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कम उम्र के युवा बन रहे मुंह व गला कैंसर के मरीज

वर्ल्ड हेड-नेक कैंसर डे आज : एशियन पेसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन की रिपोर्ट में खुलासा, मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में पटना : देशभर में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक मुख और गले के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. इनमें से 50 प्रतिशत की मौत बीमारी की पहचान के […]

वर्ल्ड हेड-नेक कैंसर डे आज : एशियन पेसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन की रिपोर्ट में खुलासा, मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में
पटना : देशभर में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक मुख और गले के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं. इनमें से 50 प्रतिशत की मौत बीमारी की पहचान के अंतराल में ही हो जाती है. पूरी दुनिया में 27 जुलाई को विश्व गला व सिर कैंसर दिवस मनाया जाता है, बावजूद अभी तक इससे होेने वाली मौतों पर सरकार पूरी तरह से रोक लगा नहीं पा रही. खास कर पिछले 16 सालों में मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या काफी तेज गति से बढ़ी है. इसका खुलासा एशियन पेसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन में जारी रिपोर्ट में हुआ है.
स्मोकिंग फैशन बड़ा कारण
वायस ऑफ टोबैको विक्टिम्स के पैटर्न व कैंसर सर्जन डाॅ वीपी सिंह बतातें है कि
करीब 30 साल पहले तक 60 से 70 साल की उम्र में मुंह और गले का कैंसर का कैंसर होता था.लेकिन, अब यह उम्र कम होकर 30 से 50 साल तक पहुंच गयी है. वहीं, आजकल 20 से 25 वर्ष के कम उम्र के युवाअों में मुंह और गले का कैंसर देखा जा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण हमारी सभ्यता का पाश्चात्यकरण तथा युवाओं में स्मोकिंग को फैशन व स्टाइल आइकाॅन मानना है. मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्याभारत में है.
पहले पता लगे तो रोकथाम संभव
उन्होंने कहा कि हेड-नेक कैंसर के मामले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य येाजनाअों वंचित लोगों, परिवारों व समुदायों पर भार बढ़ा रहे हैं. भाग्यवश हेड नेक कैंसर से जुड़े अधिकांश मामलों में यदि बीमारी का पता पहले लग जाये तो इसे रोका जा सकता है और इलाज भी किया जा सकता है. लाखों लोग रोग की देरी से पहचान, अपर्याप्त इलाज व अनुपयुक्त पुनर्वास सुविधाओं के शिकार हो जाते हैं. इस कारण कितनी ही परिवार अनाथ हो जाते हैं.
धूम्ररहित तंबाकू खाने में भारत अव्वल
डॉ सिंह ने बताया कि पूरे विश्व की तुलना में धूम्ररहित चबाने वाले तंबाकू उत्पाद (जर्दा, गुटखा, खैनी) का सेवन सबसे अधिक भारत में होता है. यह सस्ता और आसानी से मिलने वाला नशा है. पिछले दो दशकों में इसका प्रयोग अत्याधिक रुप से बढ़ा है, जिस कारण भी हेड-नेक कैंसर के रोगी बढ़े हैं.
उन्होंने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा वर्ष 2008 में प्रकाशित अनुमान के मुताबिक भारत में हेड-नेक कैंसर के मामलों में वृद्वि देखी जा रही है. कैंसर में इन मामलों में 90 फीसदी तंबाकू, मदिरा व सुपारी के सेवन से होते हैं और इस प्रकार के कैंसर की रोकथाम की जा सकती है.
50 फीसदी पुरुषों में कैंसर की वजह तंबाकू
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट मे भी इस बात का खुलासा किया गया है कि पुरुषों में 50 फीसदी और महिलाओं में 25 फीसदी कैंसर की वजह तंबाकू है. इनमें से 60 फीसदी मुंह के कैंसर हैं. धुआं रहित तंबाकू में 3000 से अधिक रासायनिक यौगिक हैं. इनमें से 29 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं.

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