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रेरा का ब्रेक हटा, पर विभाग ही नहीं दे रहा हरी झंडी , 2000 फ्लैटों को रजिस्ट्री का इंतजार

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : भले ही रेरा के नियम फ्लैटों के खरीदार की सुरक्षा और सुविधा के लिए लागू किये गये हो, लेकिन कुछ मामलों में रेरा व निबंधन विभाग के बीच का पेच अाम खरीदारों के लिए भारी पड़ रहा है. 2017 के एक मई के पहले पूरा होने वाले प्रोजेक्टों पर रेरा की […]

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : भले ही रेरा के नियम फ्लैटों के खरीदार की सुरक्षा और सुविधा के लिए लागू किये गये हो, लेकिन कुछ मामलों में रेरा व निबंधन विभाग के बीच का पेच अाम खरीदारों के लिए भारी पड़ रहा है.

2017 के एक मई के पहले पूरा होने वाले प्रोजेक्टों पर रेरा की ओर से निबंधन की अनिवार्यता हटने के बाद भी निबंधन विभाग ने अब तक अपनी स्वीकृति नहीं दी है.
चार माह से मामला फंसा है. बिहार बिल्डर एसोसिएशन की मानें तो पूरे पटना जिले में लगभग एक हजार करोड़ मूल्य के दो हजार से अधिक फ्लैटों के निबंधन रुके हैं.
खरीदार व बिल्डर दोनों को नुकसान : बिहार बिल्डर एसोसिएशन की मानें तो निबंधन रुके होने के कारण फ्लैटों के खरीदार व बिल्डर दोनों को नुकसान हो रहा है. बिहार चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष मणिकांत बताते हैं कि आम खरीदार ने अगर लोन लेकर फ्लैट का एग्रीमेंट किया है, तो उस पर लोन का भार भी बढ़ रहा होगा.
बिल्डर को पैसा दे चुका है, तो उनका पैसा भी फंसा हुआ है. वहीं, बिल्डर अगर ग्राहक का पैसा निर्माण में लगा चुका है या मार्केट से पैसा लेकर काम पूरा कराया है, तो उसको भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
60 से घटकर 35 का हो गया औसत
जिला निबंधन पदाधिकारी एसएन चौधरी बताते हैं कि रेरा के बाद फ्लैटों के निबंधन पर असर पड़ा है. पहले प्रतिदिन 60 से अधिक निबंधन कराया जा रहा था, लेकिन अब निबंधन के लिए प्रतिदिन का औसत 30 से 35 हो गया है. इस कारण राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. इसके अलावा इसके पेच में लोग वापस भी लौटते रहते हैं.
क्या है मामला
निबंधन विभाग की ओर से 30 अगस्त 2018 को लिखित निर्देश जारी कर निबंधन कार्यालय को निर्देश दिया गया था कि बगैर रेरा के निबंधन के किसी भी फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं होगी.
इसके बाद से निबंधन पर रोक लग गयी. बाद में 26 अक्तूबर 2018 को रेरा की ओर से निबंधन विभाग को सुझाव दिया गया कि जो प्रोजेक्ट एक मई 2017 तक पूरे हो चुके हैं और उनका कंप्लायंस प्रमाण पत्र दिया जा चुका है, उनको रेरा से निबंधन की जरूरत नहीं है.
वहीं अगर किसी अपार्टमेंट में उस समय सीमा से पहले कुछ फ्लैटों का निबंधन हो चुका है तो शेष फ्लैटों का निबंधन भी कुछ शर्तों के साथ किया जा सकता है, लेकिन इस आदेश को विभाग ने अागे निबंधन कार्यालयों को अब तक जारी नहीं किया है. इस कारण मामला अब तक फंसा हुआ है.
1 शपथ पत्र देने पर एक मई 2017 तक पूरा होने वाले प्रोजेक्टों को रेरा से निबंधन जरूरी नहीं होने का दिया गया था सुझाव
2 बिल्डरों की मानें तो पटना जिले में लगभग चार माह से फ्लैटों के निबंधन का मामला संबंधित विभाग से फंसा हुआ है

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