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पटना : बढ़ रही मरीजों की संख्या, गंभीर बीमारियों के डॉक्टरों की कमी

उच्चतर डिग्री देनेवाले संस्थान नहीं पटना : राज्य में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है. मेडिकल कॉलेजों में अभी तक आठ कोर्सों के तहत महज 21 चिकित्सकों के प्रशिक्षण की ही व्यवस्था है. नतीजा है कि विशेष इलाज के लिए मरीजों को राज्य के बाहर या […]

उच्चतर डिग्री देनेवाले संस्थान नहीं
पटना : राज्य में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है. मेडिकल कॉलेजों में अभी तक आठ कोर्सों के तहत महज 21 चिकित्सकों के प्रशिक्षण की ही व्यवस्था है. नतीजा है कि विशेष इलाज के लिए मरीजों को राज्य के बाहर या राजधानी में गिने-चुने चिकित्सकों के यहां महीनों इलाज के लिए इंतजार करते हैं.
हर साल डायरिया की चपेट में 11 लाख से अधिक मरीज पीड़ित होते हैं. इन मरीजों के विशेष इलाज के लिए सरकार के पास सिर्फ दो विशेषज्ञ चिकित्सकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है. राज्य में सांस की तकलीफ से 36 लाख मरीज पीड़ित होते हैं. इस बीमारी के इलाज के लिए राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में एक भी चिकित्सक को डीएम कोर्स में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था नहीं हैं.
इसी प्रकार से राज्य में प्रति वर्ष कैंसर रोगियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है पर इसके लिए डीएम अंकोलॉजी कोर्स का प्रशिक्षण राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में नहीं होता. राज्य में अभी तक मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सकों के लिए डीएम और एमसीएच कोर्स न के बराबर हैं.
जिन मेडिकल कॉलेजों में डीएम व एमसीएच कोर्स दिये जाते हैं उससे राज्य की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान,शेखपुरा में डीएम नेफ्रोलॉजी कोर्स में तीन चिकित्सकों, डीएम कार्डियोलॉजी कोर्स में तीन चिकित्सकों, डीएम न्यूरोलॉजी कोर्स में दो चिकित्सकों के प्रशिक्षण की मंजूरी वर्ष 2019-20 सत्र के लिए प्राप्त हुई है.
विशेष इलाज के लिए मरीज जाते हैं राज्य के बाहरमेडिकल कॉलेजों में अभी आठ कोर्सों के तहत ही डॉक्टरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था डीएम अंकोलॉजी कोर्स की ट्रेनिंग किसी मेडिकल कॉलेज में नहीं होती
जबकि डीएम गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी कोर्स में सिर्फ दो चिकित्सकों के प्रशिक्षण की मंजूरी वर्ष 2014 सत्र से मिली है. इसी प्रकार से एमसीएच डिग्री के लिए पीएमसीएच के प्लास्टिक सर्जरी कोर्स में आठ सीटों के अलावा आइजीआइएमएस, के जीआइ सर्जरी में तीन सीटों, पेडियाट्रिक सर्जरी में दो सीटों, न्यूरो सर्जरी में दो सीटों और यूरोलॉजी की उच्चतर डिग्री के लिए चार सीटों की मंजूरी दी गयी है.
इसके अलावा किसी भी मेडिकल कॉलेज में न तो कैंसर,सांस की बीमारी, बच्चों की बीमार सहित दर्जनों बीमारियों के इलाज के लिए डीएम व एमसीएच कोर्स नहीं हैं. देश में बीमारियों के इलाज के दिये जानेवाले उच्चतर विशेषज्ञता वाले कोर्स में तो सिर्फ बच्चों के इलाज के लिए 13 प्रकार के आधुनिक विषयों में डीएम का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
बिहार के एक भी मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार का कोई भी कोर्स नहीं कराया जा रहा है. राज्य में मानसिक स्वास्थ्य मामले में सहायता चाहनेवाले मरीजों की संख्या आबादी की 10 फीसदी है. पर इसके लिए राज्य के किसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डीएम एडिक्शन साइकेयेट्री कोर्स किसी भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं चलाया जाता है.

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