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Thursday, March 28, 2024

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पटना : तीन घंटे पुलिस व एसटीएफ को छकाया और आधे घंटे की दोतरफा फायरिंग के बाद मारा गया मुचकुंद

जटाहा गिरोह से हुई मुठभेड़ के बाद पकड़े गये दीपू की निशानदेही पर हुई कार्रवाई पटना : न्यू बाइपास पर कांस्टेबल मुकेश कुमार के शहीद होने के बाद पुलिस ने मुचकुंद उर्फ मुचकुन और उज्जवल को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी थी. इसी दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच पिछले सप्ताह में […]

जटाहा गिरोह से हुई मुठभेड़ के बाद पकड़े गये दीपू की निशानदेही पर हुई कार्रवाई
पटना : न्यू बाइपास पर कांस्टेबल मुकेश कुमार के शहीद होने के बाद पुलिस ने मुचकुंद उर्फ मुचकुन और उज्जवल को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी
थी. इसी दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच पिछले सप्ताह में ही मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ के बाद जटाहा
सिंह निकल भागने में सफल रहा. लेकिन पुलिस की टीम ने जटाहा
गिरोह के सक्रिय सदस्य दीपू को गिरफ्तार कर लिया. दीपू की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को मुचकुंद तक पहुंचने में काफी मदद मिली. बताया जाता है कि पुलिस ने दीपू से पूछताछ की तो उसने कुछऔर अपराधियों के नामों की जानकारी दी. उसके मोबाइल फोन को खंगाला तो किशन का नाम सामने आया.
किशन जहानाबाद में एक अपार्टमेंट में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहा था. पुलिस टीम जहानाबाद पहुंची और किशन को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उसकी निशानदेही पर धीरज कुमार व विभाष कुमार को पकड़ा गया. किशन मुचकुन गिरोह से जुड़ा है और दिखावे के लिए गार्ड की नौकरी कर रहा था. किशन उज्जवल के साथ भी रह चुका था. इसके कारण उसे मुचकुंद व उज्जवल के तमाम ठिकानों की जानकारी थी. राहुल शर्मा, किशन, धीरज व विभाष से पूछताछ की.
पुलिस को मुचकुंद व उज्जवल के बारे में अहम जानकारी मिली थी कि वे लोग दानापुर इलाके में ही कहीं छिपे हुए है. जानकारी के बाद पुलिस व एसटीएफ की टीम पटना में उन लोगों के संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी. बाइक से दोनों के भागने की जानकारी हुई और उसे पकड़ने के लिए उसका पीछा शुरू कर िदया. मुचकंुद ने पुलिस व एसटीएफ को तीन घंटे तक शहर की सड़कों पर छकाया और आधे घंटे की दोतरफा फायरिंग के बाद मारा गया.
मुचकुंद नौबतपुर का बन गया था आतंक
नौबतपुर के कुख्यात मुचकुंद उस इलाके के लूलन शर्मा की हत्या करने के बाद इलाके का आतंक बन गया था. लूलन शर्मा ही उसका एक मात्र विरोधी थी और वह उसके गिरोह के लिए भी कर चुका था.
लेकिन लूलन शर्मा के कारण उसकी एक नहीं चलती थी और वह नौबतपुर बाजार को अपने कब्जे में करना चाहता था. इसके बाद उसने माणिक सिंह के साथ मिल कर लूलन शर्मा की हत्या कर दी थी. इस मामले में लूलन शर्मा के बेटे गुलाब सिंह ने भी उसे आरोपित बनाया था. लूलन शर्मा की हत्या के बाद नौबतपुर बाजार में उसका एकछत्र राज हो गया और व्यवसायियों से रंगदारी वसूलना शुरू कर दिया. इसके साथ ही दहशत फैलाने के लिए कई बार फायरिंग भी की. इसके बाद दवा व्यवसायी दीपू की हत्या कर एक बार फिर से मुचकुंद सुर्खियों में आया.
…मुचकुंद धीरे-धीरे नौबतपुर के अलावा, पाली, विक्रम, बिहटा और आरा तक अपने गिरोहों की जड़ जमाने में कामयाब रहा. यहां तक की उसने उस इलाके में डॉक्टरों से भी रंगदारी मांगनी शुरू कर दी. अचानक कई घटनाओं को अंजाम देने के बाद वह पटना पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन गया था.
लूलन की हत्या के बाद मुचकुंद का दुश्मन बन गये थे जटाहा और गुलाब सिंह
पूर्व में जटाहा, दीपू, किशन, उज्जवल सभी मुचकुन के लिए ही काम करते थे. लेकिन बाद में जटाहा सिंह ने अपना गिरोह बना लिया. उज्जवल ने भी अपना गिरोह बना लिया. लेकिन वह अभी भी मुचकुन से जुड़ा था. लूलन शर्मा के मर्डर केस में मुचकुन और मनोज सिंह के बेटे माणिक का नाम सामने आया था. लूलन के मर्डर के बाद उसके बेटे गुलाब सिंह मुचकुन व माणिक का दुश्मन बन बैठा. इसके बाद गुलाब सिंह से जटाहा सिंह मिल गया और लगातार मुचकुन और माणिक सिंह को चुनौती देने लगा. इसी बीच गुलाब सिंह गिरफ्तार हो कर जेल चला गया तो जटाहा ने गिरोह की कमान संभाल ली.
इसके बाद जटाहा ने अपने गिरोह को संगठित करने के लिए दीपू को दिल्ली से लाया और उसे पैसे का लोभ देकर फिर से अपने गिरोह में शामिल कर लिया. दीपू गिरोह छोड़ कर दिल्ली में काम करने चला गया था. इसके बाद ये सभी नौबतपुर में एक सरपंच की हत्या करने के लिए जुटे थे और इसी बीच पुलिस को भनक लग गयी. इसके बाद पुलिस से मुठभेड़ हो गयी और दीपू पकड़ा गया.
नौबतपुर, बिहटा,
विक्रम के अपराधियों में अब केवल मनोज सिंह है फरार
नौबतपुर, बिहटा, विक्रम इलाके में अब कुख्यात मनोज सिंह व उसका बेटा माणिक सिंह पुलिस की पकड़ से बाहर है. इस इलाके में सक्रिय अमित सिंह, पवन चौधरी, रंजीत चौधरी आदि को पुलिस पूर्व में ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इसके अलावा इस गिरोह के कई सदस्यों को भी पुलिस पकड़ चुकी है. पुलिस ने इनके गिरोह को तोड़ दिया था. लेकिन मुचकुंद का गिरोह लगातार परेशान कर रहा था. पुलिस जब भी छापेमारी करती तो केवल उसके गिरोह के सदस्य ही पकड़े जाते. मुचकुद फरार होने में सफल रहता.
पुलिस ने मुचकुंद के घर पर
छापेमारी की थी तो उसके घर से कारतूस बरामद किये गये थे और इस मामले में उसके पिता को जेल भेजा गया था. मनोज सिंह फिलहाल फरार है और यह कई व्यवसायियों से रंगदारी मांग चुका है.
कांस्टेबल के शहीद
होने के बाद पटना पुलिस और एसटीएफ ने झोंक दी थी पूरी ताकत
कांस्टेबल मुकेश कुमार के शहीद होने के बाद पटना पुलिस और एसटीएफ ने मुचकुंद को पकड़ने के लिए सारी ताकत झोंक दी थी. इस मामले में मुचकुंद के सहयोगी उज्जवल का नाम सामने आया था.
उज्जवल मुचकुंद का सहयोगी और यह मुचकुंद को संरक्षण देता था. मुचकुंद व उच्चवल की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी थी. इसमें पटना पुलिस के साथ ही एसटीएफ को भी शामिल कर लिया गया था. इसके बाद ताबड़तोड़ छापेमारी कर मुचकुंद व उज्जवल से जुड़े कई अपराधियों को गिरफ्तार करने में पुलिस ने सफलता पायी थी.
बिहटा, विक्रम और नौबतपुर में सक्रिय हैं कई गैंग
बिहटा, विक्रम और नौबतपुर में जैसे-जैसे विकास की गति बढ़ी है, उसके बाद अपराधियों के गिरोह भी सक्रिय हो गये है. आरा का रंजीत चौधरी ने भी अपना कार्यक्षेत्र बिहटा इलाके में बना रखा था.
मनोज सिंह, अमित सिंह, मुचकुंद सिंह व रंजीत चौधरी का गिरोह बिहटा में सक्रिय है और हमेशा इन गिरोहों के बीच आपसी वर्चस्व को लेकर हमेशा भिड़ंत होती रहती है. मनोज सिंह कई कांडों का आरोपित रहा है और जेल जा चुका है. सिनेमा हॉल मालिक निर्भय सिंह की हत्या में अमित सिंह का नाम सामने आया था और रंजीत चौधरी के ऊपर कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज है. रंजीत चौधरी फिलहाल जेल में है.
भोजपुर जिले में वर्चस्व को लेकर बुटन चौधरी व रंजीत चौधरी के बीच हमेशा भिड़ंत होती रहती थी. जिसके बाद रंजीत चौधरी ने अपना नया ठिकाना बिहटा इलाके में बना लिया था. मिट्ठु हत्याकांड के बाद रंजीत चौधरी का इलाके में नाम हो गया.
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