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सवा सौ से अधिक प्रखंड हो सकते हैं सूखाग्रस्त घोषित

पटना : राज्य पर सूखे की काली छाया मंडरा रही है. दक्षिण बिहार के दर्जन भर जिले की स्थिति अधिक खराब है. इन जिलों में 50 फीसदी से भी कम रोपनी हो पायी है. 18 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़-सुखाड़ की समीक्षा को लेकर उच्चस्तरीय बैठक बुलायी है. संभावना है कि इसमें सवा […]

पटना : राज्य पर सूखे की काली छाया मंडरा रही है. दक्षिण बिहार के दर्जन भर जिले की स्थिति अधिक खराब है. इन जिलों में 50 फीसदी से भी कम रोपनी हो पायी है. 18 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़-सुखाड़ की समीक्षा को लेकर उच्चस्तरीय बैठक बुलायी है.

संभावना है कि इसमें सवा सौ से अधिक प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित किये जा सकते हैं. पिछले साल 280 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था. इस साल 33 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है.
धान की रोपनी का समय अब समय समाप्त हो गया है. गुरुवार को सावन पूर्णिमा है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 13 अगस्त तक राज्य में लक्ष्य 33 लाख हेक्टेयर की जगह 23.50 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई थी, जो लक्ष्य का करीब 72 फीसदी है.
धान की रोपनी नहीं होने का सबसे बड़ा कारण है बारिश का नहीं होना. पिछले करीब एक महीने से अच्छी बारिश नहीं हुई है. अगस्त में अब तक सामान्य से 45 फीसदी कम बारिश हुई है. एक से 13 अगस्त के बीच सामान्य बारिश 117.6 एमएम होनी चाहिए, लेकिन बारिश हुई 64.3 एमएम.
समस्तीपुर को छोड़ सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. बारिश नहीं होने से रोपनी तो प्रभावित हुई है, जहां रोपनी हो भी गयी, वहां भी सिंचाई के अभाव में धान के पौधे पीले पड़ने लगे हैं. कृषि विभाग भी मौजूदा स्थिति से चितिंत है.
विभाग वैकल्पिक फसल की दिशा में काम करना भी शु्रू कर दिया है. विभागीय सूत्रों के अनुसार दक्षिण बिहार की स्थिति काफी खराब है. पटना, नालंदा, गया, जहानाबाद, नवादा, मुंगेर, बांका, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा आदि ऐसे जिले हैं, जहां 50 फीसदी से भी कम रोपनी हुई है.
इन सब जिलों के प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है. भभुआ ही एक मात्र ऐसा जिला है, जहां सौ फीसदी रोपनी हो गयी है. भोजपुर, रोहतास, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और किशनगंज में 90 फीसदी से अधिक रोपनी हुई है.

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