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नये पैटर्न पर ही ली जायेंगी बिहार बोर्ड की परीक्षाएं

हाईकोर्ट का बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के निर्णय पर किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इनकार पटना : हाईकोर्ट ने नये पैटर्न पर परीक्षा लेने के बिहार बोर्ड के निर्णय पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड के पॉलिसी में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा. मुख्य […]

हाईकोर्ट का बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के निर्णय पर किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इनकार
पटना : हाईकोर्ट ने नये पैटर्न पर परीक्षा लेने के बिहार बोर्ड के निर्णय पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड के पॉलिसी में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने अवध बिहारी मेहता की ओर से दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. अदालत को याचिकाकर्ता ने बताया कि बोर्ड ने अक्तूबर महीने में नये परीक्षा पैटर्न लागू किया है.
इसके तहत आधे प्रश्न ऑब्जेक्टिव व आधे सब्जेक्टिव होंगे. परीक्षार्थियों को ऑब्जेक्टिव प्रश्नों को ओएमआर सीट में भरना होगा. इससे देहात के छात्रों को परेशानी होगी़ बोर्ड की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर व अधिवक्ता ज्ञानशंकर ने बताया कि बोर्ड पॉलिसी के तहत नयी परीक्षा पैटर्न लागू की गयी है. पॉलिसी में अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. अदालत ने बोर्ड का जवाब सुनने के बाद इस संबंध में दायर याचिका को खारिज कर दिया.
पटना : हाईकोर्ट ने राज्य में धड़ल्ले से चल रहे फर्जी शिक्षण संस्थानों की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी है. साथ ही सरकार के सभी संबंधित अधिकारियों को इस जांच में सीबीआई की मदद करने का आदेश दिया है.
अदालत ने बुधवार को अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जल्द अनुसंधान शुरू कर दे. न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकलपीठ ने उमेश चांद और अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. इसके पहले केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय ने कोर्ट को बताया कि अदालती आदेश के बाद उच्चस्तरीय बैठक में फर्जी काॅलेजों की जांच करने का निर्णय लिया गया था.
जांच के दौरान पता चला कि फर्जी तरीके से कौंसिल ऑफ पेटेंट मेडिसिन के नाम से एक संस्थान आरा में चलाया जा रहा है. उनका कहना था कि इसी का दूसरा संस्थान मुजफ्फरपुर में जेपीआईपी मेडिकल साइंस के नाम से चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहली बार सरकार को इस प्रकार के फर्जी संस्थानों की जानकारी मिली है. उच्चस्तरीय समिति ने पूरे मामले पर विचार के बाद सीबीआई से जांच करने की मांग अदालत से करने की अनुशंसा की है.
राज्य सरकार सहित जिले के डीएम व एसपी को इस तरह के फर्जी संस्थानों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है. इस तरह के फर्जी संस्थानों में नामांकन नहीं लेने के बारे में अखबार में विज्ञापन प्रकाशित करने की अनुशंसा की गयी है. कमेटी की अनुशंसा व रिपोर्ट पर अदालत ने मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी है.
बिहार बोर्ड में नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं करने पर मांगा जवाब
पटना. हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं किये जाने पर राज्य सरकार से चार सप्ताह में जबाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वेटरन फोरम की ओर से दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या कारण है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की जा रही है.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की जा रही है. इससे वहां का कार्य प्रभावित हो रहा है. अध्यक्ष पद पर पटना प्रमंडल के आयुक्त कार्यरत हैं. वे कई और पदों के प्रभार में भी हैं. बिहार बोर्ड में अध्यक्ष की नियमित नियुक्ति की जाये, जिससे वहां का कार्य प्रभावित न हो सके.
बिहार अग्निशमन विभाग में रिक्त पड़े पदों को दो माह में भरने का आदेश : पटना. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह बिहार अग्निशमन विभाग में रिक्त पड़े पदों को दो माह में भरे.
साथ ही, इसकी जानकारी दो माह के अंदर कोर्ट को भी दे. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रदेश के अग्निशमन विभाग में काफी लंबे समय से बहाली नहीं हुई है. इस कारण बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हैं. कर्मियों की कमी के कारण आमजनों की सेवा समय पर नहीं हो पा रही है.
बिहार के तीन मेडिकल कॉलेजों में बगैर मान्यता के चलाये जा रहे पीजी डिप्लोमा कोर्स, ब्योरा तलब
पटना : हाईकोर्ट ने बिहार के तीन सरकारी मेडिकल काॅलेजों में बगैर मान्यता के स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के संचालन पर सख्ती दिखायी है. कोर्ट ने एमसीआई सहित पीएमसीएच व डीएमसीएच से इस संबंध में की गयी कार्रवाइयों का ब्योरा छह सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करने को कहा है. जस्टिस चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने डाॅ मधुकर व अन्य कई और की ओर से दायर रिट याचिका पर बुधवार को सुनवाई की.
गौरतलब है कि इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि सूबे के पीएमसीएच व डीएमसीएच में मेडिकल काउंसिल आफरीदी इंडिया से बगैर मान्यता हासिल किये पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है. यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है. इन पाठ्यक्रमों में बड़ी संख्या में मेडिकल के छात्र नामांकन लेकर पास भी कर चुके हैं. परंतु बगैर मान्यता के संचालित इन कॉलेजों के छात्रों को काफी परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है.
निचली अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव परहाईकोर्ट नाराज : सूबे की निचली अदालतों में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं होने को लेकर दायर लोकहित याचिका पर हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार से छह सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने नागरिक अधिकार मंच की ओर से दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सूबे की निचली अदालतों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

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