पटना : बिहार राज्य जल विद्युत निगम की 100 एकड़ से अधिक खाली जमीन और भवनों की छत पर सोलर पावर प्लांट लगाये जायेंगे. इससे प्रतिदिन करीब 20 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा. इससे राज्य सरकार को सालाना करोड़ों रुपये की बचत होगी. वहीं गंडक नदी पर वाल्मीकि नगर में 15 मेगावाट और त्रिवेणी में तीन मेगावाट बिजली उत्पादन संयंत्रों की जिम्मेदारी नये मॉडल के आधार पर दो कंपनियों के संयुक्त उपक्रम को दी गयी है.
साथ ही राज्य में जल विद्युत की 12 परियोजनाओं का निर्माण कार्य एक साल में पूरा करने का लक्ष्य है. ये सभी निर्णय शुक्रवार को बिहार राज्य जल विद्युत निगम के चेयरमैन प्रत्यय अमृत की अध्यक्षता में हुई बोर्ड मीटिंग के दौरान लिया गया. बिहार राज्य जल विद्युत निगम के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इन निर्णयों से रिन्यूबल परचेज ऑब्लिगेशन (आरपीओ) के तहत सरकार को करोड़ों रुपये सालाना की बचत होगी.
दरअसल, बिजली कंपनियों को राज्य में इस्तेमाल होने वाली कुल बिजली का करीब 11.50 फीसदी का उत्पादन स्वयं करना अनिवार्य है. यह मानक है. ऐसा नहीं करने पर जुर्माने का प्रावधान है. फिलहाल राज्य का अपना बिजली उत्पादन तय मानक का आधा है. ऐसे में हर साल राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का जुर्माना देना पड़ रहा है. बैठक के निर्णयों से निगम की बेकार पड़ी खाली जमीन का सदुपयोग हो सकेगा. साथ ही राज्य को सोलर पावर प्लांट से उत्पादित सस्ती बिजली मिलेगी.