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रूफ वाटर हार्वेस्टिंग प्लान पर फेर दिया पानी

बारिश के पानी को संचित कर बचा सकते हैं लाखों लीटर पानी, भू-जल स्तर भी सुधरेगा अनिकेत त्रिवेदी पटना : बारिश का जल यानी आसमान से मुफ्त में मिलनेवाला शुद्ध पानी, जो माॅनसून के दौरान हर किसी को समान रूप से मिलता है. अकेले पटना और अासपास के क्षेत्रों में हर वर्ष लाखों लीटर पानी […]

बारिश के पानी को संचित कर बचा सकते हैं लाखों लीटर पानी, भू-जल स्तर भी सुधरेगा
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : बारिश का जल यानी आसमान से मुफ्त में मिलनेवाला शुद्ध पानी, जो माॅनसून के दौरान हर किसी को समान रूप से मिलता है. अकेले पटना और अासपास के क्षेत्रों में हर वर्ष लाखों लीटर पानी माॅनसून में उपलब्ध होता है. मगर विडंबना है कि हम मुफ्त में मिलनेवाले इस शुद्ध पानी को यूं ही बर्बाद कर दे रहे हैं. बारिश का पानी हर साल नालों के गंदे पानी में मिल कर नदियों में चला जाता है.
एक तरफ राजधानी में लगातार भूजल में कमी आ रही है. हर वर्ष औसतन दो से ढाई फुट भूजल के स्तर में स्थायी गिरावट दर्ज की जा रही है, मगर सरकारी से लेकर प्राइवेट स्तर पर भूजल में दोबारा जान डालने की कोई कोशिश नहीं हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ बिल्डिंग बायलॉज 2014 के लागू के होने के बाद रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का प्लान सिर्फ फाइलों में ही दबा है. इस पर कोई ध्यान नहीं देने से मुफ्त में मिलनेवाले बारिश के पानी को भी नहीं सहेजा जा रहा है.
राजधानी व मास्टर प्लान 2031 को लेकर बने महानगर सीमा में यदि किसी तरह का बड़ा निर्माण किया जाता है, मसलन अपार्टमेंटों का निर्माण होता है, तो उस निर्माण का नक्शा पास कराने के लिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का प्लान भी देना जरूरी होता है.
इसके बगैर नगर निगम उस निर्माण का नक्शा पास नहीं कर सकता है, मगर इन सबके बावजूद अपार्टमेंट बनाने के साथ इस प्लान को कितना लागू किया जाता है, इस पर कोई जांच नहीं होती है. फिलहाल स्थिति यह है कि शहर के 98 फीसदी भवनों में इसकी कोई सुविधा नहीं है.
सरकारी भवन भी नहीं देते ध्यान
शहर में पहले से दर्जनों सरकारी भवन हैं जिसमें रूफ वाटर हार्वेस्टिंग की कोई सुविधा नहीं है. इसकेअलावा हाल के दिनों में कई बड़े सरकारी भवनों के निर्माण में भी इस तरह की कोई सुविधा नहीं दी गयी है. ऐसे में सरकार आम लोगों के जागरूकता के लिए कोई उदाहरण नहीं रख रही है.
पांच से दस हजार में बनता है प्लांट
सबसे बड़ी बात है कि रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कोई बड़ा खर्च नहीं करना पड़ता है. बड़े-से-बड़े भवन में मात्र पांच हजार से दस हजार रुपये में इसका पूरा सिस्टम बना दिया जाता है.
बिल्डर एसोसिएशन के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष भावेश कुमार बताते हैं कि बड़े अपार्टमेंटों में इसकी सुविधा शुरू की जा रही है. इसमें खर्च भी काफी कम आता है. मगर दो से तीन वर्ष में ये प्रोजेक्ट फेल हो जाते हैं.
90 हजार लीटर पानी
नये बॉयलाज में मिलेगी कर मुक्ति की सुविधा
फिलहाल राज्य में एक बार फिर से नये बिल्डिंग बायलॉज को लागू किया जा रहा है. इसमें बिल्डिंग बाॅयलाज 2014 का संशोधन होगा. इस बायलॉज में इको फ्रेंडली भवनों में संपत्ति कर यानी होल्डिंग टैक्स में छूट दी जायेगी. इको फ्रेंडली भवन में सोलर ऊर्जा प्लांट, ग्रीन पाथ-वे, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, बायो गैस प्लांट, ठोस कचरा निस्तारण से लेकर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग को लगाना जरूरी होगा. फिलहाल केवल रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने पर संपत्ति कर में छूट देने की कोई सुविधा नहीं है.
बाहर के नगर निकायों में दी गयी है छूट
भले ही बिहार में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के प्रोत्साहन को लेकर कोई योजना नहीं हो, मगर देश के कई नगर निकाय इसके प्रोत्साहन पर कार्य कर रहे हैं.
राजस्थान में सरकारी भवनों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग करना जरूरी है. सूरत महानगर पालिका ऐसा करनेवालों पर इसके प्लांट लगाने में 50 फीसदी सब्सिडी देता है. कर्नाटक में पांच वर्षों तक होल्डिंग टैक्स में 20 फीसदी की छूट है. इसके अलावा मध्य प्रदेश के कई नगर निकायों में
ऐसा नहीं करनेवालों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाता है.

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