पटना : लोगों को स्वच्छ पानी पिलाने के लिए सरकार हर घर नल का जल योजना पर काम कर रही है. लेकिन योजनाओं पर काम करनेवाली एजेंसियों की लापरवाही की वजह से लोगों को स्वच्छ पानी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. बेगूसराय जिले में चार लाख लोगों को स्वच्छ पानी के लिए अभी 14 माह और इंतजार करने होंगे.
चार लाख लोगों को साफ पानी का इंतजार
पटना : लोगों को स्वच्छ पानी पिलाने के लिए सरकार हर घर नल का जल योजना पर काम कर रही है. लेकिन योजनाओं पर काम करनेवाली एजेंसियों की लापरवाही की वजह से लोगों को स्वच्छ पानी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. बेगूसराय जिले में चार लाख लोगों को स्वच्छ पानी के लिए अभी […]
जून, 2019 में योजना के पूरा होने का अभी समय निर्धारित हुआ है. जबकि इस योजना को फरवरी, 2018 में ही पूरा हो जाना था. गंगा का पानी ट्रीटमेंट कर चार लाख लोगों को स्वच्छ पानी लोगों को उपलब्ध कराना था. काम की सुस्ती व लापरवाही की वजह से चार लाख लोग स्वच्छ पानी पीने का इंतजार कर रहे हैं. एजेंसी की लापरवाही के कारण लोगों को आर्सेनिक दूषित पानी पीना लोगों की विवशता है.
आर्सेनिक प्रभावित बेगूसराय, बरौनी व मटिहानी प्रखंडों में लगभग 55 हजार घरों में स्वच्छ पानी पहुंचाने की योजना है. सतही जल आधारित बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना से गंगा का पानी स्वच्छ कर लोगों के घरों में पाइप से पहुंचाना है.आर्सेनिक प्रभावित टोले में स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए दिल्ली की एजेंसी मेसर्स गेनन डंकरले एंड कंपनी लिमिटेड के साथ 21 फरवरी, 2015 को एग्रीमेंट हुआ था. एजेंसी को पहले 20 अगस्त, 2017 तक गंगा का पानी साफ कर घरों में स्वच्छ पानी पहुंचाना था.
गंगा का पानी साफ कर घरों में है पहुंचाना : बेगूसराय, बरौनी व मटिहानी प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित टोले में गंगा का पानी साफ कर पाइप से घरों तक स्वच्छ पानी पहुंचाना है. इसके लिए सिमरिया में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बना कर गंगा के पानी को साफ करना है. इसके बाद उस पानी को शिफ्टिंग कर विभिन्न जलमीनार के माध्यम पाइप से घरों में पहुंचाना है. जगतपुरा में इंटरमीडिएट जोनल मास्टर ईएसआर बनना है. जलमीनार का काम भी आधा-अधूरा है. आर्सेनिक प्रभावित टोले में पाइप बिछाने का काम नहीं हुआ है.
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