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मूलधन 106 करोड़ और ब्याज हो गया 6000 करोड़, जानें पूरा मामला

पटना : सुनने में बड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन है सोलह आना सच. राज्य के औद्योगिक विकास के लिए बने बिहार राज्य वित्त निगम (बीएसएफसी) का हाल यह है कि शरीर से भारी इसका कपड़ा हो गया है.निगम के उद्यमियों के पास छह हजार करोड़ से अधिक बकाया है. लेकिन इसका एक पहलू यह […]

पटना : सुनने में बड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन है सोलह आना सच. राज्य के औद्योगिक विकास के लिए बने बिहार राज्य वित्त निगम (बीएसएफसी) का हाल यह है कि शरीर से भारी इसका कपड़ा हो गया है.निगम के उद्यमियों के पास छह हजार करोड़ से अधिक बकाया है. लेकिन इसका एक पहलू यह है कि इसमें मूलधन मात्र 106 करोड़ रुपये है. इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या उद्यमियों की नीयत, 106 करोड़ मूलधन का ब्याज तीन दशक में बढ़ते-बढ़ते छह हजार करोड़ हो गया. सरकार ने एक बार फिर से निगम को खड़ा करने के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) की घोषणा की है.
28 फरवरी तक यह योजना चलेगी. इसके बाद निगम एक बार फिर से उद्यमियों को ऋण देगा. सरकार राज्य के औद्योगिक विकास को गति देना चाह रही है. लेकिन, बैंकों को जैसी दिलचस्पी दिखानी चाहिए, वैसा दिख नहीं रहा. इसके चलते राज्य सरकार अपनी एजेंसियों के जरिये उद्यमियों को कर्ज देगी. सरकार ने पुराने बकायेदार उद्यमियों के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) लायी है.
राज्य में यह योजना 15 जनवरी से लागू हो गयी है. इस योजना का लाभ उन बकायेदारों को मिलेगा, जिन्होंने राज्य सरकार के संस्थानों-बीएसएफसी, बिसिको और बीएसआइडीसी से कर्ज लिया था. पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें इन तीनों को फिर से क्रियाशील करने का निर्णय हुआ था.

इन तीनों निगमों को फिर से क्रियाशील बनाने के लिए ही ओटीएस लायी गयी है. हालांकि, इतने पैसे की वसूली की संभावना खुद सरकारी अधिकारियों को नजर नहीं आ रही. अगले पांच साल तक इसके बाद विभाग ओटीएस स्कीम नहीं लायेगा.

2748 लोग हैं कर्जदार
बिहार राज्य वित्त निमग के छह हजार करोड़ के 2748 लोग कर्जदार हैं. उद्यमियों के पास तीन दशक से अधिक समय से बकाया है. अधिकतर मामले 1980 से 90 के बीच की है. इसमें बिहार और झारखंड दोनों राज्यों के कर्जदार है.
निगम की स्थापना 1977 में हुई थी. निगम के नौ क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं, जिनमें तीन झारखंड में हैं. निगम 90 लाख रुपये तक एक बार कर्ज देता है. निगम के सीएमडी रंजीत कुमार कहते हैं कि ओटीएस के बाद निगम नये और पुराने दोनों उद्यमियों को ऋण देगा. उन्होंने कहा कि बकायेदारों को ओओटीएस का लाभ उठाना चाहिए.
मूलधन से अधिक बकाया ब्याज है. इधर, बिसिको द्वारा दिये गये कर्ज की मूलधन राशि करीब 67 करोड़ है. इसका भी ब्याज बढ़ते-बढ़ते करीब दो हजार करोड़ रुपये हो गया है.

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