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Friday, March 29, 2024

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पटना :मिड डे मील के स्वाद पर निर्णय देंगे अब सरकारी स्कूलों के बच्चे

मिड डे मील की बेहतरी में बच्चे भी अपनी भूमिका निभायेंगे पटना : राज्य के सरकारी स्कूलों में दिये जा रहे मिड डे मील की बेहतरी के लिए अब बच्चे भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एमडीएम के तहत बनने वाले भोजन के स्वाद के बारे में अब स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे अपना निर्णय सुनायेंगे. पोषण […]

मिड डे मील की बेहतरी में बच्चे भी अपनी भूमिका निभायेंगे
पटना : राज्य के सरकारी स्कूलों में दिये जा रहे मिड डे मील की बेहतरी के लिए अब बच्चे भी अपनी भूमिका निभायेंगे. एमडीएम के तहत बनने वाले भोजन के स्वाद के बारे में अब स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे अपना निर्णय सुनायेंगे.
पोषण विशेषज्ञ इस खाने में पोषक तत्वों के बारे में जानकारी देंगे. इस संबंध में इस निर्णय के आधार पर बेहतर मिड डे मील परोसने वाले स्कूल को सम्मानित किया जायेगा. दरअसल, मिड डे मील को परखने के लिए एक तीन सदस्यीय निर्णायक समिति बनेगी.
इसमें एक सदस्य पहले से पांचवीं और दूसरा छठी से आठवीं क्लास के बीच का बच्चा होगा. साथ ही पोषण विशेषज्ञ तीसरे सदस्य होंगे. इस संबंध में केंद्र सरकार एक नयी योजना लाने जा रही है, जो बहुत जल्द बिहार सहित सभी राज्यों में लागू होगी. इसका मकसद मिड डे मील की क्वालिटी में सुधार करना है. वहीं, सरकार मिड डे मील के अलावा सप्ताह में एक बार दूध देने पर विचार कर रही है.
पोषक तत्वों के बारे में जानकारी देंगे पोषण विशेषज्ञ
बेहतर स्कूल और जिले होंगे सम्मानित
राज्य में मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि मिड डे मील को ठीक तरीके से लागू करने के लिए सरकार ने स्कूलों में प्रतिस्पर्धा कराने की योजना बनायी है. बिहार में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर हर महीने जिलों की रैंकिंग निर्धारित की जाती है. पूरे एक साल का डाटा प्राप्त होने पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूल और जिले को सम्मानित किया जायेगा. इस संबंध में उन्हें प्रमाणपत्र दिया जायेगा.
अलग-अलग क्लास के छात्रों के िलए मेनू भी हैं अलग
राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं दोपहर में मिड डे मील दिया जाता है. इसमें पहली से पांचवीं और छठी से आठवीं के छात्र-छात्राओं के खाने के लिए अलग-अलग मेनू है. पहली से पांचवीं के छात्र-छात्राओं को 450 कैलोरी का खाना दिया जाता है. इस पर करीब चार रुपये 35 पैसे खर्च होते हैं.
इसके तहत 100 ग्राम अनाज दिया जाता है. वहीं, छठी से आठवीं के छात्र-छात्राओं को 700 कैलोरी का खाना दिया जाता है. इस पर करीब छह रुपये 51 पैसे खर्च होते हैं. इसके तहत 150 ग्राम अनाज दिया जाता है. वहीं, रसाेईया को प्रति महीने कुल 1500 रुपये दिया जाता है. इसमें राज्य सरकार का हिस्सा 900 और केंद्र सरकार का 600 रुपये है.
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