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प्रदेश अध्यक्ष पद से हटते ही पार्टी छोड़ जाते हैं कांग्रेस के नेता

रामजतन सिन्हा, महबूब अली कैसर, अशोक चौधरी, तारिक अनवर और डॉ जगन्नाथ मिश्र छोड़ चुके हैं पार्टी पटना : अध्यक्ष पद से हटते ही बिहार कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी क्यों छोड़ देते हैं, इस सवाल से पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम गुत्थमगुत्था तो हो ही रहा है, आम लोग भी इसका जवाब तलाश रहे हैं. […]

रामजतन सिन्हा, महबूब अली कैसर, अशोक चौधरी, तारिक अनवर और डॉ जगन्नाथ मिश्र छोड़ चुके हैं पार्टी

पटना : अध्यक्ष पद से हटते ही बिहार कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी क्यों छोड़ देते हैं, इस सवाल से पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम गुत्थमगुत्था तो हो ही रहा है, आम लोग भी इसका जवाब तलाश रहे हैं. यह सवाल तब और तल्ख होकर उभर आया जब पूर्व पार्टी अध्यक्ष प्रो रामजतन सिन्हा के जदयू में शामिल होने की बात सामने आयी. वह 12 फरवरी को जदयू में शामिल होने जा रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभाल चुके प्रो रामजतन सिन्हा फायर ब्रांड नेता रहे हैं. अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद पार्टी को संगठित करने के वास्ते उनके नेतृत्व में हुई राज्यव्यापी पैदल यात्रा काफी चर्चित रही थी. हालांकि उससे पार्टी कोई छलांग नहीं लगा सकी थी.

पुराने कांग्रेसी रहे हैं कैसर : सौम्य और सरल दिखने वाले चौधरी महबूब अली कैसर का नाम भी अध्यक्ष होने के बाद पार्टी का त्याग करने वालों में शुमार हो चुका है. कैसर पुराने कांग्रेसी रहे हैं. उनके पिता चौधरी सलाउद्दीन की गिनती 1980 के दशक में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती थी. पिता की विरासत संभालते हुए कैसर राज्य सरकार में मंत्री भी बने. बाद में उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गयी. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और लोजपा में शामिल हो गये. लोजपा ने उन्हें खगड़िया लोकसभा से उम्मीदवार बनाया और उन्हें जीत हासिल हुई.

जदयू में शामिल हुए अशोक चौधरी कांग्रेस का दलित चेहरा माने जाने वाले अशोक चौधरी भी पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं. पूर्व मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज महावीर चौधरी के बेटे अशोक चौधरी लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. हाल के दिनों में उन्हें जब पद से हटाया गया तो कुछ दिनों बाद वे जदयू में शामिल हो गये. अध्यक्ष पद संभालने के साथ वह महागठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री भी थे.

सत्ता की राजनीति ही पूरे देश की राजनीति को संचालित कर रही है. यही पाला बदल का मूल कारण है. कांग्रेस इससे अछूती नहीं है. वाम दलों में यह रोग नहीं है. उसूलों की राजनीति अब नहीं हो रही. पावर पॉलिटिक्स इस प्रवृति के मूल में है. यही वजह है कि पलक झपकते ही नेता एक दल से दूसरे दल में चले जाते हैं.

-मणिकांत ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार

जगन्नाथ मिश्र ने भी छोड़ी थी कांग्रेस

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर भी ऐसे प्रदेश अध्यक्ष हैं जिन्होंने बाद के दिनों में दूसरे दल की सदस्यता ग्रहण कर ली. डॉ मिश्र ने 1990 के दशक में बिहार से कांग्रेस की सत्ता छिन जाने के बाद दूसरी पार्टी का रुख कर लिया था. तारिक अनवर भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद को सुशोभित कर चुके हैं. वह पार्टी छोड़ राकांपा में चले गये. वहीं से राज्यसभा भी पहुंचे. हाल ही वह राकांपा छोड़ कांग्रेस में वापस हो चुके हैं.

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