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एनआइटी पटना में पहली बार इंटरनेशनल प्लेसमेंट, जापानी कंपनी ने चुने पांच छात्र
सुजीत कुमार पटना : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पटना ने अनोखी सफलता हासिल की है. संस्थान में पहली बार इंटरनेशनल प्लेसमेंट हुआ है. इसके तहत पांच छात्रों को जापान की कंपनी ने प्लेसमेंट दिया है. यह जानकारी ट्रेनिंग प्लेसमेंट सेल के प्रमुख सह फैकल्टी प्रो सम्राट मुखर्जी ने बुधवार को दी. जापान में करेंगे कार्य […]
सुजीत कुमार
पटना : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पटना ने अनोखी सफलता हासिल की है. संस्थान में पहली बार इंटरनेशनल प्लेसमेंट हुआ है. इसके तहत पांच छात्रों को जापान की कंपनी ने प्लेसमेंट दिया है. यह जानकारी ट्रेनिंग प्लेसमेंट सेल के प्रमुख सह फैकल्टी प्रो सम्राट मुखर्जी ने बुधवार को दी.
जापान में करेंगे कार्य
प्रो मुखर्जी ने बताया कि संस्थान के कंप्यूटर साइंस, आइटी के छात्रों स्नेहिल कुमार, राम बाबू, मो फरीद सुबहानी, गरिमा सिंह और अपूर्वा प्रियदर्शनी का चयन जापान की कंपनी ह्यूमन रिसोसिया ने किया है. यह कंपनी ह्यूमन रिसोर्स सॉल्यूशन के क्षेत्र में कार्य करती है. इन छात्रों को करीब 27 लाख जापानी येन यानी करीब 17 लाख भारतीय रुपये सालाना पैकेज ऑफर किया गया है. ये छात्र जापान की राजधानी टोक्यो में अपनी सेवा देंगे.
उन्होंने बताया कि करीब चार साल पहले माइक्रोसॉफ्ट कंपनी भी प्लेसमेंट के लिए आयी थी, लेकिन तब किसी छात्र को प्लेसमेंट नहीं मिला सका था. जापान की कंपनी ने 19 अप्रैल को टेस्ट लिया था जबकि 21 अप्रैल को इंटरव्यू का आयोजन किया गया था. पहला राउंड टेक्निकल और दूसरा राउंड कोडिंग का था. एक्सपर्ट टीम में चार जापानी और दो भारतीय एक्सपर्ट शामिल थे.
कंप्यूटर साइंस के छात्र राम बाबू कहते हैं, इस सफलता को हासिल करने के लिए मैंने कोडिंग, डाटा स्ट्रक्चर तथा एल्गोरिदम पर विशेष रूप से ध्यान दिया था. इससे पहले एक और कंपनी में प्लेसमेंट के लिए बैठा था. चार भाई बहनों में सबसे बड़े राम बाबू ने 10वीं तथा 12वीं की परीक्षा दरभंगा के एक स्कूल से क्लियर किया था. राम बाबू के पिता किसान हैं जबकि मां गृहिणी है.
प्लेसमेंट के लिए की थी तैयारी
पटना के बोरिंग रोड की निवासी और आइटी की छात्रा अपूर्वा कहती हैं, प्लेसमेंट के लिए तैयारी बहुत उम्मीद से की थी. सभी विषयों पर ध्यान दिया था, लेकिन विदेश की कंपनी से प्लेसमेंट ऑफर होगा. इस बात का अंदाजा भी नहीं था. सेंट जोसेफ कॉन्वेंट से 2013 में 10वीं और सेंट माइकल से 2015 में 12वीं करने वाली अपूर्वा के पिता अशोक कुमार सिंह सरकारी कर्मी हैं, जबकि मां गृहिणी है.
कोडिंग पर दिया था विशेष ध्यान
लखनऊ की वृंदावन कॉलोनी की रहने वाले और आइबी में इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार सिंह की पुत्री और आइटी की छात्रा गरिमा सिंह कहती हैं, प्लेसमेंट के लिए मैंने एप्टीट्यूड और कोडिंग पर विशेष रूप से फोकस किया था. गरिमा का एक भाई बीटेक की स्टडी करता है. गरिमा ने 10वीं की परीक्षा 2012 में लखनऊ पब्लिक स्कूल से और 13वीं का परीक्षा भी उसी स्कूल से 2014 में क्लियर किया था.
लैंग्वेज पर किया था विशेष फोकस
पटना के राजेंद्र नगर के रहने वाले डिफेंस कर्मी रंजन कुमार के पुत्र और कंप्यूटर साइंस के छात्र स्नेहित कहते हैं, प्लेसमेंट के लिए मैंने प्रोजेक्ट पर विशेष रूप से ध्यान दिया था. कोडिंग पर फोकस किया था. सी प्लस प्लस को भी देखा था. जापानी एक्सपर्ट ने यह देखा था कि हम प्रोजेक्ट को कैसे करते हैं? स्नेहिल ने केंद्रीय विद्यालय कानपुर से 2012 में 10वीं और उसी स्कूल से 2014 में 12वीं को क्लियर
किया है.
छात्रों ने की कड़ी मेहनत
जापानी कंपनी द्वारा इंटरनेशनल प्लेसमेंट देना संस्थान की एक्सिलेंसी काे दर्शाता है. इस सफलता को पाने के लिए छात्रों ने कड़ी मेहनत भी की थी.
-प्रो सम्राट मुखर्जी, प्रमुख, टी एंड पी, एनआइटी पटना
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