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पटना : दीपावली तक 3 लाख घरों में गृह प्रवेश कराने का लक्ष्य, सभी जिलों में घरों के निर्माण की रफ्तार बेहद धीमी

महज 10 से 15 फीसदी लोगों का ही हो पायेगा इस दीवाली में गृह प्रवेश पटना : राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आ‌वास योजना (पीएमएवाई) के तहत गरीबों का घर युद्ध स्तर पर बनाने की मुहिम चला रखी है. इसके तहत दिसंबर 2018 तक घर बनाने के लिए निर्धारित किये गये लक्ष्य 10 लाख घरों में […]

महज 10 से 15 फीसदी लोगों का ही हो पायेगा इस दीवाली में गृह प्रवेश
पटना : राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आ‌वास योजना (पीएमएवाई) के तहत गरीबों का घर युद्ध स्तर पर बनाने की मुहिम चला रखी है. इसके तहत दिसंबर 2018 तक घर बनाने के लिए निर्धारित किये गये लक्ष्य 10 लाख घरों में अधिक से अधिक संख्या में घरों को दीपावली तक बनाना निर्धारित किया गया, ताकि इन घरों का सामूहिक रूप से गृह प्रवेश दीपावली के मौके पर करवाया जा सके.
लेकिन विभाग और लाभुक दोनों के स्तर पर घर बनवाने की रफ्तार बेहद धीमी होने की वजह से महज 10 से 15 फीसदी घरों का ही सामूहिक गृह प्रवेश दीपावली के मौके पर हो पायेगा. चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 11 लाख 76 हजार 617 घरों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें सिर्फ एक लाख 29 हजार 212 घर ही अब तक तैयार हो पाये हैं, जो लक्ष्य का करीब 11 फीसदी ही है.
दिसंबर 2018 तक 10 लाख घरों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य से भी गृह निर्माण की रफ्तार काफी पीछे है. राज्य में ऐसा कोई जिला नहीं है, जिसमें निर्धारित लक्ष्य की 50 फीसदी भी उपलब्धि हासिल हुई हो. करीब डेढ़ दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां उपलब्धि 10 फीसदी से भी कम है.
इन जिलों में निर्माण की रफ्तार धीमी : जिन जिलों में गृह निर्माण की रफ्तार बेहद धीमी है, उसमें अररिया (1.40 प्रतिशत), अरवल (8.58 प्रतिशत), दरभंगा (6.51 प्रतिशत), कटिहार (5.46 प्रतिशत), खगड़िया (6.66 प्रतिशत), मधेपुरा (2.29 प्रतिशत), मधुबनी (6.34 प्रतिशत), मुजफ्फरपुर (3.94 प्रतिशत), पूर्वी चंपारण (3.01 प्रतिशत), पूर्णिया (3.36 प्रतिशत), सहरसा (5.24 प्रतिशत), सीतामढ़ी (4.21 प्रतिशत), सुपौल (2.10 प्रतिशत) और वैशाली (7.01 प्रतिशत) शामिल हैं. शेखपुरा एक मात्र जिला ऐसा है, जहां की उपलब्धि लगभग 50 फीसदी (49.53) है. इसके अलावा नालंदा की 47.73 प्रतिशत, गोपालगंज की 25 फीसदी, नवादा की 33 और भोजपुर की 31 प्रतिशत की उपलब्धि है.
आवास निर्माण की गति सुस्त होने के पीछे मुख्य कारण पहली और तीसरी किस्त प्राप्त करने वालों के बीच काफी बड़ा अंतर होना है. लोगों ने पहली किस्त प्राप्त करने के बाद तीसरी किस्त लेने के लिए कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी या आवास का निर्माण उस स्तर तक पूरा ही नहीं किया कि उन्हें तीसरी किस्त दी जा सके. राज्य में पहली किस्त लेने वालों की संख्या आठ लाख 59 हजार 546 है.
जबकि, तीसरी किस्त पाने वालों की संख्या महज एक लाख 52 हजार 836 है. पहली और तीसरी किस्त के बीच आठ गुना का अंतर है. वहीं, दूसरी किस्त पाने वालों की संख्या चार लाख 29 हजार 64 है. तीसरी किस्त की राशि छत ढलाई के समय दी जाती है. अधिकतर मामलों में यह देखा जाता है कि पहली किस्त लेने के बाद लोग गृह निर्माण शुरू ही नहीं करते हैं या थोड़ा बहुत निर्माण शुरू करके इसे अधूरा छोड़ देते हैं.
दीपावली तक तीन लाख घरों में गृह प्रवेश कराने का लक्ष्य
पटना : ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत आवासों का निर्माण कार्य तेजी से कराने के लिए सभी जिलों को खासतौर से निर्देश जारी किये गये हैं. दीपावली तक कम से कम तीन लाख गरीब लोगों का गृह प्रवेश कराने का लक्ष्य रखा गया है. इसे हर हाल में पूरा करने के लिए जिलों को विशेष पहल करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि आ‌वास निर्माण की गति में तेजी आयी है.
एक दिन में पांच हजार 362 आ‌वास तक का निर्माण कराया जा रहा है. सभी डीएम और डीडीसी को निर्देश दिया गया है कि स्वीकृत लाभुकों का सभी प्रकार से सत्यापन कराकर पहली किस्त की राशि जारी करें और आवास निर्माण पूर्ण कराने में तेजी लाएं, जिससे दिसंबर तक 75 फीसदी से अधिक आ‌वासों का निर्माण पूर्ण कराया जा सके. अब तक स्वीकृत लाभुकों और पहली किस्त प्राप्त करने वालों में 45 हजार का अंतर है.
सभी जिलों को हर हाल में तीन लाख लाभुकों को गृह प्रवेश कराने का लक्ष्य पूरा करने के लिए कहा गया है.वैसे पात्र परिवार जो सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना के सर्वेक्षण सूची में शामिल नहीं होने की वजह से आवास का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. उन्हें सूची में शामिल करने के लिए सभी जिलों को कहा गया है.

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