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शहर की तंग गलियों में नहीं पहुंच सकतीं दमकलें

हादसे को न्योता. बिना नक्शा व मास्टर प्लान की अनदेखी करके खड़े कर दिये गये बड़े-बड़े मकान पटना : रेलवे लाइन के किनारे हादसे में जिस तरह आग ने पूरी बस्ती को राख में तब्दील कर दिया, उससे सरकारी एजेंसियों की सक्रियता की पोल खुल गयी है. हालांकि, इस घटना ने शहर के अग्निशमन विभाग […]

हादसे को न्योता. बिना नक्शा व मास्टर प्लान की अनदेखी करके खड़े कर दिये गये बड़े-बड़े मकान
पटना : रेलवे लाइन के किनारे हादसे में जिस तरह आग ने पूरी बस्ती को राख में तब्दील कर दिया, उससे सरकारी एजेंसियों की सक्रियता की पोल खुल गयी है.
हालांकि, इस घटना ने शहर के अग्निशमन विभाग के कान जरूर खड़े कर दिये हैं. थोड़ी सी असुविधाजनक जगह या बस्ती में आग लग जाये, तो जबरदस्त तबाही हो सकती है. खासकर उन बस्तियों और बाजारों में जहां तंग रास्ते हैं, आग कहर बरपा सकती है. प्रभात खबर ने ऐसी बस्तियों व बाजारों की पड़ताल की,जहां अग्निशमन दस्ते की गाड़ियां पहुंचनी मुश्किल है. इसके अलावा अग्निशमन दस्ते की मौजूदा सुविधाओं का भी जायजा लिया गया.
नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल क्षेत्र के न्यू पूर्णेंदुपुर मोहल्ला, जिसमें करीब एक दर्जन गलियां है. इन गलियों की चौड़ाई पांच-छह फुट हैं.
यहां तीन और चार मंजिली मकान बनायी गयी है. वहीं, मकान मालिकों के अपने-अपने घर के सामने सड़क पर सीढ़ी बना रखा है, जिससे सड़क और संकरी हो गयी है.ऐसे में अग्निशमन के पानी से भरी दमकल कैसे पहुंचेगी. इसके अलावा राजाबाजार के मछली गली, आश्रम गली, बोरिंग कैनाल रोड स्थित राय जी की गली, सैदपुर, महेंद्रू, केशरी नगर, जयप्रकाश नगर, चांदपुर बेला सहित दर्जनों मोहल्लों की है.
सड़कों पर चलती हैं व्यावसायिक गतिविधियां सिमट गयी सड़क की चौड़ाई
राजधानी के पॉश व्यावसायिक इलाकों में एक है फ्रेजर रोड. इस सड़क पर स्थित है होटल गली, जिसकी चौड़ाई करीब 10 मीटर है. लेकिन, इस सड़क पर छह-छह फ्लोर की बिल्डिंग खड़ी है, जिसमें होटल संचालित किये जा रहे हैं.
वहीं, पटना मार्केट अशोक राजपथ पर स्थित है, लेकिन मार्केट के भीतर संकीर्ण सड़क है, जिस पर छोटे-बड़े बाजार सजे हैं. स्थिति यह है कि मार्केट के भीतर मोटरसाइकिल ले जाना भी मुश्किल है. पटना जंक्शन स्थित न्यू मार्केट, जो बाहर से खुला-खुला दिखता है. लेकिन, अंदर की सड़क पर ठेला-खोमचा दुकानदारों का कब्जा है, जिससे सड़क संकीर्ण हो गयी है. इतना ही नहीं, पटना सिटी के अधिकतर बाजार तीन-चार फुट चौड़ी सड़कों पर बसी है.
अवैध निर्माण पर कार्रवाई सुस्त लापरवाही पड़ सकती है भारी
बिल्डिंग बायलॉज के अनुरूप शहर में मकान बन रहे है या नहीं, इसकी निगरानी करना निगम प्रशासन की जवाबदेही है. अगर शहर में बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन कर मकान बनाये जा रहे है, तो निर्माणाधीन मकान पर रोक लगाते हुए निगरानीवाद केस दर्ज करने का प्रावधान है. लेकिन, अवैध निर्माण रोकने के लिए निगम में नहीं कोई टीम है और नहीं कोई कार्रवाई की जा रही है. आलम यह है कि आमलोग बेतरतीब तरीके से मकान बनाने लगे, जिससे गलियां काफी संकीर्ण हो गयी हैं.
कायदे कानून को ताक पर रखने से उपजे ऐसे हालात
नगर निगम क्षेत्र में छोटे मकान बनाने हो या फिर बहुमंजिली इमारत, इसको लेकर नक्शा पास करवाना अनिवार्य है. ताकि, शहर बिल्डिंग बायलॉज के अनुरूप बस सके. बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाते हुए बिल्डरों व आम लोगों ने अपार्टमेंट व मकान बना लिये हैं.
पांच-सात फुट चौड़ी सड़कों पर छोटे-बड़े मकान खड़े हो गये हैं, जिनकी 5-11 मीटर से अधिक ऊंचा है. वहीं, सड़कों का भी अतिक्रमण किया गया है. इससे गलियां काफी संकीर्ण हो गयी है. इन गलियों में आपदा में मदद पहुंचाना परेशानी भरा होगा.
नहीं जुटायी जा सकीं आग बुझानेवाली सुविधाएं
अग्निश्मन विभाग ने अगलगी की स्थिति में शीघ्र कार्रवाई की जाये, इसको लेकर छोटे उपकरण खरीदने की योजना बनायी. इस योजना के तहत बुलेट मोटरसाइकिल पर 50 लीटर के टैंकर व मशीन को इंस्टॉल किया जाना था. इसको लेकर विभाग ने दो बार टेंडर निकला. लेकिन, टेंडर प्रक्रिया पूरा नहीं की जा सकी. विभाग के अधिकारी ने बताया कि पटना शहर में 300 लीटर क्षमतावाली 19 दमकलें हैं. इससे छोटा मशीन विभाग के पास नहीं है. हालांकि, छोटा मशीन खरीदने के लिए प्रक्रिया चल रही है.

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