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राहुल गांधी की हां और ना पर टिका बिहार कांग्रेस का भविष्य

पटना : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी बने रहेंगे या गांधी परिवार से कोई बाहरी के हाथों में पार्टी की कमान होगी, बिहार कांग्रेस का भविष्य इसी पर आकर ठहर गया है. लोकसभा चुनाव में हार को लेकर प्रदेश कांग्रेस दो खेमों में बटी नजर आ रही है. राष्ट्रीय स्तर पर जल्द […]

पटना : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी बने रहेंगे या गांधी परिवार से कोई बाहरी के हाथों में पार्टी की कमान होगी, बिहार कांग्रेस का भविष्य इसी पर आकर ठहर गया है.
लोकसभा चुनाव में हार को लेकर प्रदेश कांग्रेस दो खेमों में बटी नजर आ रही है. राष्ट्रीय स्तर पर जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो अाने वाले दिनों में पार्टी को बिहार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से पार्टी के 27 विधायकों में भी बेचैनी झलकने लगी है. राज्य विधानसभा के चुनाव निर्धारित समय पर हुए तो करीब सोलह महीने बाद उन्हें जनता की अदालत में हाजिर हाेना पड़ेगा.
लोकसभा चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं कि महज पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस आगे रही है. जबकि, राजद नौ विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बना पाया है. ऐसे में सोलह महीने बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में जायेगी, राजद का साथ होगा या फिर कोई और दल पार्टी का खेवनहार होगा, ऐसे सवालों के बीच पार्टी के विधायकों की दिन-रात कट रही है.
लोकसभा चुनाव में महज पांच विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बना पायी थी पार्टी
अकेले चुनाव लड़ने की मांग
2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा रही थी. इस बार के चुनाव में जदयू महागठबंधन से अलग हो चुका है. लोकसभा चुनाव में राजद का खाता तक नहीं खुल पाया है. कांग्रेस महज एक सीट पर सिमट कर रह गयी है.
महागठबंधन के भीतर आपसी विरोध और खुद कांग्रेस के भीतर राजद से अलग होकर चुनाव में जाने की उठ रही आवाज से विधायक बेचैन हैं. सूत्र बताते हैं, विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह के आवास पर हुई लोकसभा चुनाव मेें हार को लेकर हुई समीक्षा बैठक के दौरान पार्टी के विधायक विनय वर्मा ने खुलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा की है.
दो वरिष्ठ नेताओं की घर वापसी के लिए बनाया जा रहा है दबाव
प्रदेश कांग्रेस में राहुल के विश्वस्तों की समझ है कि चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए पूरी राज्य इकाई को इस्तीफा देना चाहिए. उनका मानना है बिना राहुल, कांग्रेस का भविष्य नहीं है.
ऐसे में राहुल फिर से अध्यक्ष पद संभालें और पार्टी बिहार के चुनाव में दमखम के साथ उतरे. वहीं, दूसरा तबका इस्तीफा दे चुके बिहार प्रभारी की वापसी पर जोर दे रहा. राहुल गांधी के निर्देश पर पार्टी से निकाले गये दो वरिष्ठ नेताओं की घर वापसी के लिए आलाकमान पर दबाव भी दिया जा रहा है.
निष्ठावान कार्यकर्ताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के प्रति आक्रोश
लोकसभा चुनाव में हुई हार को लेकर पार्टी की ओर से आधिकारिक समीक्षा अब तक नहीं हो पायी है. प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा ने सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाकर उनसे फीडबैक लिया था. इसके बाद सदानंद सिंह ने विधायकों की मीटिंग बुलायी और हार के कारणों की चर्चा की. पर, आम कांग्रेसजन और निष्ठावान कार्यकर्ताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के प्रति अभी भी आक्रोश है.

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