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पटना : चुनावी वर्ष होने के बाद भी पेश होगा पूर्ण बजट, सवा दो लाख करोड़ का अनुमान

बजट बनाने को लेकर वित्त विभाग में मंथन की प्रक्रिया शुरू मंदी का असर टैक्स संग्रह पर पड़ सकता है पटना : बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, लेकिन इसका कोई असर नये बजट पर नहीं पड़ेगा. नये वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पूर्ण बजट ही पेश होगा. […]

बजट बनाने को लेकर वित्त विभाग में मंथन की प्रक्रिया शुरू
मंदी का असर टैक्स संग्रह पर पड़ सकता है
पटना : बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, लेकिन इसका कोई असर नये बजट पर नहीं पड़ेगा. नये वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पूर्ण बजट ही पेश होगा. निर्धारित समयसीमा में ही विधान मंडल का बजट सत्र शुरू होगा और फरवरी के अंतिम सप्ताह में बजट पेश होने की संभावना है.
नया बजट सवा दो लाख करोड़ रुपये के आसपास हो सकता है. हालांकि अभी केंद्रीय टैक्स पुल और राज्य के अपने सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाले तमाम राजस्व का आकलन किया जा रहा है. ताकि इसके आधार पर नये बजट की रूप-रेखा तैयार की जा सके. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट दो लाख 501 करोड़ का है.
इसमें कम से कम 10% की बढ़ोतरी करने की पूरजोर कोशिश राज्य सरकार की रहेगी. मौजूदा समय में केंद्रीय टैक्स संग्रह में कमी के साथ ही वैश्विक आर्थिक मंदी का असर टैक्स संग्रह पर ही पड़ सकता है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए बजट आकार को अंतिम रूप देने की कवायद चल रही है. नये बजट को तैयार करने के लिए वित्त विभाग में मंथन शुरू हो गया है. आम लोगों से सुझाव भी मांगे गये हैं और इस महीने के बाद विभिन्न क्षेत्रों से सुझाव लेने के लिए बजट पूर्व बैठकों का दौर शुरू होगा. इन सुझावों को नये बजट में समाहित करते हुए इसे अंतिम रूप दे दिया जायेगा.
मौजूदा बजट के योजना आकार में खर्च हुए आधे रुपये
चालू वित्तीय वर्ष के बजट के योजना आकार में अब तक आधे यानी 50-55 प्रतिशत रुपये ही खर्च हुए हैं. हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष से इस बार खर्च की रफ्तार अच्छी है.
जबकि, गैर-योजना (अब स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय) मद में खर्च की रफ्तार काफी अच्छी है. योजना मद में खर्च की रफ्तार धीमी होने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं, कुछ प्रमुख योजनाओं में कार्य की रफ्तार धीमी और केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) समेत अन्य स्रोत से टैक्स के आने की रफ्तार धीमी होना. सीएसएस में इस बार 37 हजार करोड़ रुपये आने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अब तक सिर्फ 15 हजार करोड़ ही आये हैं.
केंद्रीय टैक्स पुल से 49 हजार करोड़ में 25 हजार करोड़ ही आये हैं. हालांकि जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में केंद्र से इस बार साढ़े तीन हजार करोड़ मिलने का लक्ष्य है, जिसमें दो हजार 900 करोड़ मिल चुके हैं. राज्य ने अपने सभी स्रोतों से 33 हजार 800 करोड़ रुपये टैक्स संग्रह का लक्ष्य रखा है. इसके संग्रह की रफ्तार अब तक अच्छी बनी हुई है.

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