अनुज शर्मा
एससी-एसटी उत्पीड़न के 25107 मामले लंबित
पटना : अनुसूचित जाति और अनसूचित जनजाति के लोगों को न्याय दिलाने में नाकाम विशेष लोक अभियोजक हटाये जायेंगे. संतोषजनक कार्य नहीं करने वाले विशेष अभियोजकों को हटाने की सिफारिश अभियोजन निदेशालय से की गयी है.
राज्य में एससी-एसटी उत्पीड़न के 25107 मामले किसी न किसी वजह से लंबित हैं. पांच माह में कोर्ट ने 700 से अधिक फैसले दिये, लेकिन 16 जिलों के विशेष लोक अभियोजक एक भी आरोपित को सजा नहीं दिलवा पाये.पिछले महीने अभियोजन निदेशालय ने हाजीपुर स्थित बिहार सुधारात्मक प्रशासनिक संस्थान में एससी-एसटी अधिनियम के तहत दर्ज मामलों से संबंधित विशेष लोक अभियोजकों के कार्यों की समीक्षा की थी.
इसमें संयुक्त सचिव प्रदीप कुमार, उप निदेशक विजय प्रताप सिंह, विधि विभाग के परामर्शी नीरज किशोर, एडी विधि फतेह बहादुर सिंह आदि मौजूद थे. प्रदेश भर के विशेष लोक अभियोजक बुलाये गये थे. समीक्षा में पाया गया कि हजारों मामले अभियुक्तों की उपस्थिति, साक्ष्य अथवा आरोप गठन के चलते लंबित हैं.
पांच महीने (अक्टूबर 18 से फरवरी 19) में पश्चिमी चंपारण में 47 मामलों में फैसला आया, लेकिन एक भी मामले में सजा नहीं हुई. मधुबनी में 54 मामलों में मात्र दो में सजा हो सकी. पटना में 12 मामलों में निर्णय हुआ, जिसमें मात्र एक में सजा हुई.
अभियुक्त के बिना सजा के छूटने के लिए विशेष लोक अभियोजकों की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार माना जा रहा है. उपविधि परामर्शी नीरज किशोर ने बताया कि जिन विशेष लोक अभियोजकों का कार्य संतोषजनक नहीं पाया जायेगा, उनको हटाकर उनके स्थान पर नये विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की जायेगी.
इन जिलों में नहीं हुई एक भी सजा
नालंदा, बक्सर, जहानाबाद, अरवल, नवादा, सारण, जमुई, बेगूसराय, लखीसराय, बेतिया, मोतीहारी, वैशाली, दरभंगा, अररिया, किशनगंज, भागलपुर.
लंबित वाद
कोर्ट में अभियुक्तों की उपस्थिति नहीं होने से लंबित मामले : 9661
आरोप गठन नहीं होने के कारण लंबित मामले : 1155
साक्ष्य के कारण लंबित मामले : 13715
बहस के चलते लंबित मामले : 576
फैसलों की स्थिति
फैसला 717
सजा 68
रिहाई 635
सभी लाेक अभियोजक व्हाट्सएप से जुड़ेंगे : एससी-एसटी के वादों में समय से निस्तारण और आरोपितों को सजा दिलाने की संख्या बढ़ाने के लिए अभियोजन निदेशालय ने सभी विशेष लोक अभियोजकों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है. सभी को एक व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा जायेगा, ताकि वे एक-दूसरे से सलाह मशविरा भी कर सकें. हर माह कम से कम एक वाद में सजा दिलानी होगी.
आरोपित के बरी होने पर हाइकोर्ट में अपील करेंगे. कितने मामलों में अपील की इसका ब्योरा निदेशालय को देना होगा. अदालत में दलील भी वह लिखित में देंगे. थाना और जिला स्तर पर आने वाली दिक्कतों के स्थायी समाधान के लिए वह डीएम-एसएसपी के समन्वयक बनायेंगे.