पटना/नयी दिल्ली: हिंदी जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं आलोचना के मूर्धन्य हस्ताक्षर प्रोफेसर नामवर सिंह का मंगलवार को निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. नामवर सिंह के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि नामवर सिंह हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक थे. उनका न सिर्फ हिंदी साहित्य की दुनिया में अहम योगदान था बल्कि शिक्षण के क्षेत्र में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था.
नीतीश कुमार ने दिवंगत आत्मा की शांति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुख की इस घड़ी में धैर्य रखने को कहा है.
इधर, नामवर सिंह के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि नामवर सिंह का अंतिम संस्कार बुधवार अपराह्न तीन बजे लोधी रोड स्थित शमशान घाट में किया जाएगा. प्रोफेसर सिंह पिछले करीब एक महीने से बीमार थे. वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे.
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर (वर्तमान में ज़िला चंदौली) में हुआ था. उन्होंने बीएचयू से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने बीएचयू, सागर एवं जोधपुर विश्वविद्यालय और जेएनयू में पढ़ाया.
साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजे जा चुके नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य में आलोचना को एक नया आयाम दिया. ‘छायावाद’, ‘इतिहास और आलोचना’, ‘कहानी नयी कहानी’, ‘कविता के नये प्रतिमान’, ‘दूसरी परम्परा की खोज’ और ‘वाद विवाद संवाद’ उनकी प्रमुख रचनाएं हैं. उन्होंने हिंदी की दो पत्रिकाओं ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ का संपादन भी किया.