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उत्तर बिहार का हाल: नहीं चला विपक्ष का जादू, एनडीए का वोट बढ़ा

रजनीश उपाध्याय-12 सीटों पर एनडीए का कब्जा बरकरारउत्तर बिहार की सभी 12 सीटें इस बार भी एनडीए के खाते में गयी हैं. खास बात यह रही कि तकरीबन सभी सीटों पर एनडीए ने अपने खाते में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा वोट हासिल किये. जिन सीटों पर कांटे के मुकाबले जैसी स्थिति दिख रही […]

रजनीश उपाध्याय
-12 सीटों पर एनडीए का कब्जा बरकरार
उत्तर बिहार की सभी 12 सीटें इस बार भी एनडीए के खाते में गयी हैं. खास बात यह रही कि तकरीबन सभी सीटों पर एनडीए ने अपने खाते में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा वोट हासिल किये. जिन सीटों पर कांटे के मुकाबले जैसी स्थिति दिख रही थी, वहां भी चुनाव परिणाम एकतरफा ही रहा. राजद और कांग्रेस ने मुकेश सहनी और उपेंद्र कुशवाहा को अपने साथ जोड़कर एक नये सामाजिक समीकरण का आधार तैयार करने की कोशिश की थी.

दोनों नेता उस वोट बैंक को महागठबंधन के खाते में ट्रांसफर कराने मे कामयाब नहीं हुए, जिस पर उनका दावा था. मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी ने मधुबनी और मुजफ्फरपुर में प्रत्याशी खड़े किये थे. मुजफ्फरपुर में भाजपा के अजय सहनी की जीत का अंतर पिछली बार (2014) के मुकाबले करीब दोगुने का रहा. वीआइपी के राजभूषण चौधरी की बुरी तरह हार हुई. वीआइपी के दूसरे प्रत्याशी बद्री पूर्वे (मधुबनी) भी करीब चार लाख मतों के अंतर से हार गये. मधुबनी में कांग्रेस से बगावत कर उतरे निर्दलीय शकील अहमद को करीब 1.31 लाख मत मिले, जो बद्री पूर्वे को मिले मत से सिर्फ नौ हजार कम हैं.
यानी शकील अहमद और बद्री पूर्वे को जितने मत मिले, उससे ज्यादा मतों के अंतर से भाजपा के अशोक यादव चुनाव जीत गये. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने पश्चिम और पूर्वी चंपारण से प्रत्याशी खड़े किये थे और उजियारपुर से वह खुद खड़े थे. उजियारपुर का परिणाम बताता है कि राजद के आधार मत कुशवाहा के पक्ष में ट्रांसफर नहीं हो पायें. यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानद राय दो लाख 76 हजार मतों के अंतर से जीत गये. पिछली बार उनकी जीत का अंतर सिर्फ 56 हजार मतों से था. रालोसपा के बाकी दोनों प्रत्याशी (पश्चिम चंपारण से बृजेश कुशवाहा और पूर्वी चंपारण से आकाश सिंह) भी बुरी तरह पराजित हुए. पश्चिम चंपारण में निवर्तमान सांसद सतीश चंद्र दुबे का टिकट काटे जाने से ब्रह्मण वोट में नाराजगी दिख रही थी, लेकिन चुनाव परिणाम में यह नाराजगी अभिव्यक्त नहीं हुई.
चंपारण की दोनों सीटों पर पहले की तुलना में एनडीए का वोट बढ़ा है. पूर्वी चंपारण से केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने 2.35 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि 2014 में वह 1.92 लाख के अंतर से जीते थे. वैशाली में एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशी राजपूत जाति से थे और जातीय गोलबंदी में मुकाबला कांटे का था, लेकिन मोदी लहर में यह टूट गया. यहां नोटा को लेकर चला अभियान भी कोई असर नहीं छोड़ पाया. उत्तर बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुजफ्फरपुर, दरभंगा और रामनगर में सभाएं की थीं. तेजस्वी की सभा में भी भीड़ दिखी थी, लेकिन यह भीड़ वोट में तब्दील न हो पायी. अधिकतर सीटों पर प्रत्याशियों के प्रति गहरी नाराजगी के बावजूद मतदाताओं ने एनडीए के पक्ष में मतदान किया.
पांच नये चेहरे जीते : उत्तर बिहार से पांच नये चेहरे ये हैं गोपालजी ठाकुर (दरभंगा), वीणा देवी (वैशाली), अशोक यादव (मधुबनी), रामप्रीत मंडल (झंझारपुर) और सुनील कुमार पिंटू (सीतामढ़ी) ने जीत दर्ज की है. इनमें गोपालजी ठाकुर ने 2.67 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की. वीणा देवी ने वैशाली से राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को पराजित किया. सीतामढ़ी से जीत दर्ज करने वाले सुनील कुमार पिंटू नामांकन के ठीक पहले भाजपा छोड़ जदयू में शामिल हुए थे.

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