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पटना : नगर सेवा की सामान्य बसों में महिलाओं की भीड़, महिला बस खाली

बीएसआरटीसी की महिला बसों को झेलनी पड़ रही यात्रियों की कमी पटना : बीएसआरटीसी ने 2016 में महिला यात्रियों विशेषकर कामकाजी महिलाओं को भीड़ भरे सामान्य बसों से आने-जाने में होने वाली असुविधा को ध्यान में रख कर दो महिला बसों का परिचालन शुरू किया. इन बसों में महिला कंडक्टर की भी बहाली की गयी, […]

बीएसआरटीसी की महिला बसों को झेलनी पड़ रही यात्रियों की कमी
पटना : बीएसआरटीसी ने 2016 में महिला यात्रियों विशेषकर कामकाजी महिलाओं को भीड़ भरे सामान्य बसों से आने-जाने में होने वाली असुविधा को ध्यान में रख कर दो महिला बसों का परिचालन शुरू किया. इन बसों में महिला कंडक्टर की भी बहाली की गयी, लेकिन बीएसआरटीसी की महिला बस को यात्रियों की कमी झेलनी पड़ रही है. यात्रा के दौरान ज्यादातर समय बड़ी संख्या में इसकी सीटें खाली रहती हैं.
वहीं दूसरी ओर नगर सेवा के सामान्य बसों में महिलाओं की भीड़ रहती है. यहां तक की कई महिलाओं को सीट नहीं मिलने के कारण खड़े होकर भी आना-जाना पड़ता है.
बांकीपुर से पालीगंज तक चढ़ती हैं केवल 50-60 महिला यात्री
नगर सेवा की बांकीपुर से पालीगंज जाने वाली महिला बस हर दिन सुबह 7:30 में बांकीपुर से खुलती है और बेली रोड से सगुना मोड़ और शिवाला होते हुए नौबतपुर और पालीगंज तक जाती है. 2.30 घंटे इसे अपनी यात्रा पूरी करने में लगते हैं और 10 बजे यह पालीगंज पहुंचती है. इतनी लंबी यात्रा के दौरान बीच में एक दर्जन से अधिक बड़े स्टॉपेज हैं.
बस में केवल 50 से 60 महिलाएं ही चढ़ती-उतरती हैं. दोपहर 1:20 बजे पालीगंज से यह बस खुलती है और नौबतपुर, शिवाला, सगुना मोड़ से बेली रोड होते हुए वापस बांकीपुर शाम 3.50 बजे पहुंचती है. वापसी में भी यात्रियों की संख्या 50 से 60 के बीच ही सिमटी रहती है और ज्यादातर समय बस की आधी सीटें खाली रहती हैं.
दो में से एक महिला बस का परिचालन हो चुका बंद
2016 में महिलाओं की सुविधा के लिए शुरू हुई दो महिला बसों में से एक बांकीपुर से सगुना मोड़ तक जाती थी जबकि दूसरी पालीगंज तक. यात्रियों की कमी के कारण सगुना मोड़ तक जाने वाली बस कुछ दिनों बाद ही बंद कर देनी पड़ी. हालांकि पालीगंज जाने वाली बस चल रही है, लेकिन उसकी स्थिति भी ठीक नहीं है.
सामान्य बसों में बैठ रहीं 50% से ज्यादा महिला यात्री
महिला बसों के विपरीत बीएसआरटीसी की सामान्य बसों में महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ होती है और कुल यात्रियों में 50 फीसदी से ज्यादा महिलाएं होती हैं. इसको देखते हुए पिछले दिनों महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ाकर 50 से 65 फीसदी कर दिया गया. इसके बावजूद कई बार महिला यात्रियों को सीट नहीं मिल पाती है और आरक्षित सीटों से भी अधिक उपस्थिति के कारण उन्हें खड़े होकर भी यात्रा करनी पड़ती है.

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