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पटना : टर्मिनल विस्तार की गति तेज नहीं की गयी तो इस वर्ष भी जाड़े में होगी परेशानी

50 वर्ष पहले बना था पटना एयरपोर्ट का टर्मिनल भवन पटना : पटना एयरपोर्ट का टर्मिनल भवन लगभग 50 वर्ष पहले बना था. उन दिनों यहां से केवल दो जोड़ी फ्लाइट चलती थी और टर्मिनल भवन की क्षमता पांच लाख सालाना यात्रियों की थी. अब फ्लाइट की संख्या बढ़ कर 46 जोड़ी हो चुकी है […]

50 वर्ष पहले बना था पटना एयरपोर्ट का टर्मिनल भवन
पटना : पटना एयरपोर्ट का टर्मिनल भवन लगभग 50 वर्ष पहले बना था. उन दिनों यहां से केवल दो जोड़ी फ्लाइट चलती थी और टर्मिनल भवन की क्षमता पांच लाख सालाना यात्रियों की थी.
अब फ्लाइट की संख्या बढ़ कर 46 जोड़ी हो चुकी है और सालाना यात्रियों की संख्या 32 लाख को पार कर चुकी है. ऐसे में टर्मिनल भवन पर क्षमता से छह गुना पैसेंजर लोड है. समस्या के स्थायी समाधान के लिए 45 लाख क्षमता वाले नये टर्मिनल भवन के निर्माण की योजना बनायी गयी है जिसके निर्माण में कम-से-कम चार साल लगेंगे.
तब तक यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए इस वर्ष जनवरी-फरवरी में एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया द्वारा फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर और अस्थायी निर्माण के द्वारा वर्तमान टर्मिनल भवन को विस्तार देने का निर्णय लिया गया ताकि अत्यधिक धुंध में भी परेशानी नहीं हो. लेकिन विस्तार कार्यों की गति से लगता कि समय पर ये पूरे हो पायेंगे. अगले तीन-चार महीने में ये पूरे नहीं हुए तो इस वर्ष भी सर्दियों में वैसी ही परेशानी होगी, जैसी पिछले तीन-चार वर्षों से झेल रहे हैं.
पोर्टा केबिन में नहीं लगे हैं कैमरे
सिक्युरिटी होल्ड एरिया में एयर
साइड में 300 लोगों के बैठने की क्षमता वाले एक पोर्टा केबिन का
निर्माण पूरा हो चुका है. यहां वैसे यात्रियों को बिठाया जायेगा, जिनका विमान अगले पांच-दस मिनट में आने वाला हो. लेकिन सीसीटीवी इंस्टॉल नहीं होने के कारण उसका भी इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. एयरपोर्ट ऑथोरिटी के अधिकारियों के अनुसार अभी इसमें कम-से-कम एक महीना और लगेगा.
अब तक नहीं शुरू हो पाया है कैनोपी का विस्तार
कैनोपी एरिया के विस्तार का निर्णय छह महीना पहले किया गया था. इसके अंतर्गत 14 मीटर लंबे और 15 मीटर चौड़े स्टील फ्रेम पर आधारित स्ट्रक्चर का निर्माण किया जाना है.
इससे जाड़े में कई विमानों के एक साथ देर होने की स्थिति में भी लोगों को अधिक परेशानी नहीं होगी और उन्हें टर्मिनल भवन के बाहर भी बैठने के लिए जगह उपलब्ध होगा. लेकिन यह प्रोजेक्ट काफी धीमे रफ्तार से चल रही है. इसके टेंडर की प्रक्रिया इसी महीने शुरू हुई है और इसके निर्धारित समय पर पूरे होने पर संदेह है.

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