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सभी सीटों पर अपने ही छात्रों को नहीं ले सकता कॉलेज

पटना : पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर स्थित सरकारी होमियोपैथिक काॅलेज प्रशासन द्वारा जारी पीजी नामांकन के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि काॅलेज प्रशासन शत-प्रतिशत सीटों पर काउंसेलिंग के माध्यम से अपने ही विद्यार्थियों का नामांकन नहीं ले सकता काॅलेज को आधी सीटों पर ऑल इंडिया पात्रता परीक्षा के माध्यम […]

पटना : पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर स्थित सरकारी होमियोपैथिक काॅलेज प्रशासन द्वारा जारी पीजी नामांकन के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि काॅलेज प्रशासन शत-प्रतिशत सीटों पर काउंसेलिंग के माध्यम से अपने ही विद्यार्थियों का नामांकन नहीं ले सकता
काॅलेज को आधी सीटों पर ऑल इंडिया पात्रता परीक्षा के माध्यम से उत्तीर्ण विद्यार्थियों का नामांकन करना होगा.
कॉलेज प्रशासन ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिये कुल 10 सीटों पर काउंसेलिंग के माध्यम से अपने ही महाविद्यालय से उत्तीर्ण स्नातक छात्रों का नामांकन लेने का निर्णय लिया था. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने प्रियंका भारती व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को यह आदेश दिया.अदालत ने कहा कि कॉलेज प्रशासन का यह पत्र गलत है कि स्नातकोत्तर डिग्री में नामांकन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा ली गयी थी. अदालत ने कहा की कॉलेज प्रशासन अपने कॉलेज के सिर्फ 50 प्रतिशत सीटें अपने छात्रों से भर सकता है.
स्नातकोत्तर कोर्स की शेष सीटों सीटों पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल एवं सफल छात्रों के द्वारा काउंसेलिंग के माध्यम से भरी जाये. साथ ही इस बात को भी ध्यान रखना होगा कि नामांकन में आरक्षण नियमों का उल्लंघन नहीं हो. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि होमियोपैथी के स्नातक डिग्री पा चुके छात्रों को स्नातकोत्तर डिग्री में नामांकन लेने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा ली गयी थी. बिहार में केवल एक ही राजकीय होमियोपैथी कॉलेज है, जहां स्नातक के बाद स्नातकोत्तर डिग्री की पढ़ाई होती है.
कॉमन स्कूल सिस्टम लागू करने के लिए याचिका
पटना. राज्य में कॉमन स्कूल सिस्टम लागू करने के लिये पटना हाईकोर्ट में एक लोकहित याचिका दायर की गयी. इसमें हाईकोर्ट से इस बात का अनुरोध किया है कि वह राज्य सरकार को यह निर्देश दे कि समाज के बच्चों के बीच पनप रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए कॉमन स्कूल सिस्टम को लागू करे.
सभी तबके के बच्चों को एक जैसी शिक्षा राज्य के विद्यालयों में उपलब्ध हो. याचिका में इसका भी जिक्र है कि देश के पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी थी जिसने आठ जून 2007 को सरकार को प्रतिवेदन सौंपा था.

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