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Friday, March 29, 2024

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बिहार : सार्वजनिक बैंकों की एटीएम में अब भी नो कैश, बढ़ा कैशलेस ट्रांजेक्शन

नहीं हो रहा सुधार. एटीएम बेहाल, लोगों ने चुना विकल्प पटना : एटीएम में नकदी का संकट धीरे-धीरे सुधर रहा है. हालांकि गुरुवार को भी 55 फीसदी से अधिक एटीएम में नो कैश की स्थिति रही. निजी बैंक के एटीएम में तो आज सुधार देखा गया, लेकिन सार्वजनिक बैंकों के एटीएम में बहुत ज्यादा सुधार […]

नहीं हो रहा सुधार. एटीएम बेहाल, लोगों ने चुना विकल्प
पटना : एटीएम में नकदी का संकट धीरे-धीरे सुधर रहा है. हालांकि गुरुवार को भी 55 फीसदी से अधिक एटीएम में नो कैश की स्थिति रही. निजी बैंक के एटीएम में तो आज सुधार देखा गया, लेकिन सार्वजनिक बैंकों के एटीएम में बहुत ज्यादा सुधार नहीं है. सार्वजनिक बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक, इंडियन बैंक, यूनाइटेड बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक के एटीएम में नो कैश की समस्या बरकरार है. स्टेट बैंक के अाधिकारिक सूत्रों के अनुसार महज 15 करोड़ रुपये अपलोड किये गये. सूत्रों की मानें तो शहरी क्षेत्र के एटीएम को ही अपलोड किया गया है. वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने कहा कि नोटों की कोई कमी नहीं है. जरूरत के मुताबिक सप्लाई की जा रही है.
यहां अधिक परेशानी: कोतवाली, कंकड़बाग, पटना जंक्शन, पीएमसीएच, इनकम टैक्स गोलंबर, मीठापुर बस स्टैंड रोड, आर ब्लाॅक, कदमकुआं, राजेंद्र नगर, डॉक्टर्स कॉलोनी, पोस्टल पार्क, एएन कॉलेज आदि इलाकों में लगी एटीएम में नो कैश के कारण लोगों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ा. कई बैंकों के एटीएम के शटर गुरुवार को नहीं उठे. श्रीकृष्ण नगर में यूनियन बैंक और यूनाइटेड बैंक के शटर गिरे रहे. वहीं मीठापुर बस स्टैंड रोड में सेंट्रल बैंक के एटीएम का भी शटर नहीं उठा.
कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ा: पेट्रोल पंप, मार्केट, सर्राफा शो रूम, ऑटोमोबाइल्स और अन्य क्षेत्रों में अब कैश के बजाय कैशलेस ट्रांजेक्शन में वृद्धि हुई है. बीते चार-पांच दिनों के आंकड़ाें पर नजर डालें, तो कैशलेस ट्रांजेक्शन में तीन से चार गुणा तक वृद्धि हुई है. खुदरा बाजार के लिए लोगों को अब भी नकद पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
नोटबंदी के समय की यादें हुईं ताजा
बैंकों में करेंसी की किल्लत से नोटबंदी के समय की यादें ताजा होने लगी हैं. सरकार अपने डिजिटलाइजेशन एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कोई कारगर कार्रवाई नहीं कर रही है. इससे बैंकों के ग्राहक परेशान हैं.
बैंकों से पर्याप्त नकदी की निकासी नहीं होने से शादी-ब्याह की खरीदारी व अन्य काम प्रभावित हो रहे हैं. 2000 व अन्य बड़े मूल्यों के नोटों की कालाबाजारी हो रही है. साथ ही राजनीतिक पार्टियों द्वारा 2019 के आगामी चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर 2000 और 500 के नोट की जमाखोरी हो रही हैं.
-डीएन त्रिवेदी, संयोजक, यूनाइटेड फोरम अारआरबी यूनियंस
नकदी संकट का मुख्य कारण है रिजर्व बैंक का मुद्रा विनिमय और वितरण पर कारगर नियंत्रण नहीं होना, जिसके कारण सरकारी क्षेत्र के बैंकों के बजाय निजी क्षेत्र के बैंकों में ज्यादा कैश सप्लाई हो रहा है. रिजर्व बैंक बैंकों की मांग का केवल 40 फीसदी करेंसी की सप्लाई कर रहा है. आखिर 100 और 500 के नोटों पर पर कितनी देर तक एटीएम चलेगी. इस वक्त मांग और सप्लाई में काफी अंतर आ गया है. लगन, घूमने-फिरने का मौसम और स्कूल-काॅलेजों में नामांकन का समय है और नकदी का संकट है. राज्य सरकार को तत्काल कोई ठोस पहल करने की सख्त जरूरत है.
-डाॅ कुमार अरविंद, वरीय महासचिव, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसो.
फिलहाल 3000 एटीएम (बिहार-झारखंड) में से 1500-1600 को हर दिन अपलोड किया जा रहा है, ताकि लोगों को असुविधा न हो. 15 से 20 फीसदी एटीएम खराब रहते हैं. लोगों को पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है. अगले सप्ताह तक हालात पूरी तरह सामान्य हो जायेंगे. हालात पर अधिकारी लगातार नजर रखे हुए हैं और रिजर्व बैंक से लगातार संपर्क में है.
-एमके सिंह, महाप्रबंधक (जनसंपर्क), स्टेट बैंक
बिहार-झारखंड में स्टेट बैंक के 110 करेंसी चेस्ट हैं, जिनकी क्षमता 12 हजार करोड़ रुपये की है, लेकिन उपलब्धता केवल ढाई हजार करोड़ रुपये की है. इस हालत में बैंक शाखाओं और एटीएम में करेंसी सप्लाई प्रभावित होगी ही. मार्च, 2018 में बैंकों के करेंसी चेस्टों की बैलेंस शीट के अनुसार बैंकों में 2000 रुपये के नोटों की संख्या लगभग दस फीसदी ही रह गयी है.
-नवल किशोर सिंह, अध्यक्ष, नेशनल जागरण पार्टी
साइड इफेक्ट
-बैंकों में हुए बड़े घोटाले व बढ़ते एनपीए से भी खाताधारकों का विश्वास बैंकों से डिगा
-जमा रकम बैंक द्वारा इस्तेमाल की आशंका से सहमे ग्राहक
-पैसा निकालने का चलन अचानक बढ़ा
-नोटबंदी के बाद एटीएम की संख्या बढ़ने के बदले घटना
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