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Thursday, March 28, 2024

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34 हजार दवा दुकानों का लाइसेंस होगा रद्द

पटना : बिना फार्मासिस्ट वाले दवा दुकानों को प्रदेश में लाइसेंस जारी नहीं किया जायेगा. साथ ही पूर्व से निबंधित दवा का लाइसेंस रिन्युअल बिना फार्मासिस्ट के रहते नहीं किया जायेगा. राजधानी सहित विभिन्न जिलों में 40 हजार दवा दुकानें राज्य औषधि प्रशासन के यहां निबंधित हैं. इसमें थोक दवा दुकान और खुदरा दवा दुकानें […]

पटना : बिना फार्मासिस्ट वाले दवा दुकानों को प्रदेश में लाइसेंस जारी नहीं किया जायेगा. साथ ही पूर्व से निबंधित दवा का लाइसेंस रिन्युअल बिना फार्मासिस्ट के रहते नहीं किया जायेगा. राजधानी सहित विभिन्न जिलों में 40 हजार दवा दुकानें राज्य औषधि प्रशासन के यहां निबंधित हैं.
इसमें थोक दवा दुकान और खुदरा दवा दुकानें शामिल हैं. इधर बिहार फार्मेसी काउंसिल में 22 हजार फार्मासिस्ट निबंधित है जिसमें करीब छह हजार फार्मासिस्टों के निबंधन का ही नियमित रिन्युअल होता है. शेष 34 हजार फार्मासिस्ट राज्य के बाहर हैं या उनकी मृत्यु हो गयी है या वह काम नहीं कर रहे हैं.
सरकार ऐसे किसी भी फार्मासिस्ट के नाम पर चल रही दवा दुकानों का लाइसेंस रद्द करेगी. स्वास्थ्य विभाग अब राज्य में बिना फार्मासिस्ट वाले दवा दुकानों का लाइसेंस नहीं जारी करेगा. फिलहाल राज्य में नयी दवा दुकानों के लाइसेंस पर भी रोक लग गयी है. स्वास्थ्य विभाग पूरे सिस्टम को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया कर रहा है. विभागीय पदाधिकारियों का कहना है कि तीन माह में सभी दवा दुकानों के लाइसेंस को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. इससे पता चलेगा कि किस दवा दुकान में फार्मासिस्ट हैं और किसमें नहीं हैं. जो फार्मासिस्ट हैं उनका नाम क्या है. ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में दवा दुकानों के निबंधन के लिए फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य शर्त है. स्थिति यह है कि जिन दवा दुकानों का निबंधन किया गया उसमें एक फार्मासिस्ट का नाम दर्जनों दवा दुकानों के साथ जोड़कर लाइसेंस लिया गया है.
केंद्र सरकार के नये प्रावधान के अनुसार अब हर दवा दुकान को अनिवार्य रूप से न सिर्फ फार्मासिस्ट की नियुक्ति करनी है. बल्कि उनका वेतन भी उनके बैंक खाते में सीधे भेजना है. केंद्र सरकार के इस प्रावधान के कारण राज्य के करीब 34 हजार दवा दुकानों के लाइसेंस रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है. राज्य में नियमित निबंधन करानेवाले करीब छह हजार फर्मासिस्ट ही है. ऐसी स्थिति में 34 हजार दवा दुकानें बिना फार्मासिस्ट की चल रही हैं. स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि यह केंद्रीय कानून है जिसका पालन करने के प्रति राज्य सरकार जिम्मेवार है.
अगर इसमें कोताही होती है तो सरकार की बदनामी होगी. दवा दुकान सिर्फ उद्योग नहीं है, इससे लोगों का सीधे जीवन जुड़ा हुआ है. कोई भी गलत परिणाम होता है तो इसका खामियाजा उठाना पड़ता है.
इधर, बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (बीसीडीए) के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह का कहना है कि दवा व्यावसायी फार्मासिस्ट रखने को तैयार है. वह सरकार के कानूनों का पालन करने को भी तैयार हैं पर राज्य में इतनी संख्या में फार्मासिस्ट नहीं हैं. अब रास्ता सरकार को निकालना है कि उसके द्वारा ही 40 हजार दवा दुकानों का लाइसेंस जारी किया गया है. लाइसेंस नहीं मिलेगा तो यह संभावना है कि बिना लाइसेंस वाले दुकानों का कारोबार बढ़े. इससे सरकार को राजस्व की हानि होगी.
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