पटना : बाइक का लोन भी नहीं लौटा रहे कर्मी
लोन लेकर दिवालिया होने वालों में सरकारी कर्मियों की संख्या काफी पटना : नियोजित शिक्षक हों या बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर बने एसडीएम रैंक के अधिकारी, बैंकों से लिया गया कर्ज चुकाने में पीछे चल रहे हैं. राज्य में बैंकों से लोन लेकर नहीं लौटाने वालों में बड़ी संख्या सरकारी कर्मियों […]
लोन लेकर दिवालिया होने वालों में सरकारी कर्मियों की संख्या काफी
पटना : नियोजित शिक्षक हों या बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर बने एसडीएम रैंक के अधिकारी, बैंकों से लिया गया कर्ज चुकाने में पीछे चल रहे हैं. राज्य में बैंकों से लोन लेकर नहीं लौटाने वालों में बड़ी संख्या सरकारी कर्मियों की है.
बैंकों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय और राज्य दोनों स्तर के कर्मी बैंकों से लोन लेकर कुछ दिनों तक तो किस्त भरते हैं, लेकिन इसके बाद लोन एकाउंट को दिवालिया कर दे रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या में संविदा पर काम करने वाले सरकारी कर्मी शामिल हैं. संविदा पर कार्यरत शिक्षकों द्वारा मोटरसाइकिल के लिए लिये गये लोन के एकाउंट बड़ी संख्या में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) होने के मामले सामने आये हैं.
इनके अलावा भी कुछ अन्य स्तर के सरकारी कर्मी हैं, जिन्होंने मोटरसाइकिल खरीद के लिए ली गयी कर्ज राशि नहीं चुकायी है. रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में घर और चारपहिया वाहनों के लिए सरकारी कर्मियों द्वारा लिये गये लोन भी एनपीए हो रहे हैं. कुछ कर्मियों के शिक्षा समेत अन्य तरह के लोन भी एनपीए में दर्ज हैं.
राज्य में 12% है बैंकों का एनपीए
राज्य के सभी तरह के बैंकों को मिलाकर एनपीए करीब 12% है. बैंकों ने 1.39 लाख करोड़ के लोन बांटे हैं, जिसमें करीब 16,300 करोड़ एनपीए हुए हैं. पिछले एक साल की तुलना में इसमें एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
सूबे में 10 सरकारी बैंक ऐसे हैं, जिनका एनपीए राज्य के औसत 11% से ज्यादा या कहें सबसे ज्यादा है. हाउसिंग, शिक्षा समेत अन्य सभी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बांटे गये लोन में एनपीए का प्रतिशत सबसे ज्यादा करीब 18% है. बैंकों के सभी तरह के एनपीए एकाउंट में 25 से 30% सरकारी कर्मियों के ही हैं. इसमें कृषि क्षेत्र में एनपीए होने वाले एकाउंट को शामिल नहीं किया गया है. एनपीए होने के बाद बैंकवालों को सरकारी कर्मियों से पैसे वसूलने में खासा परेशानी भी होती है.
मोतिहारी के एसडीएम का भी होम लोन एकाउंट एनपीए : एक सरकारी बैंक में मोतिहारी के एक एसडीएम का होम लोन एकाउंट एनपीए हो गया है. इसी तरह रेलवे के ट्रैफिक इंस्पेक्टर का भी होम लोन, नाप एवं तौल विभाग के पदाधिकारी का कार लोन एकाउंट भी एनपीए हुआ है. ऐसे विभिन्न तरह के कर्मियों की लंबी फेहरिस्त है.