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मोकामा : सूखे पड़े जलस्रोत बेबस किसान

मोकामा : मोकामा टाल में नदी, नहर आदि जलस्रोत सूखे पड़े हैं. खेतों में पर्याप्त नमी नहीं होने से किसान धान का बिचड़ा डालने से कतरा रहे हैं.टाल के अधिकांश किसानों के पास पटवन के लिये बोरिंग का साधन नहीं होने से खेतों में नमी के लिए अब किसान बारिश की आस में हैं, लेकिन […]

मोकामा : मोकामा टाल में नदी, नहर आदि जलस्रोत सूखे पड़े हैं. खेतों में पर्याप्त नमी नहीं होने से किसान धान का बिचड़ा डालने से कतरा रहे हैं.टाल के अधिकांश किसानों के पास पटवन के लिये बोरिंग का साधन नहीं होने से खेतों में नमी के लिए अब किसान बारिश की आस में हैं, लेकिन बारिश के भी आसार नहीं दिखने से किसान बेबस हो रहे हैं. रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र बारिश की इंतजार में बीत चुका. अब किसानों को आद्रा नक्षत्र से उम्मीद है. टाल के कुछ किसानों ने बोरिंग से पटवन कर रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डालने की हिम्मत जुटायी, लेकिन बढ़ती तपिश से उनका यह प्रयास निरर्थक साबित हुआ.
अधिकारियों का कहना है कि टाल इलाके में बारिश का औसतन रिकॉर्ड 10 एमएम है जबकि धान का बिचड़ा डालने के लिये कम से कम 50 एमएम पानी की जरूरत है. दूसरी ओर तापमान भी बिचड़ा डालने के अनुकूल नहीं है. इसके लिए तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए जबकि वर्तमान में इससे काफी अधिक तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है. ऐसे हालात में बोरिंग का पानी नाकाफी साबित हो रहा है.
घनघोर बारिश के बाद ही तापमान पर नियंत्रण हो सकता है. हालांकि जून के अंतिम सप्ताह में खेती के अनुकूल बारिश का पूर्वानुमान है. रोहिणी के बाद आद्रा नक्षत्र में ही धान का बिचड़ा डालने की परंपरा है.
घोसवरी प्रखंड के कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार सिंह ने जानकारी दी कि मोकामा टाल इलाके में घोसवरी प्रखंड में 1736 हेक्टेयर, पंडारक प्रखंड में 1934 हेक्टेयर, मोकामा प्रखंड में 600 हेक्टेयर, अथमलगोला प्रखंड में 1683 हेक्टेयर, बख्तियारपुर प्रखंड में सबसे ज्यादा 2487 हेक्टेयर धान की बुआई का लक्ष्य निर्धारित है.
सरकार धान की खेती को बढ़ावा देने के लिये अनुदानित दर पर बीज व दवाएं उपलब्ध करा रही है. पटवन पर भी अनुदान देने की योजना है. मोकामा प्रखंड कृषि पदाधिकारी रविंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पानी के अभाव में धान की खेती को लेकर किसान अभी उदासीन हैं. अनुदानित दर पर उपलब्ध कराये गये धान के बीज व दवाएं प्रखंड कार्यालय में पड़े हैं. मौसम अनुकूल नहीं होने से किसान अभी बीज खरीदने को तैयार नहीं हैं.
बिक्रम. पटना सोन कैनाल में पानी नहीं पहुंचने से किसानों में धान की खेती को लेकर बेचैनी बढ़ गयी है. 10 जून तक कैनाल के निचले हिस्से तक में विभाग द्वारा पानी पहुंचाने का दावा फेल हो गया.
अब नहर विभाग के अधिकारी भी नहर में पानी पहुंचाने के लिए पूरी तरह बारिश के पानी पर निर्भर हैं. नहर में पानी नहीं होने से जिन खेतों में धान के बिचड़े लगे हैं, वह भी सूख रहे हैं. गर्मी के कारण खेतो में दरारें फटती देख किसानों में उदासी बढ़ती जा रही है. पटना सोन कैनाल से पटवन पर आश्रित बिक्रम व इसके आसपास के प्रखंडों के किसान बारिश की आस में किसान आसमान निहार रहे हैं. किसान रोहिणी नक्षत्र से ही धान का बिचड़ा अपने खेतों में बोने के लिए परेशान नजर आ रहे हैं.
किसानों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा (मोरी) बोने से फसल की उपज डेढ़ से दोगुनी होती है. किसानों ने बताया कि नहर विभाग के अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के साथ पिछले दिनों बिक्रम सिंचाई विभाग के डाकबंगले में किसानों के साथ हुई बैठक में कहा था कि 10 जून तक नहर में पानी अवश्य पहुंच जायेगा, लेकिन आज तक पानी नहीं पहुंचा है. इस संबंध में संपर्क करने पर पटना सोन कैनाल, बिक्रम के अवर प्रमंडल पदाधिकारी संतोष कुमार प्रभाकर ने बताया कि सोन नदी में पानी की कमी है.
मध्य प्रदेश के रिहंद डैम से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है. मुख्य नहर में मात्र 400 क्यूसेक पानी ही छोड़ा जा रहा है. पटना सोन कैनाल के निचले हिस्से तक पानी पहुंचाने के लिए विलदाद लख से 1200 क्यूसेक पानी छोड़ने की आवश्यकता है जो अभी के हालात में बगैर बारिश के संभव नहीं है

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