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बिहार का टैक्स संग्रह देश से बेहतर

रुपये में कटौती से राज्य का बजट 90-92 फीसदी ही हो पायेगा खर्च केंद्रीय टैक्स संग्रह में कमी होने से राज्य को मिलने वाली टैक्स राशि में की गयी कटौती केंद्रीय टैक्स पूल और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में कटौती से राज्य का पूरा बजट नहीं हो पायेगा खर्च पटना : चालू वित्तीय वर्ष […]

रुपये में कटौती से राज्य का बजट 90-92 फीसदी ही हो पायेगा खर्च
केंद्रीय टैक्स संग्रह में कमी होने से राज्य को मिलने वाली टैक्स राशि में की गयी कटौती
केंद्रीय टैक्स पूल और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में कटौती से राज्य का पूरा बजट नहीं हो पायेगा खर्च
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य का बजट एक लाख 78 हजार करोड़ का है. वित्तीय वर्ष समाप्त होने में 10 दिन बचे हुए हैं. ऐसे में कुल बजट का 90 से 92 फीसदी राशि ही खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इसका मुख्य कारण केंद्र से राज्य को मिलने वाली राशि में कटौती होना है. चालू वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) समेत अन्य टैक्स के संग्रह में लक्ष्य से 10 से 12 फीसदी की कमी आने के कारण बिहार को मिलने वाली हिस्सेदारी में कटौती हुई है. इस वजह से राज्य को पूरा बजट खर्च करने के लिए पैसे की कमी होगी. यह कमी और अधिक हो सकती थी, लेकिन राज्य का अपना टैक्स संग्रह बेहतर होने की बदौलत कुल बजट में राशि की बहुत कमी नहीं हुई. राज्य के सभी आंतरिक स्रोत से टैक्स संग्रह का लक्ष्य 32 हजार करोड़ का रखा गया था, जिसमें अब तक 29 हजार करोड़ से ज्यादा का टैक्स संग्रह हो चुका है. वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक इसके 31 हजार करोड़ से ज्यादा संग्रह होने का अनुमान है, जो लक्ष्य के अनुरूप है. चालू वित्तीय वर्ष में राज्य के टैक्स संग्रह की स्थिति देश के टैक्स संग्रह से कही बेहतर है.
केंद्र प्रायोजित योजनाओं में आये कम रुपये : केंद्रीय टैक्स संग्रह में कमी होने की वजह से राज्य को अलग-अलग तरह से मिले वाली राशि में कमी आयी है.
बिहार को इस बार सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) में 36 हजार करोड़ के आने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसमें महज 16 हजार करोड़ रुपये ही आये हैं. यह निर्धारित लक्ष्य में आधा से भी कम है. राज्य में करीब 57 सीएसएस चलती हैं, जिसमें सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मनरेगा, पीएम आवास योजना, आइसीडीएस, मध्याह्न भोजन, स्मार्ट सिटी मिशन, नमामि गंगे समेत अन्य प्रमुख हैं. इसमें अधिकांश योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक केंद्र से रुपये नहीं मिले हैं.
केंद्रीय टैक्स पूल में हुई कटौती :
केंद्रीय टैक्स पूल से राज्य की हिस्सेदारी के रूप में इस वित्तीय वर्ष के दौरान 76 हजार करोड़ रुपये आने का लक्ष्य रखा गया है. ये रुपये 12 महीनों के दौरान 14 किस्तों में आते हैं. मार्च महीने में दो किस्तों की राशि एक साथ आती है. इस बार इसमें ढाई हजार करोड़ की कटौती की गयी है. अब राज्य को 73 हजार 500 करोड़ ही मिलेंगे. इससे भी राज्य को पैसे में बड़ी कमी महसूस होगी. इन तमाम कारणों से राज्य का बजट पूरा खर्च नहीं हो पायेगा.

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