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बिहार : अस्पतालों में कई बार इस्तेमाल हो रहे डिस्पोजेबल मेडिकल प्रोडक्ट

खिलवाड़. सर्जरी में यूज्ड सामग्रियों से इन्फेक्शन का खतरा पटना : शहर के कई बड़े व छोटे निजी अस्पताल मरीजों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं, मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली डिस्पोजेबल मेडिकल सामग्रियाें का बार-बार इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि इन चीजों का उपयोग एक बार कर उन्हें नष्ट […]

खिलवाड़. सर्जरी में यूज्ड सामग्रियों से इन्फेक्शन का खतरा
पटना : शहर के कई बड़े व छोटे निजी अस्पताल मरीजों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं, मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली डिस्पोजेबल मेडिकल सामग्रियाें का बार-बार इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि इन चीजों का उपयोग एक बार कर उन्हें नष्ट करना जरूरी होता है. पर निजी अस्पताल इसका पालन नहीं कर रहे हैं, नतीजा इन्फेक्शन का खतरा कई गुना अधिक बढ़ गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया मेमोरेंडम : डिस्पोजल सामग्रियों का प्रयोग एक से अधिक मरीजों पर इस्तेमाल करने की सूचना कुछ लोगों ने स्वास्थ्य मंत्रालय को दी है. इस शिकायत को देखते हुए मंत्रालय ने एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर ऑपरेशन के दौरान उपयोग में आनेवाले डिस्पोजेबल आइटमों के दोबारा इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी जारी की है. यह चेतावनी खास कर कार्डियोलॉजी को लेकर जारी की गयी है.
एंजियोप्लास्टी में अधिक होता है इस्तेमाल
कैथेटर, गाइड वायर और बलून जैसी डिस्पोजेबल सामग्रियों का इस्तेमाल सभी ऐंजियोप्लास्टी में होता है. लेकिन इसका निबटारा नहीं होता. राजधानी के एक बड़े अस्पताल में काम करने वाले एक कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कि ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल के संचालक दबाव डालते हैं कि कार्डियोलॉजिस्ट इन सामग्रियों का दुबारा इस्तेमाल करें. उन मामलों में इन उपकरणों को दो से तीन बार इस्तेमाल करने को सही बताते हैं. नतीजा दबाव में आकर फिर से इस्तेमाल करना मजबूरी हो जाती है.
दोषी अस्पतालों को पकड़ना है आसान
अपना नाम न बताने की शर्त पर हृदय रोग विशेषज्ञ ने कहा कि इस मामले की जांच करना और ऐसे अपराधियों को पकड़ना बहुत आसान है. उन्होंने कहा सरकार चाहे, तो एक अस्पताल में हुए इस तरह के ऑपरेशन की संख्या पता करवा सकती है. इसके बाद अस्पताल से पिछले दो साल के अंदर खरीदे गये डिस्पोजेबल मेडिकल उत्पादों का बिल दिखाने को कहा जाये. एक ऑपरेशन में कितने उत्पादों का इस्तेमाल होगा, यह तय होता है.
जांच में पता चल जायेगा कि ऑपरेशन की तुलना में कम उत्पाद खरीदे गये, जिससे साफ हो जायेगा कि उन उत्पादों को कई बार इस्तेमाल किया गया. ऐसा करने के दोषी पाये गये अस्पतालों को सजा दी जानी चाहिए. वहीं इस मामले में सिविल सर्जन डॉ पीके झा का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसने की योजना बनायी गयी है, नियम को ताक पर रखने वाले अस्पतालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.
मरीजों से लिया जाता है सामग्री का पूरा पैसा
मेमोरेंडम में कहा गया है कि एक प्रोसीजर के बाद डिस्पोजेबल सामग्रियां स्टेरिलाइज्ड कर दुबारा इस्तेमाल में लायी जाती हैं. इतना ही नहीं इसके बदले मरीजों से पूरे पैसा वसूले जाते हैं.
जानकार विशेषज्ञों की मानें, तो इस गोरखधंधे से अस्पतालों को हर एक इलाज में 15 हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक की बचत होती है. यही वजह है कि यह काम धड़ल्ले से हो रहा है. इतना ही नहीं मेमोरेंडम में यहां तक कहा गया है कि मंत्रालय इस मैटर को खुद देख रहा है. अगर कहीं से कोई भी मरीज इस मामले को लेकर शिकायत करता है तो तुरंत एक्शन लेने को कहा गया है. लापरवाही होने पर कार्रवाई होगी.

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