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पटना में हर दिन 80 टन मछली की होती है खपत, एक करोड़ रुपये का है कारोबार, 18 से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे विक्रेता

पटना : पटना के थोक मंडी बाजार समिति में हर दिन लगभग 80 टन से अधिक मछलियां आती है और यहां से पटना शहर के विभिन्न इलाके में जाती हैं. इनमें 70 फीसदी से अधिक (करीब 56 टन ) मछलियां आंध्र प्रदेश से आती हैं. एक अनुमान के अनुसार हर दिन लगभग एक करोड़ रुपये […]

पटना : पटना के थोक मंडी बाजार समिति में हर दिन लगभग 80 टन से अधिक मछलियां आती है और यहां से पटना शहर के विभिन्न इलाके में जाती हैं. इनमें 70 फीसदी से अधिक (करीब 56 टन ) मछलियां आंध्र प्रदेश से आती हैं. एक अनुमान के अनुसार हर दिन लगभग एक करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इसमें अकेले आंध्र प्रदेश की मछलियों का कारोबार 70 लाख रुपये से अधिक है, जबकि अन्य मछलियों का कारोबार 30 लाख रुपये से अधिक का है.
कहां-कहां से अाती हैं मछलियां : पटना शहर में आंध्र प्रदेश से लेप युक्त मछलियां, जिंदा मछलियां पश्चिम बंगाल के अलावा गोपालगंज, छपरा, सीवान, मधुबनी, हाजीपुर, मसौढ़ी आदि से आती हैं.
कहां सजती हैं दुकानें
पटना में मुख्य रूप से राजाबाजार, पुनाइचक, हड़ताली मोड़, सिपारा, चिरैयाटाड़ पुल के नीचे, फुलवारी शरीफ, चितकोहरा, जगनपुरा, जक्कनपुर, राजाबाजार, कंकड़बाग टेम्पू स्टैंड,मीठापुर, मछुआ टोली, भुतनाथ रोड, दानापुर, रामकृष्णा नगर आदि स्थान प्रमुख है जहां लगभग एक दर्ज दुकानें सजती हैं.
18 से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे विक्रेता
पटना नगर निगम क्षेत्र में आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित लोकल मछलियों की बिक्री पर पंद्रह दिन की रोक लगाये जाने के फैसले का थोक मछली व्यवसायियों ने विरोध किया है. इस फैसले के विरोध में मछली कारोबार से जुड़े करीब 20 लाख लोग 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. इस दौरान किसी भी प्रकार की मछलियों की खरीद और बिक्री नहीं होगी.
बिहार मछली थोक व्यवसायी संघ के अध्यक्ष अनुज कुमार ने देर शाम यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय सोमवार को संघ की विशेष बैठक में लिया गया. बैठक में थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और मछली कारोबार से जुड़े लोग शामिल रहे. अनुज कुमार ने बताया कि फिलहाल यह निर्णय केवल पटना नगर निगम इलाके के लिए है, लेकिन सरकार की मंशा को देखते हुए लगता है कि आने वाले दिनों में पूरे सूबे में लागू न कर दें. उन्हाेंने कहा कि सरकार के फैसले से मछली कारोबार से जुड़े लोग सड़क पर आ जायेंगे.
लेकिन जांच अधिकारी मंडी नहीं आ रहे हैं. पता नहींजांच अधिकारी ने कहां से जांच के लिए मछली का सैंपल लिया है. यह जानकारी किसी को नहीं है.
बाजार समिति में कारोबारियों ने किया प्रदर्शन
रोक लगाये जाने की सूचना मिलने के बाद मछली के थाेक और खुदरा विक्रेताओं में निराशा की लहर दौड़ पड़ी. करीब चार हजार से अधिक कारोबारियों ने बाजार समिति परिसर में इकट्ठा होकर प्रदर्शन व नारेबाजी की. संघ मंगलवार को विरोध मार्च निकालने वाली थी, लेकिन डीएम से आदेश नहीं मिलने के कारण 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.
सरकार का निर्णय पूरी तरह आधारहीन है. कुछ शिकायत मिलने के बाद सरकार ने सभी मछलियों के बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. इससे इस कारोबार से जुड़े लाखों लोग की रोजी-रोटी छिन जायेगी. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.
सनोज साहनी, मछली विक्रेता, हड़ताली मोड़ मछली मंडी
आंध्र वाले मछली में शिकायत है तो सरकार जांच करे. हमलोग भी तो वहीं मछली खाते हैं. हमको काहे न कैंसर हो रहा है. प्रतिबंध के बाद घर-परिवार चलाना मुश्किल हो जायेगा. उसके बाद हम लोगों को छिनछोरी, पाॅकेटमारी करना पड़ेगा. इसके लिए कौन जिम्मेवार होगा. आप ही बताइये.
गीता देवी, मछली विक्रेता
प्रतिबंध के बावजूद मछली बेचेंगे. सरकार को जो करना है. वह करे. अपनी रोजी- रोटी के लिए सड़क पर उतरने को तैयार है. जल्द रोक नहीं हटा तो. पूरे परिवार के साथ आंदोलन करेंगे. एक दुकान में चार से पांच लोग लगे रहते है. तब जाकर घर -परिवार चलता है.
ललिता देवी, मछली विक्रेता
जिस मछली को लेकर शिकायत है. उसके बिक्री पर सरकार रोक लगा रही है तो अच्छी बात है. लेकिन अन्य मछलियों पर भी रोक लगाने से मछली कारोबारी बेरोजगार हो जायेंगे. प्रतिबंध लगने से ग्रामीण क्षेत्रों में मछली कारोबार से जुड़ लाखों लोगों पर बुरा असर पड़ेगा.
राम लोचन, खरीदार
फर्मेलीन से कैंसर का होता है खतरा
पटना : वरिष्ठ फिजिशियन डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि मछली पर फर्मेलीन का प्रयोग इंसान के उपयोग के लिए काफी घातक साबित होता है. कैंसर सोसाइटी ने इसे नॉट फिट फॉर ह्यूमन कंजम्प्प्शन बताते हुए प्रतिबंधित कर रखा है. यह शरीर के अंदर एलर्जी कर सकता है. साथ ही लीवर, किडनी व मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव डालता है. सेंसेटिव लोगों में इसके प्रयोग से हंफनी, दमा की शिकायत बढ़ जाती है. इसमें जिंस को प्रभावित करने की क्षमता होती है, जिससे कैंसर की संभावना कहीं अधिक बढ़ जाती है.

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