से की है. पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अमित शाह ने कहा कि अगर चुनाव में हमारी हार होती है, तो यह पानीपत की लड़ाई में मराठाओं की हार की तरह होगी. शाह ने कहा कि यह विचारधाराओं की लड़ाई है. शाह का मानना है कि विपक्ष के पास कोई सर्वमान्य नेता नहीं है. उनका यह भी मानना है कि महागठबंधन एक ढकोसला है और सभी विपक्षी पार्टियां एक साथ आ रही हैं, तो उसका एकमात्र कारण उनके निजी स्वार्थ हैं. इसलिए भाजपा को अपनी ताकत बढ़ाने और जन-जन तक पहुंचने में अपनी ऊर्जा लगाने की जरूरत है, न कि महागठबंधन को गंभीरता से लेने की.

‘वोट मेरा मोदी को’ कैंपेन

भाजपा दिल्ली प्रदेश पूर्वांचल मोर्चा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गयी है. उसने एक नया कैंपेन शुरू किया है : ‘वोट मेरा मोदी को’. कैंपेन का मुख्य उद्देश्य भाजपा के उन पूर्व पदाधिकारियों को संगठन से जोड़ना है, जो अभी पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर सक्रिय नहीं हैं. कहा गया कि मोदी सरकार द्वारा किये गये कार्यों को जन-जन तक ले जाकर उसे मत में परिवर्तित करना इस कैंपेन का मुख्य उद्देश्य है.

किसानों की कर्जमाफी पर रणनीति

किसान मोर्चा को भी पार्टी ने किसानों के बीच जाने को कहा है. किसानों की कर्जमाफी के मामले पर पार्टी एक स्पष्ट रणनीति चाहती है. वहीं, एससी/एसटी एक्ट और ओबीसी कमीशन को लेकर भी वह विपक्ष को मौका देने के मूड में नहीं है. मार्च, 2019 में लोकसभा चुनाव का एलान हो सकता है. उससे पहले भाजपा चुनाव जीतने के हर हथकंडे को आजमा लेना चाहती है.

आक्रामक होंगे अमित शाह

सवाल पूछे जा रहे हैं कि आम चुनावों में अमित शाह का रुख क्या होगा. तीन राज्यों की सत्ता गंवाने वाली पार्टी के प्रमुख 2019 के लोकसभा चुनाव तक इन नतीजों के असर को कम करने के लिए क्या करेंगे? वो क्या कर सकते हैं? उनके पास क्या विकल्प होंगे? ऐसा माना जा रहा है कि अमित शाह सपने दिखाने की बजाय चुनाव जीतने का शॉर्टकट अपना सकते हैं. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पांच राज्यों में हार के बाद अमित शाह ज्यादा सतर्क और आक्रमक हो जायेंगे. भाजपा चाहेगी कि शाह के तरकश से निकले सभी तीर निशाने पर लगें. वहीं, विरोधी दल चाहेंगे कि उनका हर तीर निशाने से चूक जाये.

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